जीएसटी में परिवर्तन की मांग को लेकर फैम ने उपायुक्त के जरिए प्रधानमंत्री को भेजा पत्र

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) का एक प्रतिनिधिमंडल रांची के उपायुक्त छवि रंजन से मुलाकात कर आत्मनिर्भर भारत के लिए जीएसटी में संरचनात्मक परिवर्तन कर नया संस्करण लाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपा।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 12:01 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 12:01 PM (IST)
जीएसटी में परिवर्तन की मांग को लेकर फैम ने उपायुक्त के जरिए प्रधानमंत्री को भेजा पत्र
जीएसटी में परिवर्तन की मांग को लेकर फैम ने उपायुक्त के जरिए प्रधानमंत्री के नाम भेजा पत्र। जागरण

रांची, जासं । फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) का एक प्रतिनिधिमंडल रांची के उपायुक्त छवि रंजन से मुलाकात कर आत्मनिर्भर भारत के लिए जीएसटी में संरचनात्मक परिवर्तन कर नया संस्करण लाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नियम एवं कानून का सरल तथा सहज होना अति आवश्यक है। सरकार द्वारा जैसा पूर्व में कारोबारी सुगमता हासिल करने की लिए अनेकों कानूनों में संरचनात्मक परिवर्तन कर उनके नए संस्करण लाए गए हैं।

राजस्व संग्रह के निर्धारित लक्ष्य हेतु इस प्रकार कर कानून की संरचना की जाए कि कर दाता मजबूरी में नहीं बल्कि स्वेच्छा एवं पूर्ण ईमानदारी के साथ अपने कर दायित्व का निर्वाह कर सके। जुलाई 2017 में देश में सदी के सबसे बड़े टैक्स रिफार्म के रूप में जब जीएसटी को लागू किया गया था। देश ने बड़े उत्साह के साथ नई कर प्रणाली का स्वागत किया था और अपेक्षा की थी कि नई कर प्रणाली सरल होगी, कर चोरी पर रोकथाम लगेगी एवं बिना किसी रुकावट के इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा आदि। छोटे व्यापारियों के लिए वर्तमान जीएसटी प्रणाली एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है। कर अनुपालन इतना पेचीदा हो चला है कि व्यापारी जीएसटी का अनुपालन में अपना आत्मविश्वास खो बैठा है और एक अनजाने डर के चलते कुछ न कुछ गलती कर बैठता है।

यह सर्व विदित सिद्धांत है कि सरल कानून से कर अनुपालन एवं कर संग्रह सदैव ज्यादा होता है। सरकार ने भी करदाताओं की कठिनाइयों को संज्ञान में लेते हुए ,विगत 42 माह में वर्तमान जीएसटी में 1000 के लगभग बदलाव किए है पर कर चोरी एवं फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की घटनाएं भी चरम सीमा पर हैं और दिन प्रतिदिन विभाग इस प्रकार के फर्जीकरण की रोकथाम में लगा हुआ है।

इसके चलते ईमानदार व्यापारी दंडित हो रहे हैं क्योंकि व्यापारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट तब तक नहीं मिलता है, जब तक विक्रेता व्यापारी अपनी विवरणी दाखिल न कर दे, अन्यथा उसकी गलती की सजा उस ईमानदार व्यापारी को मिलेगी जो विक्रेता व्यापारी को अपना पूरा जीएसटी भुगतान कर चुका है। बैंक में फ्रॉड होना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है पर उस फ्रॉड की रकम बैंक अपने जमाकर्ताओं से नहीं वसूलता है, जबकि वर्तमान जीएसटी में किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई कर में धोखाधड़ी की सजा एक ईमानदार व्यापारी को भुगतनी पड़ती है।

वर्तमान जीएसटी में व्यापारी द्वारा की गई अनजाने मानवीय त्रुटि पर सुधार का अवसर देने के स्थान पर सीधा सीधा दंड एवं पंजीकरण रद करने के प्रावधान है। कम्पनीज एक्ट में छोटी कंपनियों पर बड़ी कंपनियों के मुकाबले कम एवं सरल अनुपालन है, इसके ठीक विपरीत जीएसटी में संसाधन से सुसज्जित बड़े उद्योग पतियों में एवं संसाधन रहित छोटे व्यापारी को एक समान अनुपालन करना पड़ता है ,जबकि दोनों की क्षमता एवं इंफ्रास्ट्रक्चर भिन्न भिन्न है। अब यह अति आवश्यक हो गया है कि विगत 42 माह के अनुभव के आधार पर जीएसटी के सभी कानूनों का पुनर्मूल्यांकन कर, संरचनात्मक परिवर्तन कर के जीएसटी का नया संस्करण पुनः लिखा जाए और यही हमारी मांग है। प्रतिनिधिमंडल में फैम के प्रदेश महासचिव दीपेश निराला, प्रदेश मीडिया सेल के चेयरमैन संजय सर्राफ, नीरज कुमार ग्रोवर, जसविंदर सिंह, नीरज भट्ट आदि शामिल थे।

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