ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट में कोका कोला का झारखंड में प्लांट लगाने का प्रस्ताव

Global Agriculture Food Summit in Ranchi. ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने की।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 29 Nov 2018 12:28 PM (IST) Updated:Thu, 29 Nov 2018 06:05 PM (IST)
ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट में कोका कोला का झारखंड में प्लांट लगाने का प्रस्ताव
ग्लोबल एग्रीकल्चर फूड समिट में कोका कोला का झारखंड में प्लांट लगाने का प्रस्ताव

रांची, जेएनएन। झारखंड के किसानों को विश्व बाजार से जोड़ने, किसानों की आय दोगुनी करने और झारखंड को पूर्वी भारत के फूड प्रोसेसिंग हब के रूप में स्थापित करने के बहुआयामी उद्देश्य से रांची में किसानों के महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। खेलगांव के टानाभगत इंडोर स्टेडियम में आयोजित ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने की। इस मौके पर सीएम रघुवर भी मौजूद थे। इस समित में शिरकत करने के लिए हजारों किसान व विदेशी डेलीगेट्स भी पहुंचे हैं। केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि पहली बार एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है, जिसका जीवन झारखंड के किसानों के लिए समर्पित है। 

कोका कोला ने झारखंड में प्लांट लगाने का दिया प्रस्ताव
ग्लोबल समिट में कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट इश्तियाक अमजद ने कहा कि कंपनी झारखंड में नया प्रोजेक्ट शुरू करना चाहती है। फूड समिट के माध्यम से हम इस पर आगे बात बढ़ाएंगे। कोकोकोला भारत और झारखंड के लिए एक लोकल कंपनी की तरह साथ मिलकर काम करेगी।

किसानों को बिना ब्याज के ऋण देंगेः रघुवर
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हर दो साल में इस तरह की समिट होगी। रघुवर दास ने कहा कि किसानों को एक साल के लिए बिना ब्याज के ऋण मिलेगा। सरकार बैंकों का ब्याज चुकाएगी। किसानों के लिए अलग से बिजली का प्रबंध होगा। गरीबों को दो-दो गाय 90 प्रतिशत सब्सिडी पर दी जा रही है। योजना जारी रहेगी।
नील क्रांति के बाद श्वेत क्रांति की तैयारी है। 100 किसानों को फिर इसराइल भेजा जाएगा। इनमें 50 महिलाएं होंगीं। पलायन का कलंक खत्म करना होगा। 2022 तक किसान दोगुनी नहीं चार गुना आमदनी का रिकॉर्ड बनाने का संकल्प लें। 

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 की शुरुआत करते केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह।

जानिए, किसने क्या कहा
ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट में मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि झारखंड के पास एग्रो क्लाइमेटिक जोन और मेहनतकश कृषक हैं। आज जब हम यहां खड़े होकर यह दावा करते हैं कि कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में हमारे पास यह संभावना है कि हम अग्रणी राज्यों और देशों के समकक्ष खड़े हों तो उसके पीछे वर्तमान सरकार के चार साल के श्रम का हमारे पास साक्ष्य है। मुख्य सचिव ने कहा कि इन 4 सालों में कृषि के क्षेत्र में अनेक नए प्रयोग किए गए हैं, अनेक पहल की गई हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि सेवाओं के लिए सिंगल विंडो की स्थापना, कृषकों को स्वायल हेल्थ कार्ड का वितरण, व्यापक स्तर पर फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप और महिला स्व समूह का गठन, जल स्रोतों का पुनरुद्धार, फल सब्जी उत्पादन, डेयरी और मत्स्य उत्पादन में चहुंमुखी विकास, बंजर भूमि को कृषि के अंतर्गत लाना, कृषि बाजार का आधुनिकीकरण करना और सबसे महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योगों के लिए एक आकर्षक नीति का सुदृढ़ीकरण करना कई ऐसे उदाहरण हैं।  राज्य के कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश पढ़ा।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि पिछले चार सालों में झारखंड के कृषि क्षेत्र में 19 फीसद का विकास हुआ।  कहा कि इसी तरह झारखंड में कृषि क्षेत्र में काम होता रहा तो यहां के किसानों की आय 2022 तक दोगुनी नहीं बल्कि चौगनी हो जाएगी।

अमिताभ कांत ने कहा कि झारखंड सरकार ने किसान भाइयों को इजरायल भेजा और इजरायल की टीम भी यहां आई हुई है। एक छोटे से देश में कैसे पानी का सही उपयोग करके किस तरह से अपनी कृषि का उत्पादन बढ़ाया यह निश्चित रूप से सीखने का विषय है। इजरायल से खेती प्रणाली को सीख कर आए ये कृषक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में रहेंगे। कहा, केवल कृषि क्षेत्र ही नहीं झारखंड में जो सबसे बड़ा बदलाव आया है वह मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में है।

