Jharkhand Police: आम जनता पर पुलिस का रौब नहीं... छलकेगा प्यार ...कैसे, यहां जानिए ...

Jharkhand Police झारखंड पुलिस इस लक्ष्य के साथ काम कर रही है कि यहां आम जनता से लेकर निवेशक तक खुद को सुरक्षित महसूस करें। उद्योगपतियों को यह न लगे कि यहां उद्योग लगाने पर उसे खतरा है। पुलिस का चेहरा फ्रेंडली हो।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 04:03 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 04:03 PM (IST)
Jharkhand Police: आम जनता पर पुलिस का रौब नहीं... छलकेगा प्यार ...कैसे, यहां जानिए ...
झारखंड पुलिस का चेहरा पब्लिक फ्रेंडली होगा, रक्तदान करती पुलिस।

रांची {दिलीप कुमार} । झारखंड पुलिस इस लक्ष्य के साथ काम कर रही है कि यहां आम जनता से लेकर निवेशक तक खुद को सुरक्षित महसूस करें। उद्योगपतियों को यह न लगे कि यहां उद्योग लगाने पर उसे खतरा है। कोई संवेदक यहां काम लेने से पहले यह नहीं सोचे कि नक्सल प्रभावित इलाके में उसे लेवी देनी पड़ेगी, नहीं तो उसकी गाडिय़ां फूंक दी जाएंगी। और सबसे अहम बात लोगों के मन में पुलिस का चेहरा जब भी उभरे तो वह फ्रेंडली हो न कि झंझट से भरा।

झारखंड की छवि कभी नक्सल प्रभावित राज्य की थी। नक्सलियों पर अंकुश लगातार बहुत हद तक लोगों के मन से यह डर दूर किया जा सका है कि वे यहां सुरक्षित हैं, हालांकि अभी भी सुदूर इलाकों में हालात बहुत अच्छे नहीं हुए है। झारखंड पुलिस इस प्रयास में है कि सेवा ही लक्ष्य के अपने स्लोगन को चरितार्थ किया जाए। उसके पास आम जनता अपनी समस्या लेकर बेधड़क पहुंचें। पुलिस के लिए न कोई अमीर होगा, न कोई गरीब। सबकी शिकायतों पर एक जैसा अनुसंधान और निष्पक्ष कार्रवाई करे। पुलिस सेवा भाव से काम करे।

साइबर क्राइम पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। जामताड़ा और राज्य के जिलों में ठगों के इतने गिरोह सक्रिय हैं कि वे पूरे देश को हलकान किए रहते हैं। राज्य पुलिस ने इस बात पर जोर दिया है कि सभी जिलों में साइबर सेल बनाकर आपसी समन्वय रखा जाए। पुलिस के संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। उन्हें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। फोरेंसिक जांच और अनुसंधान में आधुनिक तौर-तरीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। थानों को आधुनिक बनाया जा रहा है। यहां आने वाले लोगों को ऐसा माहौल देने की कोशिश है कि उन्हें उलझन न महसूस हो और निश्चिंत हो अपनी अपनी परेशानी दूर करने में मदद ले पाएं।

विजन झारखंड के लिए पुलिस का रोड मैप :

- पुलिस थाने की कार्यशैली व संसाधन : त्वरित व प्रभावी पुलिसिंग हो। यही एक विंग है जो 24 घंटे सक्रिय मोड में रहता है। स्मार्ट पुलिसिंग पर आधारित होंगे थाने, जहां अपराध के अनुसार पुलिस अपनी कार्यशैली बदलेगी। वल्र्ड क्लास के थाना भवन में प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी-कर्मी रहेंगे, ताकि त्वरित कार्रवाई कर सकें।

पुलिस स्टेशन की छवि में बदलाव : विजन झारखंड में पुलिस की छवि सुधारने पर जोर है। निशक्त फ्रेंडली, रिसेप्शन काउंटर, आगंतुकों के लिए शौचालय, महिला हेल्पलाइन, काउंसिलिंग रूम, जिम आदि। यहां डिजिटल पुलिसिंग के सभी उपकरण व प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी-कर्मी रहेंगे।

