RIMS Ranchi News: रिम्स में कबाड़ बना फायर फाइटिंग सिस्टम, आग बुझाने वाले यंत्र के नोजल-पाइप उड़ा ले गए चोर

RIMS Ranchi News रिम्स की पुरानी बिल्डिंग में आज तक सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है। नए सुपर स्पेशलिटी विंग में भी आग बुझाने की पूरी व्यवस्था नहीं है। डाक्टरों ने आगजनी की समस्या को देखते हुए कई बार प्रबंधन को लिखित शिकायत की है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 08 Nov 2021 01:26 PM (IST) Updated:Mon, 08 Nov 2021 01:44 PM (IST)
RIMS Ranchi News: रिम्स में कबाड़ बना फायर फाइटिंग सिस्टम, आग बुझाने वाले यंत्र के नोजल-पाइप उड़ा ले गए चोर
RIMS Ranchi News रिम्स की पुरानी बिल्डिंग में आज तक सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है।

रांची, [अनुज तिवारी]। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिविल अस्पताल में आग लगनेसे 11 मरीजों के मौत हो गई। इस घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी झारखंड के सरकारी अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त करने को लेकर कोई पहल नहीं दिख रही है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल माने जाने वाले रिम्स का फायर फाइटिंग सिस्टम भगवान भरोसे है। यदि आज यहां कोई आगजनी की घटना होती है, तो प्रबंधन के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। कोविड-19 केयर सेंटर में फायर फाइटिंग की व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्वत: संज्ञान लेकर आदेश जारी किए थे। इसके बाद झारखंड सरकार ने सभी कोविड-19 अस्पतालों में फायर फाइटिंग की सुविधा दुरुस्त करने से लेकर नोडल अधिकारी बनाने और हर महीने फायर सेफ्टी ऑडिट करने के आदेश दिए थे। लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो पाया।

रिम्स के सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम पर सवाल, रिम्स नहीं है तैयार

रिम्स की पुरानी बिल्डिंग में आज भी सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है। वहीं नए सुपर स्पेशलिटी विंग में भी आग बुझाने की पूरी व्यवस्था नहीं है। आग बुझाने वाले यंत्र के नोजल से लेकर पाइप तक चोर उड़ा ले गए हैं। पांच वर्ष में ही लोहे के पाइप में जंग लग गई है, तो अधिकतर फायर बॉक्स टूट चुके हैं। हालांकि पिछले दो वर्ष से पुरानी बिल्डिंग में सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की कवायद शुरू हुई थी, जो अब तक चल रही है। अभी यहां कछुए की चाल से पाइप लगाने का काम चल रहा है। इस बीच हर फ्लोर व वार्ड में फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर लगाए गए हैं, जिसमें कई सिलेंडर इसी वर्ष जनवरी में नए लगाए गए हैं, जबकि कई पुराने ही लगे हुए हैं, जिसकी जरूरत पड़ने पर समस्या बढ़ सकती है।

डाक्टरों ने भी सुरक्षा को लेकर कई बार दिया है आवेदन

डाक्टरों ने भी आगजनी की समस्या को देखते हुए कई बार प्रबंधन को लिखित शिकायत की है। लेकिन कभी भी इसे दुरुस्त करने की पहल नहीं की गई। ऑनकोलॉजी विभाग के सर्जन डा. रोहित झा बताते हैं कि इस बिल्डिंग के बाहर फायर एक्सटिंग्विशर सड़ा हुआ हालत में पड़ा है। लेकिन कभी भी इसे ठीक नहीं कराया गया। अंदर में जो एक्सटिंग्विशर सिलेंडर लगे हैं, उसमें कई एक्सपायर हैं। इसके अलावा किसी को इसे चलाने की ट्रेनिंग तक नहीं मिली है। बता दें कि रिम्स के ट्रामा सेंटर में फायर फाइटिंग सिस्टम दुरुस्त है।

आइए आपको रिम्स के फायर फाइटिंग सिस्टम से कराते हैं रू-ब-रू

रविवार, समय : दिन के 11:27

स्थान : रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग का सुपरस्पेशलिटी बिल्डिंग

यहां पर हर तल्ले में फायर फाइटिंग सिस्टम की व्यवस्था रखी गई है। पहले तल्ले पर बने फायर बॉक्स की स्थिति काफी खराब है। शीशे टूटे हुए थे, अंदर के भी रस्सी व नोजल अलग-अलग हैं। ऐसे में इससे आग बुझाना कोई आसान काम नहीं दिखता।

समय : दिन के 12:04

स्थान : आंकोलॉजी बिल्डिंग

यहां पर भी दुरुस्त व्यवस्था नहीं दिखी। स्मोक अलार्म लगा जरूर है, लेकिन जब इसकी जांच के लिए माचिस की तिल्ली कई बार जलाकर उसके करीब ले जाया गया तो कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दिखी। यह भी देखने को मिला कि‍ जिस अलार्म के बगल में एलईडी लाइट लगी है, वह ब्लिंक नहीं कर रही और बंद पड़ी है।

