झंगरी चना बेचने वाली पालनी की पढ़ाई का खर्च उठाएंगे गौतम अदाणी, पढ़ें छोटी उम्र में पलते बड़े सपने
Simdega Jharkhand News चना की झंगरी बेचने के कारण सिमडेगा की रहने वाली पालनी इंटरनेट मीडिया पर सुर्खियों में आई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी मदद करने का आश्वासन दिया है। अब पालनी की पढ़ाई का पूरा खर्च गौतम अदाणी उठाएंगे।
सिमडेगा, [मुकेश कुमार]। Simdega Jharkhand News चना की झंगरी बेचने वाली पालनी अब अपनी पढ़ाई पूरी करेगी। उसका पूरा खर्च उठाने के लिए अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) आगे आए हैं। यह पहल उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर मदद के लिए की गई एक ट्वीट को देख कर की है। इंटरनेट मीडिया पर फोटो वायरल होने के बाद सुर्खियों में आई झारखंड के सिमडेगा जिले के रहने वाली पालनी कहती है कि अगर पापा जिंदा होते तो उसे भूखे पेट नहीं सोना पड़ता। मां के साथ सड़क किनारे वह चना की झंगरी बेचने को विवश नहीं होती।
मां के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह डाॅक्टर बन सके। लिहाजा, पढ़कर नर्स बनना चाहती हूं, ताकि लोगों की सेवा कर सकूं, क्योंकि पिता की मौत हाई ब्लड प्रेशर से वर्ष 2010 में हो गई थी। इस ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए गौतम अदाणी ने लिखा है कि छोटी सी बच्ची और इतने बड़े विचार! पालनी की शिक्षा की जिम्मेदारी उठाना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। ये बेटियां सशक्त भारत की उम्मीद हैं। इन्हें बेहतर कल मिले, ये हम सबकी जिम्मेदारी है।
इधर, शुक्रवार को प्रशासनिक पदाधिकारियों ने भी उसके घर जाकर उसकी स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने भी उसे मदद का आश्वासन दिया है। पालनी के अनुसार जब वह डेढ़ वर्ष की थी, तभी पिता चल बसे। मां ने किसी तरह उसे पाल कर बड़ा किया। आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि चाहकर भी स्कूल नहीं जा पा रही है। मजबूरन बस स्टैंड के पास बैठकर हरा चना बेच रही है। मां किरण देवी हरा चना का गुच्छा बांधकर उसे देती है। मां भी बस स्टैंड में घूम-घूमकर बेचती है।
मां-बेटी इसी से जीवन यापन कर रही हैं। उसकी मां की सेहत भी ठीक नहीं रहती है। इस कारण चाह कर भी वह स्कूल नहीं जा पाती। पेट पालने के लिए वह पैसे कमाने को मजबूर है। पालनी कोलेबिरा प्रखंड अंतर्गत कनजोगा गांव की रहने वाली है। उर्सुलाइन कान्वेंट सिमडेगा में वह नामांकित है। कक्षा छह में 75 फीसद अंक से पास हुई थी। मां किरण देवी कहती हैं कि हरा चना बेचकर घर चलाना मुश्किल होता है, लेकिन वह कर भी क्या सकती है। बेटी को पढ़ाना चाहती है, परंतु उसके पास पैसे नहीं हैं।
कई बार तो भूखे पेट सोना पड़ता है। वह करीब 10 वर्षों से सिमडेगा में रह रही है। कहा कि उसे न तो उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है और न ही आवास योजना का। हर माह पांच किलो चावल जरूर मिलता है। उधर, जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव ने कहा कि पालनी व उसके परिवार की स्थिति का आकलन किया जा रहा है। जल्द ही परिवार की यथा संभव मदद की जाएगी।
पालनी के बैंक अकाउंट में प्रतिमाह जाएंगे 2500 रुपये
बहरहाल पालनी की कहानी जानकर गौतम अदाणी ने अदाणी फाउंडेशन (Adani Foundation) को पालनी को हर संभव सहयोग देने का निर्देश दिया है। इधर, उनके निर्देश पर फाउंडेशन के कुछ लोगों ने संबंधित परिवार से संपर्क साधा है। फाउंडेशन की अध्यक्ष डाॅ. प्रीति अदाणी के अनुसार फाउंडेशन की ओर से पालनी के बैंक अकाउंट में प्रतिमाह 2500 रुपये भेजे जाएंगे, ताकि न सिर्फ पालनी की पढ़ाई बेहतर तरीके से जारी रहे, बल्कि उसके स्वास्थ्य और बेहतर खान-पान की भी व्यवस्था हो सके।