पिछले चार साल में यहां का उत्पादन मत्स्य के क्षेत्र में करीब 83 फीसज बढ़ा है। यह तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, कहीं नहीं हुआ जो कि झारखंड में हुआ है। अपने डैम में केज प्रोडक्शन के द्वारा उत्पादन बढ़ाया है। कृषक भाइयों की आय को दोगुना करने के लिए केवल कृषि ही नहीं बल्कि दुग्ध उत्पादन और अन्य संबद्ध क्षेत्र में आय बढ़ाकर ही यह संभव है।

दूध उत्पादन की अग्रणी संस्था अमूल के एमडी आरएस सोढ़ी ने समिट में कहा कि किसान चाहे झारखंड के हों या गुजरात के हों एक दूसरे की मदद करना अपना फर्ज समझते हैं। अमूल के 36 लाख किसान हर तरह से झारखंड के ढाई करोड़ किसानों की मदद के लिए तत्पर हैं। कहा, पिछले चार वर्ष में भारत का दूध उत्पादन 4 फीसद बढ़ गया है। झारखंड में दूध का उत्पादन 5200000 लीटर प्रतिदिन हो रहा है जो प्रति व्यक्ति 157 ग्राम ही है। अभी दूसरे राज्यों से दूध का आयात होता है। किसानों की आय दोगुनी करने के लिए दूध उत्पादन को बढ़ावा देना जरूरी है।

समापन समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू होंगी। गुजरात के बाद झारखंड देश का दूसरा राज्य हैं, जहां किसानों के लिए विशेष तौर पर इतने बड़े सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

समिट में पहुंचे विभिन्न राज्यों से आए अतिथि तथा किसान।

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट गत वर्ष आयोजित मोमेंटम झारखंड की ही कड़ी का हिस्सा है। इस समिट में निवेश के लक्ष्य को भी साधा जाएगा। इस दौरान 50 कंपनियों का शिलान्यास होगा। ये कंपनियों राज्य में 271 करोड़ रुपये के निवेश करेंगी जिससे प्रत्यक्ष रूप से 1614 और प्रत्यक्ष रूप से 4110 लोगों को रोजगार मिलेगा। समिट में शिक्षाविद्, प्रमुख कृषि-चिंतक, शोधकर्ता, कृषि संस्थान और विश्वविद्यालय, किसान समूह, केंद्र व राज्य सरकार के विभागों के विशेषज्ञ, प्रगतिशील किसान, कृषि व्यवसाय से संबंधित कंपनियां, बीज, सिंचाई, उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण वर्ग, वित्तीय संस्थान और छात्र भाग लेंगे।

फोकस कंट्री व साझीदार देश

फोकस कंट्री : मोरक्को।

साझीदार देश : ट्यूनीशिया, चीन, इजराइल, फिलीपींस और मंगोलिया।

40 हजार वर्गफीट में लगेगी कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी

खेल गांव में राज्य के सभी 24 जिलों के स्टाल के अलावा अन्य राज्यों के पवेलियन भी बनाए गए हैं। प्रदर्शनी स्टालों की कुल संख्या 160 है। यहां 40 हजार वर्गफीट में कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है।

इन विषयों पर सेमिनार

कृषि उपकरण, आर्गेनिक खेती, कृषि स्टार्टअप एवं एग्रो उद्यमी इकोसिस्टम, खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध-कुक्कुट एवं मत्स्य, फीड एंड फॉडर। 30 नवंबर को विश्व बैंक द्वारा टेक्निकल सत्र भी आयोजित होगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सत्र भी होंगे, जिसमें चीन व इजराइल जैसे देश कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपने देश के अनुभव किसानों से साझा करेंगे।

समिट का उद्देश्य

- झारखंड की समृद्ध और सशक्त बहुआयामी कृषि संभावना को विश्र्व पटल पर प्रदर्शित करना।

- वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना और झारखंड को पूर्वी भारत में फूड प्रोसेसिंग हब के रूप में स्थापित करना।

- राज्य के किसानों को विश्व  स्तरीय तकनीकी से परिचय करना।

- कृषि और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निवेश के अवसर तलाशना।

- कृषि के विभिन्न प्रक्षेत्रवार वैल्यू ऐडेड चेन विकसित करना जिससे खेत-खलियान से लेकर बाजार तक मांग और आपूर्ति की निरंतरता बनी रहे। 

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