स्थानीय उपलब्धता से बढ़ेगी फूलों में महक

रांची एवं आसपास के इलाके में गुलाब की खेती हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 01:46 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 01:46 AM (IST)
स्थानीय उपलब्धता से बढ़ेगी फूलों में महक
स्थानीय उपलब्धता से बढ़ेगी फूलों में महक

जागरण संवाददाता, राची : राची और आसपास के इलाके में पिछले तीन सालों में चार नए लोगों ने गुलाब की खेती शुरू की है। इनपुट कॉस्ट ज्यादा होने से लोग धीरे-धीरे इस तरफ बढ़ रहे हैं। गुलाब के फूलों की दो स्तरों पर खेती की जाती है। एक खुले खेत में, जहा उपजने वाले फूलों की मार्केट में कीमत बहुत अच्छी नहीं मिलती है। वहीं दूसरी पॉलीहाउस में तैयार गुलाब। पॉलीहाउस में उपजे गुलाब की डचरोज होते हैं। इनकी कली बड़ी होती है। ये ज्यादा समय तक फ्रेश रह सकते हैं। इसके साथ ही इसकी मार्केट में कीमत अच्छी मिलती है। मगर इतने बड़े जिले में आज भी बहुत कम किसान हैं जो गुलाब की खेती कर रहे हैं। ऐसे में माग ज्यादा और उत्पादन कम होने से रोज कीमतों का ऊपर नीचे होना जारी रहता है। इससे व्यापारियों को खास दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जैसे कोई व्यापारी आज ज्यादा कीमत में माल खरीद लेता है और अगले दो दिनों तक रेट कम है तो निश्चित रुप से उसे नुकसान के साथ माल बेचना पड़ता है।

गुलाब के लिए आज भी दूसरे राज्यों पर है निर्भर::

अरगोड़ा के फूल व्यापारी सुरेश मालाकार बताते हैं कि लॉकडाउन में इस साल पूरा काम बंद हो गया। लगन का सीजन निकल जाने से सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। साल की सबसे ज्यादा कमाई लगन के सीजन में होती है। इसके साथ ही गुलाब की फूल की खेती करने वाले किसानों का भी फसल काफी बर्बाद हुआ है। हालाकि गुलाब की खेती राची और आसपास के इलाके में मुश्किल से दस लोग करते होंगे। लोकल बाजार की माग का 20 प्रतिशत तक ही पूरा कर पाते हैं। बाकि माल बंगाल के अलग-अलग इलाकों से आता है। पिछले साल पूरे साल में गुलाब के फूल की कीमत 4 रुपये प्रति पीस से 12 रुपये प्रति पीस तक रही। थोक में भाव माल और आवक के अनुसार होता है। हालाकि अगर लोकल माल अच्छी मात्रा में मिले तो रेट भी बाजार में सही रहेगा और किसान के साथ व्यापारियों को भी मुनाफा अच्छा होगा। फूल खराब होने डर से कम काम करते लोग::

फूल के व्यापार से जुड़े दीपक दास बताते हैं कि बाजार में फूलों की माग रोज अलग-अलग होती है। ऐसे में माग को समझकर काम करना पड़ता है। फूल दो-तीन दिनों के बाद खराब होने लगते हैं। अगर फूल खराब हो गया तो फिर उसकी कीमत नहीं मिलती। व्यापार और फसल में अनिश्चितता होने से किसान गुलाब की खेती से कतराते हैं। दीपक दास बताते हैं कि सरकार को फूलों के व्यापार के लिए ट्रेन में एक कूलिंग वैन की व्यवस्था करनी चाहिए। ------------------------ क्या कहते हैं मजदूर-------------------------------------

घर में पैसे की कमी थी इसलिए काम करने के लिए दूसरे राज्य में जाना पड़ा। अपने यहा काम भी नहीं है और लोग सही पैसे भी देना नहीं चाहते हैं। अगर घर में काम मिले तो बाहर क्यों जायेंगे। अगर सरकार मदद करे तो अच्छा होगा।

दुबर नाथ गंझू बाहर काम अच्छा चल रहा था। मगर कोरोना में काम छूट गया। खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे। किसी तरह से मुश्किल से वापस आये हैं। अब जो करेंगे अपने गाव में ही करेंगे।

दीपक गंझू गाव के कुछ लोग साथ में गाव से बाहर कमाने के लिए गये थे। बड़ी मुश्किल से वापस आये हैं। हालत ऐसी हुई कि अब वापस जाने की हिम्मत नहीं है। घर पर खेतीबाड़ी करेंगे। इसके अलावा कोई काम भी नहीं हैं।

महावीर गंझू

बाहर जाकर जो पैसे कमाये थे वापस घर आने पर खत्म हो गये। जो भी होगा अपने जिला से बाहर काम करने नहीं जायेंगे। सरकार का खोजने में मदद करे तो अच्छा होगा।

करमचंद भोगता

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