शिक्षा ऐसी जो देश के सांस्कृतिक इतिहास के बारे में लोगों को बताए

रांची हमें शिक्षा वैसी मिले जो हमारे देश के बारे में बताए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Oct 2019 02:28 AM (IST) Updated:Thu, 24 Oct 2019 02:28 AM (IST)
शिक्षा ऐसी जो देश के सांस्कृतिक इतिहास के बारे में लोगों को बताए
शिक्षा ऐसी जो देश के सांस्कृतिक इतिहास के बारे में लोगों को बताए

जागरण संवाददाता, रांची : हमें शिक्षा वैसी मिले जो हमारे देश के बारे में बताए। हम अपने इतिहास को जानें। सांस्कृतिक इतिहास को सामने रखे, उससे रू-ब-रू कराए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील आंबेकर ने बुधवार को रांची वीमेंस कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी में ये बातें कहीं। अभाविप व रांची विवि छात्र संघ के संयुक्त तत्वावधान में हुई संगोष्ठी में उन्होंने नई शिक्षा नीति-एक विमर्श विषय पर ये बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि हमारा देश हजारों वर्ष से शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। जब हार्वर्ड व कैंब्रिज नहीं था उस समय नालंदा व तक्षशिला था। हमें बताया जाता है कि विज्ञान पश्चिम की देन है। हम इस मामले में जीरो हैं, जबकि सच यह है कि हम जीरो नहीं, बल्कि जीरो देने वाले हैं। वे बुधवार को अभाविप व रांची विवि छात्र संघ के संयुक्त तत्वावधान में रांची वीमेंस कॉलेज में नई शिक्षा नीति- एक विमर्श विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। संचालन अनिकेत अमन व धन्यवाद ज्ञापन कृष्णा मिश्रा ने किया। मौके पर वीसी डॉ. नंद कुमार इंदु, प्राचार्य डा. यूसी मेहता, डॉ. पंकज कुमार, डा. मनोज कुमार, पंपा सेन, विश्वास रत्ना सिंह, संजय महतो, गोपाल कृष्ण दूबे, आशुतोष सिंह, अध्यक्ष नीरज कुमार, सचिव अमीषा सिन्हा, अध्यक्ष प्रणव गुप्ता सहित अन्य थे। ऐसी शिक्षा की जरूरत जिसमें अपने पूर्वजों के योगदान को बताया जाए : सुनील आंबेकर ने कहा कि आजादी के बाद थोड़ा बहुत बदलाव करके आज भी हमारी शिक्षा व्यवस्था वही पुराने ढर्रे पर चल रही है। शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में हमें अपने लोगों के योगदान को नहीं बताया गया। ऐसी शिक्षा की जरूरत है जिसमें हमारे पूर्वजों के योगदान को बताया जाए। हम कटपेस्ट नहीं करेंगे, बल्कि अपने ज्ञान के आधार पर देश का नवनिर्माण करेंगे। उन्होंने कहा कि एक ब्रिटिश रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में विद्यालय थे जहां लड़कियां सहित सभी जाति के लोग पढ़ते थे। मल्टीपल डिसिप्लीन होना पड़ेगा : सुनील आंबेकर ने कहा कि विद्यार्थी देश के भविष्य हैं तो शिक्षा नीति भी इन्हीं को केंद्रित कर बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिंदगी में सफल होना है तो मल्टीपल डिसिप्लीन होना पड़ेगा। यूनिवर्सिटी मल्टी डिसीप्लीनरी बने। 70-80 प्रतिशत मुख्य विषय को व शेष अपनी रुचि के अन्य विषय को पढ़ें। इससे शिक्षा बोरियत नहीं, बल्कि आनंद का उत्सव बनेगा। करिकुलम व एक्सट्रा करिकुलम के अंतर को कम किया जाएगा। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा व स्थानीय भाषा में

सुनील आंबेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा व स्थानीय भाषा में दी जाए। अन्य भाषा सीख सकते हैं, लेकिन इसके लिए दबाव नहीं हो। भाषा का बैरियर खत्म होगा तो हम ऊंचाइयों को छूएंगे फिर विश्व भी भारत माता की जय बोलेगा। उन्होंने कहा कि कक्षा आठ तक न्यूमिरल्स यानी जोड़, भाग, गुणा को अच्छी तरह बताया जाए। डिग्री तीन व चार साल में : राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा आयोग की भी बात चल रही है। डिग्री तीन व चार साल दोनों में मिलेगी। चार साल में नई विधाओं के साथ डिग्री लेकर निकलेंगे। नई शिक्षा नीति आपके व देश के भविष्य की नई नींव रखने जा रही है। इसमें अपनी जरूरत व परिस्थितियों के अनुसार स्थानीय फ्लेवर को जोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि अभाविप जल्द ही रांची सहित झारखंड के स्कूलों को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करेगा। विद्यार्थी पुस्तक से जुड़े रहें : विशिष्ट अतिथि रांची विवि के कुलपति डॉ. रमेश कुमार पाडेय ने कहा कि सोशल मीडिया के इस युग में विद्यार्थियों को पुस्तकों से जुडे़ रहना चाहिए। शिक्षा ऐसी मिले जो व्यक्तित्व में निखार के साथ कलाओं में निपुण बनाए। कहा, शिक्षकों की नियुक्ति को कठोर व पारदर्शी बनाना चाहिए। नई शिक्षा नीति शैक्षणिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सफल होगी। प्राचार्या डॉ. मंजु सिन्हा ने कहा कि शिक्षा का प्रागण ऐसा हो जहां बच्चों में आत्मविश्वास जगे, जिज्ञासा बढे़। पढ़ाई से अधिक महत्वपूर्ण है कि शिक्षा की पद्धति सही होनी चाहिए।

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