झारखंड के कई इलाकों में बीमारी भगाने के नाम पर चल रहा मतांतरण का खेल

बीमारी भगाने के नाम पर झारखंड के कई इलाकों में मतांतरण का खेल चल रहा है। मतांतरण कराने वाले इसे चंगाई सभा और कई अन्य नाम से जाने जाते हैं। लोगों को चिह्नित कर उन्हेंं ईसाई धर्म के शक्तियों के प्रभाव से बीमारियां भगाने का भरोसा दिलाया जाता है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 09:21 AM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 09:35 AM (IST)
झारखंड के कई इलाकों में बीमारी भगाने के नाम पर चल रहा मतांतरण का खेल
झारखंड के कई इलाकों में बीमारी भगाने के नाम पर चल रहा मतांतरण का खेल। जागरण

रांची [संजय कुमार] । बीमारी भगाने के नाम पर झारखंड के कई इलाकों में मतांतरण का खेल चल रहा है। मतांतरण कराने वाले इसे चंगाई सभा और कई अन्य नाम से जाने जाते हैं। बीमारियों से पीडि़त लोगों को चिह्नित कर उन्हेंं ईसाई धर्म के किसी खास व्यक्ति की चमत्कारिक शक्तियों के प्रभाव से बीमारियां भगाने का भरोसा दिलाया जाता है। इसके बाद मनोवैज्ञानिक तरीके से पीडि़त व्यक्ति से अपनी बात मनवा ली जाती है। सुनियोजित तरीके से मतांतरण टीम के सदस्य पीडि़त व्यक्ति और उसके पूरे परिवार वालों का ब्रेन वाश करते हैं। ऐसे में एक व्यक्ति धर्म बदलता है तो आसपास के कई अन्य लोग भी उसकी राह पकड़ लेते हैं।

मतांतरण के काम में लगे लोग चार-पांच की टोली बनाकर पीडि़तों के घर जाते हैं और बीमारी भगाने के नाम पर पानी में दवा मिलाकर पिला देते हैं। मरीज के ठीक होने पर उन्हेंं झांसा देते हैं और कहते हैं कि चमत्कार के कारण बीमारी ठीक हुई है। जिस सिमडेगा जिले में स्वतंत्रता के समय 90 प्रतिशत हिंदू थे, वहां अब 30 से 35 प्रतिशत हिंदू बचे हैं। इस जिले के लोहरा, बड़ाइक, खडिय़ा व उरांव समाज के तो 90 प्रतिशत लोग मतांतरित हो चुके हैं। वहीं, लातेहार जिले का महुआडांड़ इलाका तो पूरी तरह ईसाई हो चुका है।

विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्र संगठन मंत्री केशव राजू का कहना है कि इन जिलों के कई इलाकों में तो खुलकर मतांतरण का खेल चल रहा है। कोरोना संक्रमण के समय सेवा के बहाने इसमें तेजी आ गई है। ये लोग झारखंड को ईसाई लैंड बनाना चाहते हैं। राज्य में धर्मांतरण निषेध अधिनियम लागू होने के बाद भी प्रशासन के लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

नौकरी और ईसाई लड़की से शादी की लालच में बन गया पास्टर

महुआडांड़ के लुरगुमी गांव के बच्चु तुरी का परिवार मतांतरण का शिकार हो गया है। परिवार का एक बेटा रांची में रहते हुए पास्टर के संपर्क में आया। उसने नौकरी और ईसाई लड़की से शादी का प्रलोभन दिया। जब घर वाले भी रांची पहुंचे तो उस पास्टर ने सभी को दिग्भ्रमित कर दिया। लातेहार वापस लौटने के बाद घर में रखे हिंदू देवी-देवताओं को फेंक दिया। एक बेटी जिसकी शादी सनातनी परिवार में हुई है, वापस लौटने को समझा रही है, परंतु समझ नहीं रहे हैं।

मतांतरण के काम में लगे लोगों को प्रशिक्षण दिलाने के लिए भेजते हैं बाहर

सिमडेगा के कौशल नाथ सिंहदेव के अनुसार, मतांतरण के काम में लगे लोगों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिलाने के लिए चेन्नई, हैदराबाद आदि शहरों में भेजा जाता है। बाहर से भी लोगों को बुलाकर प्रशिक्षण दिलाया जाता है। उन्होंने कहा कि कुरडेग प्रखंड में तो कबड़ समाज के लगभग 40 परिवारों का मतांतरण करा दिया गया। जो लोग गांव में बचे हैं वे इन लोगों को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु पास्टर आने नहीं दे रहे हैं।

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