नारकोटिक्स के विरुद्ध कार्रवाई : राज्य में अफीम की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसे रोकने की चुनौती है। इसके अलावा ब्राउन शुगर, गांजा आदि को रोकने, इसके तस्करों को सलाखों तक पहुंचाने की चुनौती है। इसके लिए सभी जिलों में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को सशक्त बनाना होगा।

मानव तस्करी रोकने की चुनौती : राज्य से बड़ी संख्या में आदिवासी युवक-युवतियां, नाबालिगों की दूसरे राज्यों में तस्करी होती रही है। इसके लिए कई प्लेसमेंट एजेंसियां सक्रिय हैं, जिनकी आड़ में ऐसा हो रहा है। इन बच्चों के साथ दूसरे राज्यों में मानसिक व शारीरिक शोषण भी होता है। इसे रोकने की चुनौती तो होगी ही, मानव तस्करी से छुड़ाए गए बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था भी करनी होगी। जिले चिह्नित किए गए हैं, पुलिस कार्रवाई कर रही है।

साइबर अपराध : पूरे विश्व में झारखंड का जामताड़ा इमेज साइबर क्राइम के चलते बना हुआ है। इसके लिए सभी जिलों के साइबर सेल केा सक्रिय किया गया है। दूसरी एजेंसी की मदद से भी साइबर अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी। लोगों को ऐसे अपराध से बचने के लिए जागरूक किया जाएगा। साइबर अपराध के हॉट स्पॉट चिह्नित होंगे। इसके अपराधियों को सजा दिलाने के लिए बेहतर अनुसंधान, वैज्ञानिक अनुसंधान, सभी जिलों में साइबर फोरेंसिक लैब, सभी थानों में एक साइबर विशेषज्ञ अधिकारी तथा साइबर फोरेंसिक वैन लाने पर जोर है।

संगठित अपराध : संगठित अपराध में शामिल अपराधियों व उनके सहयोगियों को चिह्नित करने के लिए डाटाबेस बनाना, क्राइम सीन का विश्लेषण, जीव विज्ञान व डीएनए विश्लेषण, कंप्यूटर, मोबाइल व अन्य डिजिटल सामग्री का विश्लेषण, बैलिस्टिक, फिजिक्स व अन्य डिजिटल कंटेंट का विश्लेषण तथा रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा। ऐसे अपराधियों के सभी नेटवर्क को ध्वस्त करने की पूरी योजना है।

नक्सल पर नकेल : झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, सीमा सुरक्षा बल व कोबरा बटालियन के साथ मिलकर नक्सलियों के खिलाफ बड़ा अभियान चला रही है। अपनी खुफिया सूचनाओं की बदौलत पुलिस को लगातार सफलताएं मिल रही हैं। नक्सलियों के लेवी-रंगदारी तंत्र को पूरी तरह खत्म करने के रोडमैप पर पुलिस काम कर रही है।

प्रमुख तथ्य :

- भाकपा माओवादियों के 14, उग्रवादी संगठन टीएसपीसी के 16 व पीएलएफआइ के 04 उग्रवादियों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

- राज्य में दर्ज नक्सल से संबंधित 17 कांडों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी कर रही है।

- 25 लाख रुपये से ऊपर की संपत्ति अर्जित करने वाले नक्सलियों से संबंधित दस कांडों में अनुसंधान के लिए प्रवर्तन निदेशालय को अनुशंसा की गई है।

- नशा के खिलाफ जनवरी 2020 से अब तक 894 प्राथमिकियां व 1318 आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

- जनवरी 2019 से अब तक नक्सलियों से 117 बार मुठभेड़ हो चुका है। इस तीन साल में 1179 नक्सली गिरफ्तार, 44 आत्मसमर्पण व 45 नक्सली मारे जा चुके हैं।