समय : 11:20

स्थान : पुरानी बिल्डिंग

यहां पर कई जगहों पर नया फायर एक्सटिंगविशर लगाया गया है, लेकिन इसके साथ ही एक्सपायर एक्सटिंगविशर भी रखे हुए हैं। ऐसे में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल महंगा पड़ सकता है। इसकी तिथि पर नजर डाली गई, तो पाया गया कि पुराना वाला एक्सटिंगविशर 2018, 2020 या अगस्त 2021 में ही एक्सपायर हो चुका है, लेकिन दीवार पर टंगा पड़ा है।

रिम्स में कब-कब लगी है आग

-अगस्त 2018 में रिम्स इमरजेंसी वार्ड में शार्ट सर्किट से लगी थी आग

-दिसंबर 2019 को रिम्स के किचन के बाहर लगी थी आग

-नवंबर 2020 रिम्स के ब्वॉयज हास्टल में लगी थी आग

-2018 को रिम्स के फिजियोथैरेपी विभाग में लगी थी आग

क्या कहते हैं रिम्स निदेशक

रिम्स के निदेशक डा. कामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि फायर फाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए करोड़ों रुपये लगाए गए हैं। अभी हाल में ही फायर एक्सटिंग्विशर लगाने वाली एजेंसी के साथ हर स्थल का निरीक्षण किया गया। जो भी जरूरत बताई गई, उसे पूरा किया जा रहा है। काम सही होने पर ही पार्ट टाइम पेमेंट किया जा रहा है। लेकिन अगर इस तरह की अनियमितता है, तो इसका जल्द ही निरीक्षण करेंगे, उसके बाद ही पेमेंट दिया जाएगा। इसके अलावा पुराने अस्पताल में सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम को दुरुस्त किया जा रहा है। इसके बाद एक साथ सभी बिल्डिंग का एनओसी अग्निशमन निदेशालय से ले लिया जाएगा।

सदर अस्पताल की मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग में अभी तक अग्निशमन की दुरुस्त व्यवस्था नहीं

सदर अस्पताल रांची के नई भवन में अधिकतर फ्लोर अभी भी कोविड मरीजों के इलाज के लिए रिजर्व रखा गया है। हालांकि बेड खाली रहने की वजह से सामान्य मरीजों को भी यहां भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। लेकिन इस मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग में अग्निशमन की दुरुस्त व्यवस्था अभी तक नहीं हो सकी है। यहां पर सेंट्रलाइज फायर फाइटिंग सिस्टम लगाया गया है, लेकिन अभी तक यह सिर्फ हाथी का दांत ही बना हुआ है, इसे पूरी तरह से पंप हाउस से जोड़ा ही नहीं गया है।

हालांकि यहां पर फायर एक्सटिंग्विशर सिलेंडर जरूर लगाए गए हैं, जो अगले वर्ष एक्सपायर होंगे, लेकिन इन सिलेंडर को नियमानुसार हर 20 फीट पर होना चाहिए था, जो नहीं है। इसके साथ ही यहां के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को आपात स्थिति में चलाने की जानकारी भी होनी चाहिए, लेकिन अस्पताल में मौजूद कर्मियों को इसके इस्तेमाल की जानकारी नहीं दी गई है।

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. एस मंडल का कहना है कि अभी सदर अस्पताल में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। फायर फाइटिंग की व्यवस्था दुरुस्त कर बिल्डर को ही करके देना है। बिल्डर के हैंडओवर करने के बाद अग्निशमन निदेशालय से एनओसी के लिए आगे की कार्रवाई होगी।

राजकीय औषधालय डोरंडा

राजकीय औषधालय डोरंडा में सिर्फ एक फायर एक्सटिंग्विशर लगाया गया है। यह अस्पताल करीब 20 बेड का है। यहां पर इलाज अधिकतर सर्जरी फैमली प्लानिंग के अंतर्गत होता है। साथ ही यहां पर कई बीमारियों के लिए निश्शुल्क दवा भी दी जाती है और ओपीडी की भी व्यवस्था है। लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से मौजूदा व्यवस्था इस अस्पताल के लिए कुछ नहीं है।

ऐसी है रिम्स की लचर व्यवस्था

नई बिल्डिंग में पांच साल पहले सेट हुआ फायर फाइटिंग सिस्टम, पर अब तक एक बार भी नहीं हुआ फायर आडिट

इन वर्षों में टेस्टिंग भी नहीं की गई

कोविड को लेकर जो निर्देश दिए गए थे, उसमें भी कोताही बरती गई

स्मॉक अलार्म भी नहीं बजता

रिम्स कर्मियों को एक्सटिंग्विशर सिलेंडर चलाने के लिए नहीं दिया गया है प्रशिक्षण

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