Jharkhand: अनुमंडलीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए बना एफआरयू सेंटर साबित हो रहा हाथी का दांत

Jharkhand संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने एवं मातृ शिशु मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए श्री बंशीधर नगर अनुमंडलीय अस्पताल में बना एफआरयू सेंटर महज हाथी का दांत साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की घोषणा के 10 वर्ष बाद भी एफआरयू सेंटर क्रियाशील नहीं हो पाया।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 05:32 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 05:32 PM (IST)
Jharkhand: अनुमंडलीय अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के लिए बना एफआरयू सेंटर साबित हो रहा हाथी का दांत
श्री बंशीधर नगर अनुमंडलीय अस्पताल में फआरयू सेंटर महज हाथी का दांत साबित हो रहा है।

श्री बंशीधर नगर(गढ़वा), जासं। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने एवं मातृ शिशु मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिए वर्ष 2012 में श्री बंशीधर नगर अनुमंडलीय अस्पताल में बना एफआरयू सेंटर महज हाथी का दांत साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की घोषणा के 10 वर्ष बाद भी एफआरयू सेंटर क्रियाशील नहीं हो पाया। नतीजा प्रसव में थोड़ी सी भी जटिलता उत्पन्न होने पर मरीज को रेफर करने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता है। अनुमंडलीय अस्पताल से हर माह औसतन 10 से 20 गर्भवती महिला को प्रसव में जटिलता के कारण रेफर करना पड़ता है।

यदि एफआरयू सेंटर सुचारू रूप से चालू हो जाता तो प्रसव से पूर्व एवं बाद में किसी भी प्रकार की जटिलता उत्पन्न होने पर जच्चा एवं बच्चा को बाहर ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। उनका समुचित इलाज इसी सेंटर में संभव था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ढिलाशाही के कारण गर्भ में ही एफआरयू सेंटर ने दम तोड़ दिया। जबकि एफआरयू सेंटर के लिए सभी आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध हो चुका था। इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर एवं कर्मी की प्रतिनियुक्ति भी हुई, लेकिन सेंटर प्रारंभ होने से पहले ही सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों का तबादला हो गया।

उसके बाद एफआरयू सेंटर के लिए चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मी की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई। जिसके कारण एफआरयू सेंटर कभी अस्तित्व में ही नहीं आ सका। नतीजा इसके निमित्त उपलब्ध कराए गए सभी चिकित्सकीय उपकरण रखें रखें बर्बाद होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। वहीं अनुमंडलीय अस्पताल में जटिलता की स्थिति में इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण अधिकांश लोग प्रसव के लिए अनुमंडलीय अस्पताल जाने की बजाय प्राइवेट अस्पतालों का रुख कर लेते हैं जहां उनका जमकर आर्थिक शोषण होता है।

क्या है एफआरयू सेंटर:

एफआरयू सेंटर को फस्ट रेफरल यूनिट कहा जाता है, जिसमें प्रसव के लिए सभी आधुनिक संसाधन उपलब्ध होते हैं। साथ ही नवजात शिशु के लिए भी अत्याधुनिक फस्ट बेबी बॉर्न यूनिट होता है। इस सेंटर में यदि प्रसव के दौरान कोई जटिलता आ जाने पर सर्जरी की सुविधा, ब्लड की उपलब्धता, अल्ट्रासाउंड की सुविधा, नवजात शिशु के लिए अत्याधुनिक बेबी बॉर्न यूनिट की सुविधा उपलब्ध होती है। इसके लिए एक महिला चिकित्सक, एक सर्जन, एक मुर्छक, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, अल्ट्रासाउंड, बल्डस्टोरेज मशीन एवं बेबी बॉर्न यूनिट चलाने के लिए तकनीशियन की उपलब्धता होती है। लेकिन यहां संसाधन पहले उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन चिकित्सक एवं तकनीशियन की प्रतिनियुक्ति 10 वर्षो में भी नहीं हो सकी।

पूरे अनुमंडल को होता लाभ

एफआरयू सेंटर चालू होने से पूरे अनुमंडल क्षेत्र को लाभ मिलता। इसी उद्देश्य से ही श्री बंशीधर नगर अनुमंडलीय अस्पताल में एफआरयू सेंटर चालू किया जा रहा था। ताकि अनुमंडल मुख्यालय के साथ साथ सभी प्रखंडो से भी प्रसव में जटिलता होने पर गढ़वा एवं मेदिनीनगर रेफर करने की बजाय यहीं पर उनका समुचित इलाज हो सके। अनुमंडलीय अस्पताल एवं उपस्वास्थ्य केंद्रों में प्रत्येक माह 400 से 500 प्रसव होता है। वहीं हर माह करीब एक दर्जन गर्भवती महिलाओं को रेफर करना पड़ जाता है।

एफआरयू सेंटर तो चालू करने की घोषणा हो गई। लेकिन इसे क्रियान्वित करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मी की प्रतिनियुक्ति नहीं हुई। 2012 में इसके लिए चिकित्सक एवं चिकित्सा कर्मी की प्रतिनियुक्ति हुई थी। लेकिन सेंटर चालू होने से पहले ही सभी का तबादला हो गया। जिस कारण सेंटर चालू नहीं हो सका।

डॉ सुचित्रा कुमारी, उपाधीक्षक,अनुमंडलीय अस्पताल, श्री बंशीधर नगर।

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