Jharkhand: दारोगा ने केस डायरी व तथ्यों से छेड़छाड़ कर पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को फंसाया, मामला दर्ज
Political Updates Yogendra Sao Jharkhand Chatra News दोनों दारोगा पर केस डायरी और तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप है। एडीजी सीआइडी की समीक्षा के बाद चतरा एसपी के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हुई। दोनों आरोपित टंडवा थाना कांड संख्या 90/15 तथा 91/15 के अनुसंधानकर्ता हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। चतरा के टंडवा थाने में झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों का अनुसंधान कर रहे दो दारोगा के खिलाफ टंडवा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। दोनों केस वर्ष 2015 का है। इसमें कांड संख्या 90/15 और 91 /15 के अनुसंधानकर्ताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपितों में दरोगा गौरी शंकर तिवारी और सत्येन्द्र कुमार सिंह शामिल हैं। इन पर केस डायरी और तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोपों की पुष्टि हुई है। सीआइडी के पूर्व एडीजी अनिल पालटा ने समीक्षा के बाद इन्हें दोषी पाया और चतरा के एसपी को कार्रवाई का आदेश दिया था।
मामला 2015 में सीसीएल के आम्रपाली कोल परियोजना के विस्थापितों के आंदोलन से संबंधित है। वहां के विस्थापित भूमि अधिग्रहण में अनियमितता को लेकर आंदोलन कर रहे थे। इस मामले में टंडवा थाना में पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को भी आरोपित बनाया गया था। पूर्व मंत्री ने घटना के बाद से लगातार यह आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सत्ता का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ झूठा केस दर्ज करवाया। वे इसकी जांच सीआइडी से कराने की मांग पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं।
वर्तमान सरकार ने उनसे संबंधित पांच मामलों की जांच सीआइडी से कराने का आदेश दिया था। छानबीन में पता चला कि टंडवा थाना कांड संख्या 90/15 तथा 91/15 के अनुसंधानकर्ताओं ने केस डायरी को ही बदल दिया है। इसके आलोक में सीआइडी अनुसंधान के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने चतरा के एसपी को कार्रवाई का आदेश दिया था। इसके बाद ही दोनों अनुसंधानकर्ताओं के खिलाफ टंडवा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
उक्त के आलोक में विधायक अंबा प्रसाद का कहना है कि उनके पिता पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव तथा उनकी मां पूर्व विधायक निर्मला देवी सहित मेरे पूरे परिवार पर जितने भी मामले दर्ज किए गए हैं, चाहे वो केरेडारी थाना कांड सं 33/12 हो या अन्य थानों में दर्ज मामले, सभी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर तथा पद एवं सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री के इशारे पर किया गया है। इसी तरह बड़कागांव थाना में भी कई झूठे मामले दर्ज कर पूर्व मंत्री के ऊपर क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाकर जेल भेजा गया है।
बड़कागांव में पुलिस की गोली से घायल किसानों ने भी पुलिस के ऊपर न्यायालय में केस किया था। उक्त केस में भी अनुसंधानकर्ताओं ने तथ्य की भूल बताकर केस डायरी को बंद कर दिया। इससे प्रतीत होता है कि इन सारे मामलों में योगेंद्र साव तथा उनके पूरे परिवार को फंसाया गया है। अब देखना यह है कि क्या सीआइडी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई तथा निर्दोषों को दोष मुक्त करती है या आर्थिक लाभ लेकर इस तरह के झूठे मामले दर्ज कर केस डायरी में फेरबदल करने वाले पुलिस कर्मियों को बचाती है।