चार साल बाद भी देश के टॉप-10 में शामिल नहीं हो सके झारखंड के थाने

रांची देश के टॉप-10 थानों में झारखंड पुलिस अपनी गिनती दर्ज नहीं करा सकी। बेहतर करने वाले थाने को पुरस्कृत करने और थानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में गुजरात के कच्छ में डीजीपी के सम्मेलन में थानों की ग्रेडिग के लिए प्राप्त जानकारी के आधार पर उनके कार्य प्रदर्शन के मूल्यांकन की बात कही थी। प्रत्येक वर्ष होने वाली इस प्रतिस्पर्धा में चार साल बाद भी झारखंड पुलिस अपनी जगह नहीं बना सकी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 09:10 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 09:10 PM (IST)
चार साल बाद भी देश के टॉप-10 में शामिल नहीं हो सके झारखंड के थाने
चार साल बाद भी देश के टॉप-10 में शामिल नहीं हो सके झारखंड के थाने

रांची : देश के टॉप-10 थानों में झारखंड पुलिस अपनी गिनती दर्ज नहीं करा सकी। बेहतर करने वाले थाने को पुरस्कृत करने और थानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में गुजरात के कच्छ में डीजीपी के सम्मेलन में थानों की ग्रेडिग के लिए प्राप्त जानकारी के आधार पर उनके कार्य प्रदर्शन के मूल्यांकन की बात कही थी। इसके लिए मानक भी निर्धारित किया गया था। प्रत्येक वर्ष होने वाली इस प्रतिस्पर्धा में चार साल बाद भी झारखंड पुलिस अपनी जगह नहीं बना सकी है।

राज्य में 606 थाने कार्यरत हैं। एक भी थाना केंद्र सरकार के आदर्श थाने के मानक पर खरा नहीं उतर सका। इन थानों में करीब 280 थाने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हैं। वैसे थाने जहां संपत्ति संबंधित अपराध, महिलाओं के खिलाफ अपराध, कमजोर वर्गों के खिलाफ अपराध, गुमशुदा व्यक्ति, अज्ञात व्यक्ति और अज्ञात शवों के मामलों के निष्पादन को मानक बनाया गया, उसमें पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ व उत्तर प्रदेश के एक-एक थाने आदर्श के मानक पर टॉप-10 में जगह बनाने में सफल रहे।

झारखंड में आदर्श थाने के रूप में दो थानों को ही मुख्य रूप से प्रस्तुत किया जाता रहा है। मॉडल थाने के लिए रांची के लालपुर व उच्च तकनीक से युक्त थाने के लिए कोतवाली रांची का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इन दोनों थानों में भी केंद्र के तय मानक पूरे नहीं होते, जिसके चलते झारखंड टॉप-10 में जगह नहीं बना सका।

-----------------

महिला से संबंधित अपराध रोकने की व्यवस्था नहीं :

राज्य के थानों में महिलाओं से संबंधित अपराध रोकने के लिए कोई विशेष विग कार्यरत नहीं है। कुछ दिन पूर्व डीजीपी एमवी राव ने यह घोषणा की है कि राज्य के 300 थानों में महिला हेल्प डेस्क खोला जाएगा। इसपर खर्च होने वाली राशि केंद्र से निर्गत निर्भया फंड से जारी होगी। इसके अलावा, अब तक किए गए पुलिस के प्रयास कारगर साबित नहीं हो सके। चाहे वह शक्ति एप हो, हेल्पलाइन नंबर हो या फिर कंट्रोल रूम के नंबर। महिलाओं के साथ होने वाले अपराध कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं।

---------------------

आदर्श बनाने की योजना धरातल पर नहीं उतरी :

राज्य के थानों को आदर्श बनाने की वरीय अधिकारियों की योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। आज भी कुछ जगहों से शिकायतें मिलती हैं कि प्राथमिकी दर्ज कराने में पुलिस पीड़ित पक्ष को थाने का चक्कर लगवा देती है। हाल में एक थानेदार का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक लड़की को थप्पड़ जड़ते दिखे थे। जहां इस तरह की घटनाएं हों, वहां आदर्श थाने का अवार्ड कैसे आएगा।

---------------

chat bot
आपका साथी