RIMS: रिम्स में बिना डाइटीशियन की सलाह से मरीजों को परोसा जा रहा भोजन

RIMS रिम्स में भर्ती मरीजों को बिना डाइटीशियन की सलाह के भोजन दिया जा रहा है। प्रबंधन ने खानापूर्ति करने के लिए वैसे डाक्टर को डाइटीशियन का प्रभार दिया है जो पेशे से पीएसएम विभाग में प्रोफेसर हैं। जबकि डाइटीशियन बनने के लिए डाइटिक्स में डिप्लोमा होना जरूरी है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 05:30 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 05:30 PM (IST)
RIMS: रिम्स में बिना डाइटीशियन की सलाह से मरीजों को परोसा जा रहा भोजन
रिम्स में भर्ती मरीजों को बिना डाइटीशियन की सलाह के भोजन दिया जा रहा है।

रांची,जासं। रिम्स में भर्ती मरीजों को बिना डाइटीशियन की सलाह के भोजन दिया जा रहा है। प्रबंधन ने खानापूर्ति करने के लिए वैसे डाक्टर को डाइटीशियन का प्रभार दिया है जो पेशे से पीएसएम विभाग में प्रोफेसर हैं। जबकि डाइटीशियन बनने के लिए डाइटिक्स में डिप्लोमा होना जरूरी है। प्रबंधन ने करीब छह माह पहले ही यहां पर डाइटीशियन का काम कर रही मीनाक्षी को यहां से हटा कर टीचिंग के लिए भेज दिया।

जबकि अस्पताल में इसके अलावा डाइटीशियन है ही नहीं। प्रबंधन की इस लापरवाही का दंश यहां भर्ती मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उनके लिए जो डायट चार्ट डाइटीशियन बनाते थे, वो चाट अब किचन मानिटरिंग कमेटी के सदस्य की ओर से बनाया जा रहा है। इसमें किस मरीज को कौन सी डायट चाहिए, इसकी सही से मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है। हालांकि कमेटी की ओर से मेन्यू तैयार किया गया है, जिसमें सामान्य डायट से लेकर लिक्विड डायट तक शामिल किया गया है।

इस मामले को लेकर रिम्स प्रबंधन के जनसंपर्क पदाधिकारी बताते हैं कि डाइटीशियन का प्रभार पीएसएम विभाग की प्रो डा शालिनी सुंदरम को दिया गया है। उन्होंने माना कि वह डायटीशियन नहीं है। लेकिन इस काम को वे बेहतर तरीके से देख रही हैं। उन्होंने बताया कि जब तक डायटीशियन की नियुक्ति नहीं हो जाती है, तब तक प्रभार चलेगा, इससे मरीजों को कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले जो डायटीशियन थी उन्हें उसके वास्तविक कार्य के लिए भेजा गया है, जहां वह पढ़ा रही हैं।

अस्पताल में 1500 से अधिक मरीज भर्ती

अस्पताल में 1500 से अधिक मरीज विभिन्न वार्ड में भर्ती हैं। जिन्हें अलग-अलग तरह का डायट दिया जाना है। इन मरीजों में सबसे अधिक संख्या न्यूरो व मेडिसिन विभाग में मरीजों की हैं। जहां मरीजों का डायट खास महत्व रखता है। डा अनिल कुमार बताते हैं कि मरीजों को दवा भोजन पर ही निर्भर है। जितना पौष्टिक भोजन होगा, दवा भी उसी के आधार पर काम करेगी। मरीजों की गंभीर हालत देखकर ही उसका डायट तैयार किया जाता है ताकि मरीज जल्द स्वस्थ होकर घर लौट सके।

पहली बार पांच वक्त का भोजन देने की हुई है शुरुआत

मालूम हो कि रिम्स में पहली बार मरीजों को पांच वक्त का भोजन दिया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञ डायटीशियन की सलाह के बिना मरीजों के सेहत से खिलवाड़ हो सकता है। अभी देने वाले डयट में सुबह छह बजे चाय-बिस्किट, नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम को स्नैक्स और रात्रि का भोजन शामिल है। अभी तक मरीजों को सुबह की चाय और शाम को स्नैक्स नहीं मिलता था। प्रबंधन ने इसके लिए नई एजेंसी का चयन कर इसकी जिम्मेदारी जाना इंटरप्राइजेज को पहले ही सौंपी है।

बंद हो गई डाइट कंसल्टेंसी

रिम्स में मरीजों की बीमारी के हिसाब से डाइट चार्ट बनाने का जिम्मा डाइटिशियन का था। वहीं ठीक होने के बाद मरीजों को डाइट के लिए कंसल्ट करने के लिए भी भेजा जाता था। लेकिन 5 महीने से मरीजों की डाइट कंसल्टेंसी भी बंद हो गई है। कई मरीज तो रिम्स के चक्कर लगाते थक जा रहे हैं। फिर भी उन्हें डाइट को लेकर सलाह नहीं मिल पा रही है कि वह क्या खाएं और क्या ना खाएं।

- जाना इंटरप्राइजेज का चयन टेंडर के माध्यम हुआ। पुरानी एजेंसी की पुरानी दर को बदलते हुए नई एजेंसी द्वारा नई दर पर मरीजों को भोजन देने का फैसला किया गया था। नई कंपनी 129 रुपए में प्रति मरीज को भोजन देगी। अभी तक यह दर 100 रुपये थी, जिसमें तीन वक्त का भोजन कराया जाता था। इसमें मरीजों को पौष्टिक भोजन भी देने की बात है, जिसके लिए मानिटरिंग भी कराने का दावा किया जा रहा है।

- डा डीके सिन्हा, रिम्स पीआरओ

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