टेरर फंडिग मामले में हाई कोर्ट में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

रांची झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में टेरर फंडिग के मामले में अभियुक्त महेश विनीत व अमित अग्रवाल की अपील याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:58 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:58 PM (IST)
टेरर फंडिग मामले में हाई कोर्ट में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
टेरर फंडिग मामले में हाई कोर्ट में बहस पूरी, फैसला सुरक्षित

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में टेरर फंडिग के मामले में अभियुक्त महेश, विनीत व अमित अग्रवाल की अपील याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

बहस दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की ओर से अदालत को बताया गया कि इन तीनों अभियुक्तों के साथ अन्य के खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई है। इस पर एनआइए कोर्ट द्वारा लिया गया संज्ञान सही है, क्योंकि इनके खिलाफ टेरर फंडिग करने के पर्याप्त एवं ठोस सुबूत हैं। एनआइए के अधिवक्ता ने कहा कि इन अभियुक्तों के खिलाफ जांच एजेंसी ने पर्याप्त सुबूत जुटाए हैं। इसके लिए उनके पास लोगों के बयान और दस्तावेज के साक्ष्य भी हैं। इनके खिलाफ चार्जशीट में जितनी भी बातें कही गई हैं, वह पूरी तरह से सही हैं। ऐसे में इनका कहना कि वे इस मामले में पीड़ित हैं, पूरी तरह से गलत है। ये लोग वहां पर काम करने के लिए नक्सलियों का सहारा लेते थे और इसके बदले उन्हें फंडिग करते थे। इस मामले में अभियुक्तों की ओर से कहा गया है कि वहां पर काम करने के लिए उनसे रंगदारी वसूली जाती थी, इसलिए वे पीड़ित हैं। लेकिन, एनआइए ने उन्हें अभियुक्त बना दिया है। बता दें कि टंडवा के आम्रपाली कोल प्रोजेक्ट में शांति समिति के जरिये लेवी की वसूली की जाती थी। इसका कुछ भाग उग्रवादी संगठन टीपीसी को दिया जाता था, जिसका इस्तेमाल वे हथियार खरीदने में करते थे। पहले इसकी जांच पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में एनआइए ने टेकओवर कर लिया और अब इस मामले की जांच कर रही है।

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