युवतियां पारंपरिक नृत्य करतीं नदी व जलाशयों तक पहुंचीं, करम डाली का किया विसर्जन
प्रकृति पर्व करमा के दूसरे दिन शनिवार को प्रखंड के विभिन्न नदी व जलाशयों में करम डाल को विर्सजन किया गया। महिलाएं व युवतियां पारंपरिक करम गीत और नृत्य करतीं करम डाली के साथ नदी व जलाशयों तक पहुंचीं। विसर्जन को लेकर कई स्थानों पर जुलूस भी निकाले गए।
गिद्धौर(चतरा),जासं। प्रकृति पर्व करमा के दूसरे दिन शनिवार को प्रखंड के विभिन्न नदी व जलाशयों में करम डाल का विर्सजन किया गया। करम डाल विसर्जन के क्रम में महिलाएं व युवतियां पारंपरिक करम गीत और नृत्य करती हुई करम डाली के साथ नदी व जलाशयों तक पहुंचीं। करम डाल विसर्जन को लेकर कई स्थानों पर जुलूस भी निकाले गए। हालांकि जुलूस में भीड़ कम थी। लोग शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इसमें शामिल हुए थे। इससे पहले कई जगह पाहन द्वारा करम डाल को उठाया।
उपवास कर रही बालिकाओं ने करम डाली की पूजा अर्चना की।करम डाल विसर्जन को ले प्रखंड के विभिन्न गांव में निकले जुलूस में लोगों ने जमकर नृत्य किया। बालिकाओं ने करम करम कहले आयो, करम का दिन कैसे आवे, अषाढ़-सावन बीत गेला रे, कुवा रे महीना करम गाड़े, सातो भइया रे सातों करम गाड़, भउला सातो गातनी सेवा करैय., चकाड़ा र चकोड़ा हरियर चकोड़ा, चकोड़ा फूल बिना शोभय- आदि गीतों पर नृत्य पेश कर समां बांध दिया। करमा पर्व भादो एकादशी के दिन मनाया जाता है। इसमें करमा की डाली की पूजा होती है।
वहीं दूसरी ओर शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा का भी विसर्जन बड़े धूमधाम से विभिन्न जलाशयों में किया गया। हालांकि कोविड-19 के गाइडलाइन के कारण थोड़ी कम भीड़ देखी गई। परंतु भगवान विश्वकर्मा व करम डाली के विसर्जन में उत्साह चरम पर था। प्रखंड में करम व विश्वकर्मा पूजा शांतिपूर्ण व हर्षोल्लास के साथ शनिवार को संपन्न हो गई। मौके पर यदुनंदन पांडेय,बैजनाथ दांगी, मीनाक्षी देवी, संध्या कुमारी, रेखा कुमारी, पूनम देवी, पायल कुमारी, चांदनी कुमारी, नंदनी कुमारी, नैतिक कुमार पांडेय सहित अन्य थे।