कोरोना के भय से बढ़ रहे अवसाद के मामले

टेडेक्स कांके ने अपनी वेबिनार श्रृंखला एक नई दुनिया का उदय के तहत कोविड-19 में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 06:40 AM (IST)
कोरोना के भय से बढ़ रहे अवसाद के मामले
कोरोना के भय से बढ़ रहे अवसाद के मामले

जासं, रांची: टेडेक्स कांके ने अपनी वेबिनार श्रृंखला एक नई दुनिया का उदय के तहत कोविड-19 में मेंटल हेल्थ और कोविड-19 विषय पर वेबिनार का आयोजन किया। टेडेक्स कांके के क्यूरेटर राजीव गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित इस वेबिनार में रिनपास के वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोसाइकियाट्रिस्टडा. सिद्धार्थ सिन्हा ने विषय पर अपनी बातें रखी। वेबिनार को यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव स्ट्रीम किया गया। डा. सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने सभी वर्गों को प्रभावित किया है। कोरोना के कारण लोगों ने लंबे समय तक पूर्ण लॉकडाउन का सामना किया। तरह-तरह की पाबंदियों को झेला। रोजगार के साधन छिन गए। व्यापार में घाटा हुआ। कइयों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया। इन सभी स्थितियों का लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरा और बुरा असर पड़ा है। कुछ मामलों में तो लोग डिप्रेशन में भी चले गए। सोशल मीडिया व अन्य सूचना तंत्रों से फोटो, वीडियो, मौत से संबंधित खबरें, आक्सीजन की कमी, बिस्तरों की कमी, दवाओं की कमी आदि के मामलों ने लोगों के मन में नकारात्मक विचारों को जन्म दिया है। स्कूल की बंदी, परीक्षाओं के रद होने ने भी बच्चों और इससे जुड़े लोगों को अकेलेपन का शिकार बनाया है। डा. सिद्धार्थ ने बताया कि प्रत्येक मानव मस्तिष्क अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है। जहां कुछ लोग लचीले होते हैं, वहीं कुछ लोग कठिन परिस्थितियों से जल्दी ठीक होने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं होते। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में छात्र ज्यादा प्रभावित रहे हैं। नियमित गतिविधियों के बजाय ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने, ऑनलाइन परीक्षा, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों से जुड़ाव आदि के कारण उनमें कई प्रकार के विकार ने जन्म लिया है। मनोरंजन का साधन भी बंद रहा। इससे वे चिता, अवसाद, भय जैसे विकार से घिर गए हैं। कोरोना से ठीक होंगे या नहीं, होम आइसोलेशन में रहते हुए मरने का डर, ठीक न होने का डर, परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित करने का डर आदि ने भी अवसाद के मामलों में वृद्धि की है। वेबिनार को सफल बनाने में कनिष्क पोद्दार, कैलाश मांझी, बिजेंद्र शर्मा, शुभम शर्मा, शिवांगी चौधरी, चंद्र मोहन चुग, युवराज आनंद और प्रवीण राजगढि़या का योगदान रहा।

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