Ranchi Fulpatri Yatra: रांची में सप्तमी पर निकली फुलपात्री यात्रा, जवान हवा में फायरिंग कर देते हैं प्रकृति को सलामी, जानें इस यात्रा में क्या है खास

Ranchi Fulpatri Yatra सप्तमी के अवसर पर जैप एक में मंगलवार को फुलपात्री शोभायात्रा निकाली गई। बिगुल और बैंड की धुन के बीच शोभायात्रा निकाली गई। इसमें जवान हवा में फायरिंग कर प्रकृति को सलामी देते हैं। इसके पीछे का उद्देश्य गोरखा समाज द्वारा प्रकृति को धन्यवाद करना है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 12:48 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 12:48 PM (IST)
Ranchi Fulpatri Yatra: रांची में सप्तमी पर निकली फुलपात्री यात्रा, जवान हवा में फायरिंग कर देते हैं प्रकृति को सलामी, जानें इस यात्रा में क्या है खास
सप्तमी के अवसर पर जैप एक में फुलपात्री शोभायात्रा निकाली गई।

रांची,जासं । सप्तमी के अवसर पर जैप एक में मंगलवार को फुलपात्री शोभायात्रा निकाली गई। बिगुल और बैंड की धुन के बीच शोभायात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा हाई कोर्ट के रास्ते से निकलती हुई कमांडेंट अनीश गुप्ता के आवास से गुजरकर सिद्धार्थ नगर के लिए रवाना हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक थी।

क्या है फुलपात्री यात्रा : फुलपात्री की इस शोभायात्रा के दौरान 9 पेड़ों की पूजा की जाती है। इसके बाद जवान हवा में फायरिंग कर प्रकृति को सलामी देते हैं। प्रकृति को सलामी देने के पीछे का उद्देश्य गोरखा समाज द्वारा प्रकृति को धन्यवाद करना है। बिगुल व बैंड की धुन पर महिलाएं थिरकते हुए श्रद्धा में लीन होती हैं। रिटायर्ड इंस्पेक्टर राजू प्रधान ने बताया कि फुलपात्री की परंपरा सदियों से पूर्वजों द्वारा चली आ रही है।

इस यात्रा में डोली सजाकर ले जाई जाती है। डोली के अंदर कलश,नौ तरह के फूल व पान के पत्ते, सिंदूर व अन्य दिव्य चीजें रखी जाती हैं। यात्रा आरंभ होने के बाद हर 100 गज चलने पर जो पेड़ मिलते हैं उसकी पूजा की जाती है। उसका एक पात्र डोली में रखा जाता है। ऐसा करते करते 9 पेड़ पूरा होने पर अंत में पहुंच कर उन नौ पात्रों की पूजा कर बलि दी जाती है।

बच्चियां बनती हैं नौ कन्या

नवरात्र के दिन चिट्ठा द्वारा कन्याओं का चयन होता है। चयनित कन्याओं द्वारा ही फुलपात्री की यात्रा निकाली जाती है। हर कन्या के हाथों में पेड़ की एक डाल रहती है। जिसे वे यात्रा के आरंभ से लेकर अंत तक हाथों में रखती हैं। इस पूजा का विशेष महत्व होता है और यह सप्तमी को निकाला जाता है।  कोरोना से पहले फुलपात्री के मौके पर मेला भी लगा करता था। कैंप के लोग खाने का स्टॉल लगाते थे। लेकिन पिछले दो वर्षों से मेला नहीं लग पाया है। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ठेले वालों को भी पूजा परिसर में आने से मनाही की गई है।

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