पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बोले- हेमंत सोरेन सरकार के 13 माह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि कुशासन और अराजकता

राज्य में अक्षम सरकार है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। अराजकता चरम पर है। राज्य सरकार की इस 13 महीने की सबसे बड़ी उपलब्धि कुशासन और अराजकता है। कानून व्यवस्था से हर आम और खास त्रस्त है। चुनाव में किया गया एक भी वादा जमीन पर नहीं दिख रहा है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 04:23 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 04:23 PM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास बोले- हेमंत सोरेन सरकार के 13 माह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि कुशासन और अराजकता
हेमंत सोरेन सरकार के 13 माह के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि कुशासन और अराजकता। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य में अक्षम सरकार है। कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। अराजकता चरम पर है। राज्य सरकार की इस 13 महीने की सबसे बड़ी उपलब्धि कुशासन और अराजकता है। कानून व्यवस्था से हर आम और खास त्रस्त है। चुनाव में किया गया एक भी वादा जमीन पर नहीं दिख रहा है। स्थिति ये है कि सरकार निर्णय लेने में भी अक्षम है। लोग आंदोलन कर रहे हैं। सरकार आलोचना सुनना नहीं चाहती है। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। उक्त बातें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कहीं। वे भाजपा के प्रदेश कार्यालय में हेमंत सोरेन सरकार के 13 माह के कार्यकाल पर पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि राज्य का नेतृत्व कमजोर होने के कारण मुसीबतें पैदा हो रही हैं। राज्य सरकार के पास विकास के लिए न तो नीति है और न ही नियत। यही कारण है कि 13 माह के अल्प समय में ही सरकार के सहयोगी दलों के नेता-विधायक भी सरकार से नाखुश हो गये हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार हर दिन खजाना खाली होने की बात कहती है और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जी कांग्रेस नेताओं से शिष्टाचार मुलाकात के लिए चार्टर्ड प्लेन से नयी दिल्ली जाते हैं। वहां झारखंड भवन छोड़ कर झारखंड सरकार द्वारा भाड़े में लिये गये छह लाख रुपये प्रति माह के बंगले में रहते हैं। क्या सरकारी पैसे का दुरुपयोग नहीं है।

कानून व्यवस्था की स्थिति दयनीय

रघुवर दास ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि राज्य के प्रथम नागरिक राज्यपाल के आवास पर भी पोस्टर चिपका कर दहशत फैलाने का काम किया जा रहा है। कमजोर शासन होने के कारण राज्य में भू-माफिया, जंगल माफिया और खनन माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। राज्य में अवैध खनन जोरों पर है। जंगलों की अवैध कटाई हो रही है। आज राज्य में लोक गायब है और तंत्र हावी है। क्या कारण है कि कोरोना काल में हिंदपीढ़ी जैसा एक छोटा मुहल्ला सरकार संभाल नहीं पाती है। वहां कोरोना वॉरियर और सुरक्षाकर्मियों के साथ दूर्व्यवहार किया जाता है। एफआइआर होती हैस लेकिन कार्रवाई नहीं होती है।

आंदोलन करनेवालों के साथ किया जा रहा अपराधियों जैसे व्यवहार

वहीं दूसरी ओर राज्य में बच्चियों व महिलाओं के साथ प्रतिदिन बढ़ रही दुष्कर्म और हत्या की घटना के खिलाफ आंदोलन करनेवालों के साथ अपराधियों जैसे व्यवहार किया जा रहा है। सत्ता में आते ही सरकार ने अपने मंसूबे साफ कर दिये थे। बिना जांच पत्थलगढ़ी के नाम पर राष्ट्रविरोधी कार्य करनेवालों के खिलाफ किये गये मुकदमें वापस ले लिये गये। इससे अपराधियों, उग्रवादियों, अराजक तत्वों का मनोबल बढ़ गया। इसी का नतीजा है कि आज राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गयी है। कमजोर शासन के कारण झारखंड में सालों के बाद दंगे हुए। लोहरदगा में शांतिपूर्वक निकाले जा रहे जुलूस पर हमला होता है, लेकिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है।

उन्होंने कहा कि राज्य की महिलाओं के सशक्त करने व ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उनकी सरकार ने सखी मंडल की बहनों के द्वारा रेडी टू इट योजना चलाने का निर्णय लिया था। इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने थे। इससे जुड़ी हर महिला को प्रति माह 5-7 हजार रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती। स्थानीय स्तर पर राशन की खरीद होने से स्थानीय दुकानदार भी लाभांवित होते। लेकिन वर्तमान सरकार ने यह कहते हुए इसे बंद कर दिया कि इसका कार्यान्वयन फिलहाल असंभव है।

राज्य सरकार अपने कैबिनेट संलेख में मानती है कि यह योजना बहुत अच्छी है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। कुपोषण भी दूर होगा, लेकिन सरकार अपने बूते इसका कार्यान्वयन नहीं कर पाएगी। लिहाजा इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जानी चाहिए। इससे स्पष्ट है कि सरकार स्वयं मानती है की वह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं के कार्यान्वयन में अक्षम है। वह गांव स्तर पर आटा पीसने-गुथने की छोटी सी मशीन तक नहीं लगवा सकती। अब टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसमें राज्य के बाहर के बड़े ठेकेदार लाभांवित होंगे।

कांग्रेस करती है जबरदस्त वसूली

दास ने कहा कि इस सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी कांग्रेस है। कांग्रेस के एकमात्र ऐसी पार्टी है जो सरकार के अंदर रहे या बाहर से समर्थन करें, जबरदस्त वसूली करती है। अभी हाल ही में कांग्रेस के प्रभारी पर कांग्रेस के ही एक बड़े नेता फुरकान अंसारी जी ने आरोप लगाया कि वह अपने मंत्रियों के माध्यम से वसूली करते हैं। अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और चर्चा है कि कांग्रेस चुनाव लड़ने के लिए पैसों की व्यवस्था में लगी हुई है।

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