RPF अधिकारी के आवास पर नाबालिग से यौन शोषण मामले में आज बयान दर्ज होने के बाद होगी FIR

पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब के रांची स्थित आवास पर बच्ची से यौन शोषण मामले में आज सीडब्ल्यूसी के समक्ष बयान दर्ज होगा। इसी बयान के आधार पर चुटिया थाने में एफआइआर दर्ज की जाएगी।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 10:52 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 10:52 AM (IST)
RPF अधिकारी के आवास पर नाबालिग से यौन शोषण मामले में आज बयान दर्ज होने के बाद होगी FIR
RPF अधिकारी के आवास पर नाबालिग से यौन शोषण मामले में आज बयान दर्ज होने के बाद होगी FIR। जागरण

रांची, जासं । पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब के रांची स्थित आवास पर बच्ची से यौन शोषण मामले में आज सीडब्ल्यूसी के समक्ष बयान दर्ज होगा। इसी बयान के आधार पर चुटिया थाने में एफआइआर दर्ज की जाएगी। इस मामले पर रांची बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने एक दिन पहले ही संज्ञान लिया है। आरपीएफ के आरोपित जवान शंभु नाथ द्वारा बच्ची का यौन शोषण करने और उसे बर्खास्त करने का मामला सामने आने के बाद उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने इस मामले में केवल विभागीय कार्रवाई की, जबकि उन्हें एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही मामले को सीडब्ल्यूसी के संज्ञान में लाना चाहिए था।

इधर, सीडब्ल्यूसी अब इस मामले में बच्ची के यौन शोषण के अलावा बाल मजदूरी की बिंदू भी जोड़कर देख रही है। चूंकि 14 वर्ष की नाबालिग बच्ची को गलत ढंग से घर में रखकर घरेलू काम करवाया जा रहा था। इसपर बच्ची का बयान आने पर बालश्रम का मामला भी दर्ज किया जा सकता है। इधर, बच्ची से यौन शोषण का मामला सामने आने के बाद सीडब्ल्यूसी ने इसपर स्वत: संज्ञान लिया। इसके बाद अध्यक्ष रूपा वर्मा ने चुटिया थाने की पुलिस के साथ मिलकर बच्ची को रेस्क्यू किया। इसके बाद चाइल्डलाइन की मदद से उसे शेल्टर होम में रखा गया है। इधर, पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के अधिकारियों की ओर से भी विभागीय जांच शुरू की गई है। इसमें उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब की भूमिका की जांच चल रही है।

बड़े अधिकारी होने के बावजूद मामले का दबाया

सीडब्ल्यूसी का मानना है कि रेलवे के बड़े अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने यौन शोषण जैसी गंभीर अपराधी को दबाया। इसके अलावा बाल श्रमिक के रूप में बच्ची को रखा गया। इधर, सीडब्ल्यूसी रांची ने पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए मंगलवार को चुटिया थाने की पुलिस को बच्ची को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है। साथ ही पीड़ित बच्ची को समिति कार्यालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। ताकि पूरे मामले का सच सामने आ सके। फिलहाल बच्ची का कोविड टेस्ट करवाया गया है। रिपोर्ट आने के बाद प्रस्तुत किया जाएगा।

और फूट-फूट कर रोने लगी बच्ची...

नाबालिग लड़की ने प्रारंभिक जानकारी लेने पर सीडब्ल्यूसी को बताया कि वह सितंबर माह से उप मुख्य सुरक्षा आयुक्त के घर रह रही है। उसे रांची के एक युवक ने काम करने के लिए उनके घर पर रखा था। वह गेस्ट हाउस से निकलकर अपने घर जाना चाह रही थी, मगर उसे जाने नहीं दिया जा रहा है। दुष्कर्म के सवाल पर पीड़िता फूट-फूटकर रोने लगी। फिलहाल चुटिया थाने की पुलिस मामले में सीडब्ल्यूसी द्वारा लिए गए बयान के अाधार पर एफआइआर की तैयारी में है। इसके बाद कोर्ट में 164 का बयान दर्ज करवाया जाएगा।

लंबे समय से दुष्कर्म कर रहा था आरोपित जवान

अधिकारी का आरोप है कि आरोपित जवान शंभु नाथ लम्बे समय से पीड़िता के साथ दुष्कर्म कर रहा था।जब मामला हद से आगे बढ़ गया तब पीड़िता ने रेलवे के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी। इधर जवान के बर्खास्त होने के बाद आरोपी शम्भू नाथ ने बताये की उसके ऊपर लगाए गए सारे आरोप निराधार है।वह हर तरह की जांच के लिए तैयार है। गेस्ट हाउस के आसपास के लोगों का कहना था कि अधिकारी का चाल-चलन ठीक नहीं है। पिछले करीब चार वर्षों से गेस्ट हाउस में जमे हैं। वहीं गेस्ट हाउस में काम करने वाले लोगों से भी उनकी नहीं बनती है। गेस्ट हाउस में इतने दिनों से परिवार के साथ रह रहे है।

मामला संज्ञान में आने के बाद बच्ची को रेस्क्यू किया गया। रेलवे अधिकारी ने अपनी जिम्मेवारी का ठीक से निर्वहन नहीं करते हुए पुलिस और सीडब्ल्यूसी के संज्ञान में मामला नहीं लाया गया। बच्ची के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बच्चों के साथ किसी भी तरह का अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। -

रूपा वर्मा, अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी।

खुद की जांच और खुद कर दिया बर्खास्त

यह पूरा मामला गई सवाल खड़े कर रहा है। बच्ची से पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब के आवास पर यौन शोषण का मामला हुआ। मामला सामने आने के बाद अधिकारी ने खुद इसकी जांच की। जांच के बाद जवान को दोषी ठहरा दिया। इसके बाद बर्खास्त भी कर दी। ऐसे में पूरा मामला संदेह के घेरे में है। चूंकि अधिकारी ने किसी दूसरे पदाधिकारी को इसकी जांच की जिम्मेवारी नहीं दी।

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