उद्योग तो खुले लेकिन अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं

रांची आशीष झा कोविड-19 महामारी के बीच अनलॉक के दौरान प्रदेश में विभिन्न प्रकार के कारोबारों को छूट दी गई। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था को वह रफ्तार नहीं मिल रही जिसकी उम्मीद की जा रही थी। स्पेयर पा‌र्ट्स की मांग कुछ कम होने के बावजूद उत्पादन पूरी रफ्तार से हो रहा है लेकिन हर क्षेत्र में ऐसे हालात नहीं हैं। शादी-विवाह का मौसम भी व्यवसाय जगत को खु्शी दिए बगैर आगे चला गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 03:43 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 06:14 AM (IST)
उद्योग तो खुले लेकिन अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं
उद्योग तो खुले लेकिन अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं

रांची, आशीष झा : कोविड-19 महामारी के बीच अनलॉक के दौरान प्रदेश में विभिन्न प्रकार के कारोबारों को छूट दी गई। इसके बावजूद अर्थव्यवस्था को वह रफ्तार नहीं मिल रही, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। स्पेयर पा‌र्ट्स की मांग कुछ कम होने के बावजूद उत्पादन पूरी रफ्तार से हो रहा है, लेकिन हर क्षेत्र में ऐसे हालात नहीं हैं। शादी-विवाह का मौसम भी व्यवसाय जगत को खु्शी दिए बगैर आगे चला गया।

कपड़ों से लेकर गहनों तक का कारोबार जस का तस पड़ा रहा। दवाओं की खरीदारी तो उसी रफ्तार से जारी है, लेकिन अस्पताल एवं नर्सिंग होम पुरानी रफ्तार से नहीं चल रहे हैं। निर्माण उद्योग में मजदूरों का लौटना शुरू हुआ, तो बालू की किल्लत रुला रही है। सीमेंट और लोहा की कीमतों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होने से बाजार में अभी राहत तो है, लेकिन बड़े निवेशक अभी बिल्डरों से दूर हैं। हां, आवश्यकता के लिहाज से छोटे फ्लैट अवश्य बिक रहे हैं। कुल मिलाकर पिछले एक-दो महीनों में कारोबार को उतनी मजबूती नहीं मिली, जितनी की उम्मीद की जा रही थी।

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष कुणाल आजमानी कहते हैं - सबसे खराब हालात में आतिथ्य सत्कार से जुड़े कारोबार हैं। होटल तो ढंग से खुल भी नहीं पाए और रेस्टोरेंट घरों में पार्सल कर उस स्तर पर कारोबार को नहीं पहुंचा पा रहे हैं, जिस स्तर पर पहले था। चैंबर ऑफ कॉमर्स के आरडी सिंह के अनुसार स्पेयर पा‌र्ट्स जैसी सामग्रियों का उत्पादन चरम स्तर पर पहुंच रहा है। मांग भी पहले की तुलना में 75 फीसद तक पहुंच चुकी है। कपड़ा उद्योग से जुड़े पंकज पोद्दार बताते हैं कि थोक व्यवसाय में पूछताछ बढ़ी है, लेकिन कारोबार नहीं। रिटेल सेक्टर ऐसे भी छटपटा रहा है। कोराबार पूर्व की तुलना में दस फीसद तक नहीं पहुंचा है। राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में निर्माण उद्योग धीमी रफ्तार से बढ़ रही थी, लेकिन बालू को लेकर सरकार की नीति ने रफ्तार को रोक दिया है। इसके बाद भी आवश्यक निर्माण कार्य जारी हैं। बड़े निवेशकों की चुप्पी के बावजूद छोटे-छोटे फ्लैट की मांग पुरानी रफ्तार से बढ़ रही है। हालांकि, इसके महंगा होने का अनुमान भी अभी से लगाया जा रहा है। पत्थर उद्योग अथवा यूं कहें कि गिट्टी उद्योग पर महंगाई का असर पड़ने लगा है। वन विभाग के स्तर से लगाया गया कर और इस दौरान लगभग 20 फीसद लीज का नवीकरण नहीं होना, सबके लिए घातक साबित हो रहा है। पर्यटन उद्योग, टेंट का कारोबार, बैंक्वेट हॉल, सार्वजनिक परिवहन, श्रृंगार प्रसाधन आदि कारोबार अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

इस दौरान व्यवसायियों की मांग पर बुलाई गई एसएलबीसी (स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी) की बैठक में ऋण के लिए ऑफर तो मिला, लेकिन बहुत कम व्यवसायी इसके लिए आगे बढ़े। झारखंड में प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर योजना के लाभुकों की संख्या कम ही रहने का अनुमान लगाया जा रहा है और इस मद में केंद्र से मिली राशि का पूरा सदुपयोग नहीं हो पाने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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कौन सा व्यापार कितना तक पहुंचा :

परिवहन स्पेयर पा‌र्ट्स : 100 फीसद

स्वास्थ्य एवं दवा उद्योग : 60 फीसद

कपड़ा उद्योग : 25 फीसद

निर्माण उद्योग : 40 फीसद

होटल एवं रेस्टोरेंट : 10 फीसद

पर्यटन : 00 फीसद

टेंट, बैंक्वेट हॉल आदि : 10 फीसद

जूता व श्रृंगार प्रसाधन : 05 फीसद

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