झुंड से निकाले जाने से हिंसक हुआ हाथी, पांच दिन में ले ली 10 लोगों की जान Hazaribagh News
Jharkhand News Elephants Attack in Hazaribagh हजारीबाग के बड़कागांव में हाथियों का झुंड अब भी जमा है। बोकारो जंगल में अकेला हाथी है। बताया जा रहा है कि अब हाथी का गुस्सा शांत हो चुका है। विभाग निगरानी कर रहा है।
हजारीबाग, [विकास कुमार]। पिछले 20 दिनों से हिंसक होकर हजारीबाग व गिरिडीह में 10 लोगों की जान ले चुका अकेला हाथी झुंड से बिछड़ा नहीं है, बल्कि उसे निकाल दिया गया था। वर्चस्व की लड़ाई में उसे दल से बाहर जाना पड़ा और इस कार्रवाई से नाराज हाथी हिंसक हो गया, परिणाम सबके सामने है। ये बातें हाथियों के झुंड से अलग हुए हाथी के व्यवहार के अध्ययन में निकल कर सामने आई है।
अभी अकेला हाथी बोकारो जंगल में है और वन विभाग उस पर सघन निगरानी रखे हुए है। हालांकि, झुंड से निकाले जाने के बाद का गुस्सा अब शांत हो गया है। वन विभाग की टीम पिछले 20 दिनों से उसकी हर गतिविधि पर नजर रख रही है और उसकी आगामी गतिविधि के अनुसार नजदीक के गांव को अलर्ट कर हाथी तथा आम लोगों की जान बचाई जा रही है।
झुंड का एक ही होता है मालिक, हस्तक्षेप करने वालों को छोड़ना पड़ता है दल : डीएफओ
डीएफओ आरएन मिश्रा ने बताया कि यह सर्वविदित है कि हाथी झुंड में चलते हैं। उनका एक सरदार होता है, जिसका झुंड पर नियंत्रण होता है। झुंड पर नियंत्रण को लेकर ही हाथियों में वर्चस्व की जंग होती रही है। कभी-कभी यह जंग जानलेवा भी हो जाती है। वर्चस्व की जंग में हार स्वीकार करने वाले हाथी को झुंड तीन से चार सालों के लिए छोड़ना पड़ता है।
हाथी की स्मरण शक्ति काफी मजबूत होती है। वह कभी भी आकर झुंड में मिल सकता है। अमूमन इसमें तीन से चार साल तक का समय लग सकता है। इस हाथी के मामले में हुए अब तक के अध्ययन में ये बातें सामने आई है। चूंकि अब हाथी का गुस्सा शांत हो चुका है। इसलिए वह जंगल में है और आबादी की ओर नहीं जा रहा है।