वर्किंग कैपिटल की कमी के कारण HEC का उत्पादन हो रहा प्रभावित, कई छोटे प्लांट के फर्नेस हुए बंद
संक्रमण काल में एचईसी की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कंपनी के सामने अब ऐसी स्थिति आगयी है कि कच्चे माल के कारण कई छोटे-छोटे प्लांट में कार्य लगभग बंद करना पड़ा हैं। प्लांट के अधिकारी बता रहे हैं।
रांची, जासं । संक्रमण काल में एचईसी की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। कंपनी के सामने अब ऐसी स्थिति आगयी है कि कच्चे माल के कारण कई छोटे-छोटे प्लांट में कार्य लगभग बंद करना पड़ा हैं। प्लांट के अधिकारी बता रहे हैं कि कार्यशील पूंजी की कमी के कारण कोयले की कमी हो गई है। इसके कारण कुछ छोटे प्लांट को बंद कर दिया गया है। वहीं फर्नेस ऑयल, ट्रांसफॉर्मर ऑयल, निकेल, केमिकल मैटेरियल आदि की भी भारी कमी है।
प्लांट प्रबंधन ने इसे लेकर कई बार एचईसी के मुख्य प्रबंधकों को कई बार पत्र लिखकर जरूरी सामानों की आपूर्ति करने का आग्रह किया। लॉकडाउन के कारण पहले से कंपनी का उत्पादन पहले से ही काफी पीछे चल रहा है। इस वर्ष भी कंपनी ने अपने उत्पादन लक्ष्य से काफी कम उत्पादन किया था। एचईसी के अधिकारी बता रहे हैं कि ऐसी स्थिति पिछले 10 वर्षों में पहली बार आई है।
पूंजी की कमी के कारण कार्य बुरी तरह से प्रभावित है। वही लॉकडाउन के कारण केवल एक शिफ्ट में कार्य हो रहा है। वर्तमान में कंपनी के पास कई बड़े प्रोजेक्ट हैं। इसमें इसरो, माइनिंग के लिए कोल हैंडलिंग सहित लगभग 1800 करोड़ से ज्यादा के कार्य आदेश कंपनी के पास पड़े हैं। मगर पूंजी की कमी के कारण प्रबंधन काम नहीं कर पा रही है। हालांकि बीच में अफवाह फैली थी कि कंपनी अपने 35 एकड़ जमीन गिरवी रखकर 350 करोड़ रुपए ऋण लेने का प्रस्ताव बनाया है, बाद में अधिकारियों ने इसका खंडन किया।
यूनियनों ने बढ़ाई कंपनी की मुश्किल
हटिया मजदूर यूनियन सीटू ने कंपनी के खिलाफ अपना मोर्चा खोल दिया है। यूनियन की बैठक में कार्यकर्ताओं ने तय किया कि 3 महीने से नहीं मिली तनख्वाह और पे रिवीजन को लेकर 13 जून को विरोध और प्रदर्शन की रणनीति बनाई जाएगी। यूनियन के नेता भवन सिंह ने कहा कि एचईसी की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। ऐसे में सभी यूनियनों को एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है। उन्होंने कर्मियों के 3 माह के वेतन बकाया, लंबित वेतन पुनरीक्षण, ऊर्जा विभाग में एचईसी को शामिल करने, मशीनों के आधुनिकरण के लिए राशि देने, सहित अन्य मांगों को लेकर सभी यूनियनों को एक मंच पर आने का आव्हान किया है।