Jharkhand Cooperative: केसीसी लोन का पूरा पैसा बचत खाते में लौटाया, डीसीओ ने पत्र जारी कर अपने पहले के निर्णय को वापस लिया
Jharkhand Cooperative किसानों के केसीसी लोन के 6.96 लाख रुपये को गलत तरीके से निकालने का मामला प्रकाश में आने के 24 घंटे के अंदर ही पूरा पैसा वापस स्पेशल बचत खाते में डाल देने का आदेश दिया गया। नियमों को ताक पर रख सहकारिता पदाधिकारी ने आदेश दिया था।
रांची,जासं। किसानों के केसीसी लोन के 6.96 लाख रुपये को गलत तरीके से निकालने का मामला प्रकाश में आने के 24 घंटे के अंदर ही पूरा पैसा वापस स्पेशल बचत खाते में डाल देने का आदेश दिया गया। नियमों को ताक पर रख सरायकेला-खरसांवा के जिला सहकारिता पदाधिकारी अशोक तिवारी ने कृषि ऋण के लिए रखे 6.96 लाख रुपये लैंपस के उस ऋण खाता में समायोजित कर बंद कर दिया था,जो डिफॉल्ट हो चुकी थी।
सरायकेला-खरसांवा जिले के गम्हरिया लैंपस के इस खाते को बंद करने के लिए सरकारी आदेश की भी परवाह नहीं की गई थी। इस लैंपस के अध्यक्ष बास्को बेसरा को किसानों के लिए रखे कृषि ऋण की राशि को दूसरे खाते में समायोजित करने के लिए पहले डीसीओ ने स्वीकृति भी दे दी थी, जो नियम विरुद्ध था। इस खबर को दैनिक जागरण में प्रमुखता के साथ प्रकाशित की गई थी, प्रकाशन के 24 घंटे के अंदर ही डीसीओ ने अपने पुराने आदेश को रद करते हुए पैसा नहीं निकालने का आदेश जारी कर दिया। मालूम हो कि बरसो से केसीसी लोन में स्पेशल बचत खाते में राशि पड़ी थी।
पत्र लिख बताया कि सरकारी आदेश की नहीं थी जानकारी :
सरायकेला-खरसांवा के डीसीओ ने लैंप्स अध्यक्ष को पत्र लिख बताया कि आदेश जारी करने के बाद उन्हें पता चला कि यह सरकारी आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने लिखा कि विभागीय आदेश के अनुसार उक्त राशि को किसी दूसरे खाते में हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। साथ ही अगर जरूरत पड़े तो इसके लिए विभागीय अनुमति लेना अनिवार्य है। उन्होंने 2006 के तत्कालीन सचिव के आदेश की कॉपी देते हुए लिखा कि वे अपने पुराने पत्र को संशोधित करते हुए विशेष बचत खाता की राशि को केसीसीसी ऋण खाता में समायोजित करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
इस मामले पर सहकारिता विभाग ने लिया था संज्ञान
राशि को समायोजित करने के आदेश के बाद विभाग ने इसे गंभीरता से लिया था। जिसके बाद इस पूरे मामले को लेकर डिप्टी रजिस्ट्रार राकेश कुमार सिंह ने बताया था कि इस तरह से अगर पैसे को ट्रांसफर किया गया है तो गलत है। ऐसा हाेना उचित नहीं है। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को लेकर जांच कराने को कहा था। साथ ही कहा था कि यह पूरा मामला बैंक के अधीन है इसलिए वहां से पहले इसकी जांच की जाएगी। उसके बाद अगर गलत पाया जाता है तो कार्रवाई होगी।
मालूम हो कि चुनाव लड़ने से पहले अपने डिफाल्ट खाते को बंद करने के लिए लैंपस गम्हरिया अध्यक्ष ने राशि को समायोजित करवाया था। लेकिन आदेश वापस होने के बाद उन्होंने सोमवार को खुद ही राशि की भरपाई कर दी और जिले में संबद्ध सहकारी समितियां के प्रतिनिधियों के चुनाव में उम्मीदवार के रूप में भाग लिए।