प्रदेश में अमन चैन कायम करने को सभी फ्रंट पर बेहतर कर रही है पुलिस

- झारखंड पुलिस अपने सभी फ्रंट पर बेहतर कर रही है। चाहे वह नक्सल विरोधी अभियान हो, साइबर अपराध या संगठित अपराध के खिलाफ अभियान हो। राज्य में अमन-चैन कायम करते हुए सेवा ही लक्ष्य के स्लोगन के साथ पुलिस हर दिन एक-एक कदम आगे बढ़ रही है। नक्सल फ्रंट की बात करें तो एक करोड़ के इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन के अलावा दो-ढाई साल में 90 बड़े इनामी नक्सलियों की गिरफ्तारी, 23 बड़े नक्सलियों का आत्मसमर्पण नक्सलियों के टूटते गढ़ के संकेत हैं। इसी तरह संगठित अपराध के गैंगस्टर जैसे सुजीत सिन्हा, अमन साव, अखिलेश सिंह जैसे कुख्यात अपराधियों को सलाखों तक पहुंचाने से बहुत हद तक व्यवसायी वर्ग, निवेशकों ने राहत की सांस ली है।

इस अवधि में साइबर अपराध के 3367 मामले सामने आए, जिसमें 2475 अपराधी गिरफ्तार किए गए, 1.87 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई और 25 मामले में शामिल अपराधियों को सजा हुई। नशा व मानव तस्करी के खिलाफ पुलिस की लगातार कार्रवाई जारी है। बेहतर परिणाम सामने आए हैं। मानव तस्करी पर बहुत हद तक लगाम लगी है। इसे और कारगर बनाया जा रहा है। पुलिस जिस कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम कर रही है, यह आने वाले वर्षों के लिए सुखद संकेत है। सरकार के विजन झारखंड पर पुलिस सौ फीसद खरा उतरेगी, जिसपर तेजी से काम चल रहा है।

-अमोल वी. होमकर, आइजी अभियान।

एक्सपर्ट व्यू :

समाज में बदलाव के साथ ही बदलेंगे पुलिस के दायित्व चुनौती

- पुलिस की चुनौतियां व दायित्व बदलता रहा है। पहले के अपराध व पुलिसिंग, वर्तमान में अपराध व पुलिङ्क्षसग में काफी बदलाव आया है। अनुसंधान का तरीका, पुलिस के व्यवहार में गुणात्मक सुधार हुआ है। भविष्य में पुलिस के दायित्व व चुनौतियां बदलेंगी। आने वाले समय में समाज में वैज्ञानिक, आइडियोलोजिकल बदलाव आएंगे। सबका असर पुलिस पर ही पड़ता है। जैसे-जैसे समाज में बदलाव होगा, पुलिस के दायित्व व चुनौती भी बदलेंगे। हम डिजिटल युग में जी रहे हैं, ऐसे में साइबर अपराध आगे भी पांव पसारेंगे, जिन्हें रोकने की चुनौती होगी। उद्योग-धंधे व विकास कार्यों पर पड़े नक्सल छाया को समाप्त करने की चुनौती होगी। पुलिस के अनुसंधान व विधि व्यवस्था विंग को अलग-अलग करने के लिए पुलिस बल की कमी को दूर करने की चुनौती होगी। अपराध के तरीके बदलते रहते हैं, उसे परखने व उसके खिलाफ अनुसंधान तथा कार्रवाई के लिए पुलिस को खुद को तैयार करने की चुनौती होगी। पुलिस सुधार व पुलिस प्रशिक्षण की दिशा में गुणात्मक सुधार की जरूरत होगी। भविष्य की चुनौतियों को पहचान कर उसके अनुरूप काम होगा, तब ही विजन झारखंड का सपना पूरा होगा।

-गौरी शंकर रथ, पूर्व डीजीपी, झारखंड।

झारखंड पुलिस : एक नजर

- 600 थाने

- 60 हजार जवान-पदाधिकारी तैनात है विधि-व्यवस्था में

- 173 टीम स्पेशल एक्शन टीम (सैट) की और झारखंड जगुआर की 40 असाल्ट ग्रुप नक्सल विरोधी अभियान में जुटी है।

-सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीमा सुरक्षा बल, जैप, आइआरबी और एसआइआरबी की बटालियन भी नक्सल मोर्चे पर लोहे में।

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