Jharkhand Politics: डा. अजय लौटे कांग्रेस में, प्रदीप-सुखदेव की वापसी की भी उठी मांग
Jharkhand Politics झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार का आम आदमी पार्टी से मोहभंग हो गया है। एक बार फिर से वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। आइपीएस अधिकारी रहे डा. अजय एक साल पहले कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे।
रांची (राज्य ब्यूरो) । Jharkhand Politics कांग्रेस छोड़कर एक वर्ष पूर्व आम आदमी पार्टी का दामन थामने वाले पूर्व आइपीएस अधिकारी डा. अजय कुमार वापस लौट आए हैं। रविवार को कांग्रेस में उनकी फिर से वापसी पर आलाकमान ने मुहर लगा दी। कांग्रेस छोड़ते वक्त उन्होने राहुल गांधी को पत्र लिखकर झारखंड के कुछ नेताओं के रवैये को निशाने पर लिया था। बतौर झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उन्होंने संगठन को सक्रिय बनाने की भरसक कोशिश की थी। नए सिरे से वापसी के बाद कयास लगाया जा रहा है कि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी। कांग्रेस में फिर से शामिल होने के बाद उन्होंने लिखा है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना मेरी अंतरात्मा की पुकार है। राहुल गांधी और सोनिया गांधी की प्रेरणा से उन्होंने फिर से कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय किया है। उन्होंने महात्मा गांधी की पंक्तियों का भी जिक्र किया - पूर्ण सत्य और उसी के अनुरूप आचरण आवश्यक है। जब आवाज उठाने की आवश्यकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुप रहना कायरता बन जाता है।
उधर डा. अजय कुमार की वापसी के साथ ही कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों प्रदीप कुमार बलमुचू और सुखदेव भगत की वापसी का रास्ता भी खुल गया है। गत विधानसभा चुनाव के पूर्व सुखदेव भगत ने भाजपा का दामन थाम लिया था जबकि प्रदीप कुमार बलमुचू आजसू में शामिल हो गए थे। विधानसभा चुनाव में दोनों को शिकस्त मिली। अब दोनों वापस कांग्रेस में आना चाहते हैं। रविवार को इनके पक्ष में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. इरफान अंसारी ने आवाज भी बुलंद किया। खुलकर कहा कि दोनों को फिर से कांग्रेस पार्टी में वापस लाया जाए। उन्होंने डा. अजय की वापसी का भी स्वागत किया। कहा कि आज फिर से लोगों का रुझान कांग्रेस की तरफ है। सभी नेताओं को सम्मान के साथ दल में वापस लाना चाहिए। इनके आने से कांग्रेस को मजबूती मिलेगी। कांग्रेस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक परिवार है और हर परिवार में मतभेद होता है। इसका मतलब यह नहीं होता कि परिवार के सदस्य घर छोड़कर चले जाएं। भरोसे के साथ संगठन में ईमानदारी से काम होना चाहिए। राजनीति में धैर्य और अनुशासन आवश्यक है।