लाॅकडाउन में मिली फुर्सत तो जिला जज ने SC/ST Act पर लिख डाली किताब, लोग दे रहे बधाई

Lockdown Jharkhand News Garhwa Samachar ए हैंडबुक ऑन एससी-एसटी एक्ट पुस्‍तक के लेखक अजीत कुमार गढ़वा में जिला जज-वन के पद पर कार्यरत हैं। 164 पृष्ठ की इस पुस्तक को लेकर उनकी सराहना हो रही है। सेवाकाल में पुस्तक की रचना करने वाले अजीत पहले न्यायाधीश बने।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 29 May 2021 12:38 PM (IST) Updated:Sat, 29 May 2021 12:45 PM (IST)
लाॅकडाउन में मिली फुर्सत तो जिला जज ने SC/ST Act पर लिख डाली किताब, लोग दे रहे बधाई
Lockdown Jharkhand News, Garhwa Samachar सेवाकाल में पुस्तक की रचना करने वाले अजीत पहले न्यायाधीश बने।

गढ़वा, जासं। समय का सदुपयोग करने की नसीहत प्राय: सभी को बचपन से ही मिलती है। अभिभावक से लेकर शिक्षक तक ऐसी सीख देते हैं। कुछ लोग इसी सीख का उपयोग जीवनपर्यंत करते हैं। ऐसे ही लोगों में गढ़वा व्यवहार न्यायालय में जिला न्यायाधीश के पद पर कार्यरत अजीत कुमार भी हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा सप्‍ताह यानि लाॅकडाउन में अदालतों में वर्चुअल मोड में सुनवाई हो रही है। इससे न्यायाधीशों को न्यायिक कार्याें से कुछ फुर्सत मिली है। गढ़वा के जिला जज अजीत कुमार ने फुर्सत के अपने समय का सदुपयोग कर ए हैंडबुक ऑन एससी-एसटी एक्ट नामक पुस्तक लिख डाली। एससी-एसटी एक्ट पर उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक की कानूनविदों द्वारा सराहना की जा रही है।

क्या है अजीत कुमार द्वारा लिखी गई पुस्तक में

जिला न्यायाधीश वन अजीत कुमार की प्रारंभिक व उच्च शिक्षा पटना, बिहार में हुई है। इसके पश्चात वे सहायक लोक अभियोजक के पद पर दानापुर न्यायालय में पदस्थापित हुए। वर्ष 2002 में इनका चयन अपर जिला न्यायाधीश के पद पर हुआ। झारखंड के विभिन्न जिलों में इस पद पर न्यायिक कार्य करते हुए वर्तमान में वे गढ़वा व्यवहार न्यायालय में जिला न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। अजीत कुमार बताते हैं कि कानूनी पेशे में आ रहे नए लोगों को कानून की बारिकियों को गहराई से जानने की आवश्यकता है।

इससे अदालत में मामलों की सुनवाई के दौरान उन्‍हें सहुलियत होगी। इसी से प्रेरित होकर उन्होंने पुस्तक की रचना की है। पुस्तक में कानून की पेचीदगियों को सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों द्वारा व्याख्या किए गए केस कानूनों के माध्यम से लिए गए तथ्यों को समेटने का प्रयास किया गया है। अदालतों द्वारा तय किया गया निर्णय भी देश का कानून बन जाता है। इसी अदालती कार्यवाही को समझने के लिए आसान शब्दों में संकलित किया गया है। अजीत कुमार की मानें तो यह पुस्तक न्यायाधीशों, अधिवक्ता, लोक अभियोजक, पुलिस अधिकारी, वादी व कानून के छात्र आदि के लिए सहायक होगी।

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