विद्युत बोर्ड के तत्कालीन CMD एसएन वर्मा को मिली जमानत, 6 सप्ताह में करना होगा सरेंडर

Jharkhand News झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एके चौधरी की पीठ में झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड के तत्कालीन सीएमडी एसएन वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 03:01 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:41 PM (IST)
विद्युत बोर्ड के तत्कालीन CMD एसएन वर्मा को मिली जमानत, 6 सप्ताह में करना होगा सरेंडर
विद्युत बोर्ड के तत्कालीन CMD एसएन वर्मा को मिली जमानत। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड (जेएसईबी) के तत्कालीन सीएमडी एसएन वर्मा को झारखंड हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जस्टिस एके चौधरी की पीठ ने एसएन वर्मा को दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की है। अदालत ने उन्हें छह सप्ताह में सीबीआइ कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया है। सीबीआइ कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद एसएन वर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अग्रिम जमानत दिए जाने की गुहार लगाई थी।

एसएन वर्मा पर स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना मरम्मत कार्य में घोटाला करने का आरोप है। सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार एवं नवीन कुमार ने अदालत को बताया कि जून 2011 में एसएन वर्मा को जेएसईबी का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति से पहले ही बोर्ड के स्तर पर बीएचईएल (भेल) से सिकिदरी स्थित स्वर्णरेखा जल विद्युत परियोजना की मरम्मत कराने का निर्णय लिया गया था, क्योंकि भेल ही इस परियोजना में लगी मशीनों का उत्पादक था।

इस बोर्ड की बैठक में राज्य के तत्कालीन ऊर्जा सचिव एवं वित्त सचिव भी उपस्थित थे। यह कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण एवं वृहद पैमाने पर होना था। क्योंकि साल दर साल खर्च होने वाली राशि के बजाय बड़े स्तर पर मरम्मत कार्य से प्लांट की उपयोगिता को बढ़ाया जाना था। ऐसे में खर्च होने वाली राशि पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। एसएन वर्मा ने अपने कार्यकाल में 4.7 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया, जबकि 16.97 करोड़ रुपये की राशि के भुगतान को रोक दिया।

इससे किसी संस्थान को वित्तीय क्षति नहीं हुई। इसलिए एसएन वर्मा को दोषी नहीं माना जा सकता है। उन्होंने सीबीआइ जांच में पूर्ण सहयोग किया है। इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए। सीबीआइ ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यूनिट का मरम्मत कार्य 4.88 करोड़ में होना चाहिए था, लेकिन 20 करोड़ से ज्यादा की राशि का कार्यादेश दिया गया है। ऐसे में एसएन वर्मा की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

यह है पूरा मामला

स्वर्ण रेखा जल विद्युत परियोजना, सिकिदिरी के रखरखाव एवं मरम्मत के लिए वर्ष 2011-12 में टेंडर निकाला गया। विद्युत बोर्ड ने नामांकन के आधार पर भेल को टेंडर दिया था। उक्त कार्य 4.88 करोड़ रुपये होना चाहिए था। लेकिन इसके लिए 20.87 करोड़ रुपये का कार्यादेश दिया गया। इसके बाद भेल ने दूसरे संवेदक से 15 करोड़ रुपये में कार्य कराया था। इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही है।

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