Jharkhand: जंगल से कमाई, वन धन केंद्र से जुड़ कामयाबी की दास्तान लिख रहीं महिलाएं

प्रधानमंत्री वन धन योजना का सकारात्मक प्रभाव झारखंड के खूंटी जिले में देखने को मिल रहा है। जिले में इस योजना के तहत दो केंद्र संचालित हैं। इन केंद्रों से कुल छह सौ महिलाएं जुड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 05:49 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 05:49 PM (IST)
Jharkhand: जंगल से कमाई, वन धन केंद्र से जुड़ कामयाबी की दास्तान लिख रहीं महिलाएं
प्रधानमंत्री वन धन योजना का सकारात्मक प्रभाव झारखंड के खूंटी जिले में देखने को मिल रहा है।

खूंटी {दिलीप कुमार}। वन क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय लोगों के आजीविका सृजन को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री वन धन योजना की शुरुआत की है। सरकार का उद्देश्य गांव की महिला समूहों को उद्यमियों में बदलना है। सरकार की इस लाभकारी योजना का सकारात्मक प्रभाव झारखंड के खूंटी जिले में देखने को मिल रहा है। जिले में इस योजना के तहत दो केंद्र संचालित हैं। इनमें एक खूंटी प्रखंड के सिलादोन में और दूसरा मुरहू प्रखंड के पेरका में है। इन केंद्रों में कुल छह सौ महिलाएं जुड़कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है। वन धन केंद्रों में जंगल के उत्पादों को जमा कर उसे प्रोसेसिंग करने के बाद पैकेजिंग कर बाजार में बेचा है। ऐसे में वनोत्पाद पर जीवन-यापन करने वाली जनजातियों को वनेत्पाद पर न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता है।

महिलाएं बनाती है चूड़ी, आचार और केक

खूंटी के सिलादोन गांव स्थित प्रधानमंत्री वन धन केंद्र में तीन सौ महिलाएं जुड़ी हैं। केंद्र से जुड़कर सभी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं। केंद्र का संचालन जेएसएलपीएस की देखरेख में हो रहा है। केंद्र को दो किस्तों में 15 लाख रुपये मिले थे। इस राशि को केंद्र में सामग्रियों की खरीद करने के साथ प्रशिक्षण में खर्च किया गया। यहां महिलाएं ग्रामांचलों के किसानों से लाख खरीदती हैं और उसका प्रोसेसिंग करने के बाद उसे बाजार में बेचती हैं। इसके साथ ही महिलाएं केंद्र में लाह से आकर्षक चूड़ी भी बनाती हैं। केंद्र से जुड़ी महिलाएं वनोत्पाद से आचार और कई प्रकार की सामग्री बनाकर बाजार में बेचती हैं। इनमें इमली का केक, इमली का आचार, आम का आचार, चिरैता, मामबत्ती, अगरबत्ती आदि शामिल हैं।

आमदनी कर रही मिहलाएं

खूंटी महिलाएं अब बेकार सड़ने वाली घास से भी आमदनी कर रही हैं। दरअसल, खूंटी क्षेत्र में जंगल-झाड़ की भरमार है। क्षेत्र में चिरैता यानी कालमेघ बहुतायात में होता है। इस क्षेत्र में चिरैता प्रतिवर्ष सड़कर खत्म हो जाता था। अब महिलाएं वन धन केंद्र के माध्यम से चिरैता को सूखाने के बाद प्रोसेसिंक कर पैकेजिंग कर बाजार में बेच रही हैं। गाय-बैल चराते हुए महिलाएं प्रतिदिन दो से ढाई सौ रुपये कमा रही हैं। वन धन केंद्र पेकरा के मार्केटिंग मैनेजर सुमंजन तिडु बताते हैं कि केंद्र से जुड़ी महिलाओं की समिति करंज, मड़वा, आम, इमली, महुआ व बहेड़ा, आदि खरीदकर उसे झामकोफेड को आपूर्ति करती हैं।

वन धन केंद्र सिलादोन से जुड़ी लाभक महिला लीलावती देवी बताती हैं कि पहले वे घर की चारदीवारी में ही रहती थीं। केंद्र से जुड़ने के बाद उन्होंने चूडृी बनाने का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वह मास्टर ट्रेनर बन गई हैं। अब केंद्र में चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण देती हैं। लीलावती अब प्रतिमाह दस हजार रुपये आमदनी कर रही हैं। वर्ष 2019 से शुरू हुए इस मिशन से जुड़ने के बाद महिलाएं कामयाबी की दास्तान लिख रही हैं। सिलादोन में लाह प्रोसेसिंग प्लांट भी है। यहां महिला जंगल क्षेत्र में मिलने वाले विभिन्न प्रकार के साग को सूखने के बाद उसको पैकेट कर बाजार में बेच रही हैं।

पलाश मार्ट में मिलती है सामग्री

वन धन केंद्र में बनाई गई सामग्री पलाश मार्ट में उपलब्ध रहती है। राज्य के विभिन्न स्थानों में पलाश मार्ट है। पलाश मार्ट में महिला समूहों द्वारा बनाई गई हर प्रकार की सामग्री मिलती है। चूड़ी और वनोत्पाद से बनाई गई विभिन्न प्रकार की सामग्री बेचकर महिला समूह प्रतिमाह करीब 50 हजार रुपये की आमदनी कर रही हैं। ऐसे केंद्रों में जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

जिले में खुलेंगे नौ केंद्र

जेएसएलपीएस के डीपीएम शैलेश रंजन ने बताया कि खूंटी जिले में नौ वन धन केंद्र खोले जाने का प्रस्ताव है। फिलहाल दो केंद्रों के लिए ही राशि मिली है। इसका संचालन किया जा रहा है। जिले के दो केंद्रों में तीन-तीन सौ महिलाएं जुड़ी हैं और रोजगार कर रही हैं। दोनों केंद्रों को अभी और विस्तार दिया जाना है।

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