Unemployment News: झारखंड में बहार है... 60 से घटकर 11% पर पहुंची बेरोजगारी...

Unemployment News Jharkhand Economic Survey 2021 पिछले वर्ष लॉकडाउन से पहले जनवरी तथा फरवरी माह में बेरोजगारी की दर क्रमश 10.6 तथा 11.8 फीसद थी। मार्च में यह दर 8.2 फीसद बढ़ गई। पिछले साल अप्रैल में यह दर बढ़कर 47.1 तथा अप्रैल में सबसे अधिक 59.2 फीसद हो गई।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 08:08 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 08:11 AM (IST)
Unemployment News: झारखंड में बहार है... 60 से घटकर 11% पर पहुंची बेरोजगारी...
Unemployment News, Jharkhand Economic Survey 2021: लॉकडाउन के कारण झारखंड में बेरोजगारी बढ़ गई थी।

रांची, राज्य ब्यूरो। Unemployment News, Jharkhand Economic Survey 2021 कोरोना के कारण लॉक डाउन लागू होने के कारण झारखंड में भी बेरोजगारी बढ़ गई थी। राहत की बात यह है कि अब यह पटरी पर आ गई है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य में पिछले वर्ष लॉकडाउन से पहले जनवरी तथा फरवरी माह में बेरोजगारी की दर क्रमश: 10.6 तथा 11.8 फीसद थी। मार्च में यह दर 8.2 फीसद बढ़ गई।

पिछले साल अप्रैल में यह दर बढ़कर 47.1 तथा अप्रैल में सबसे अधिक 59.2 फीसद हो गई। इसके बाद लॉकडाउन में रियायतें मिलने के बाद बेरोजगारी दर में लगातार कमी आने लगी। जून में बेरोजगारी दर में 20.9 फीसद तथा जुलाई में 7.6 फीसद की कमी आई। पिछले साल अगस्त माह में बेरोजगारी दर घटकर 9.8 फीसद तथा सितंबर में 9.3 पीसद हो गई। इसी तरह, नवंबर तथा दिसंबर माह में यह दर क्रमश: 0.5 तथा 12.4 फीसद रही। इस साल जनवरी माह में बेरोजगारी दर 11.3 फीसद रही जो पिछले साल जनवरी माह की दर से लगभग समान है। 

मनरेगा की प्रगति रही प्रभावशाली

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सृजित किए गए कार्यों का भी उल्लेख किया गया है। स्पष्ट कहा गया कि लोगों को संकट की घड़ी में रोजगार मुहैया कराने में मनरेगा खासी प्रभावशाली योजना रही। जनवरी-21 तक मनरेगा के तहत 961 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित किए गए जो वर्ष 2019-20 में सृजित 642 लाख मानव दिवस से 49 प्रतिशत अधिक हैं। इतना ही नहीं मनरेगा के तहत में 9.2 हजार दिव्यांगों ने भी काम किया।

दुग्ध उत्पादन में 13 प्रतिशत, मत्स्य में 18 प्रतिशत रही वृद्धि दर

कृषि क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ बागवानी और पशुपालन के तहत राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लोगों को मिल रहा है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि फलों के उत्पादन में पिछले पांच सालों में पांच प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा रही है। राज्य में दुग्ध का उत्पादन में 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता हुआ 25 लाख टन हो गया। मस्त्य उत्पादन में 18 प्रतिशत की सराहनीय वृद्धि हुई है और यह बढ़कर 2.23 लाख टन हो गया।

पाइप लाइन से पेयजल की पहुंच महज दस फीसद तक सीमित

झारखंड में पाइप लाइन से ग्रामीणों को पानी पहुंचाने की कवायद के कुल जमा परिणाम सुखद नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि तमाम कोशिशों के बाद भी चुनौतियां बनीं हुईं हैं। झारखंड में केवल 10.73 प्रतिशत घरों में ही पाइप वॉटर सप्लाई पहुंची है, जो कि राष्ट्रीय औसत 33.47 फीसद से काफी नीचे है। रिपोर्ट में पानी की आपूर्ति में ऐसी असमानता के लिए चिंता जताई गई है। इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि इस मद में केंद्र सरकार के स्तर से समय से राश जारी नहीं हो रही है। इस वर्ष के लिए आवंटित फंड 572.24 करोड़ के सापेक्ष अब तक महज 143.06 करोड़ की राशि जारी की गई है।

शहरी क्षेत्रों में 67899 परिवारों को मिले प्रधानमंत्री आवास

शहरी क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबों को पक्का आवास मुहैया कराने का बड़ा माध्यम बनता जा रहा है। झारखंड में 21 फरवरी 2021 तक शहरी क्षेत्र के 67899 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल चुका था। सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करते हुए यह तथ्य भी स्वीकार किया है कि शहरी क्षेत्रों में आवास, पानी, स्वच्छता और अन्य बुनियादी सेवाएं पूरी तरह से मिल नहीं पा रही है और इसका एक अहम कारण रहा है शहरों का अनियोजित तरीके से विकास होना। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के शहरी क्षेत्रों में 95 फीसद आवास डोर-टू-डोर कचरा संग्रह के दायरे में आ गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 2.4 फीसद आवासों में परिवारों को पीने के पानी के लिए आधा से एक किमी दूर तक जाना पड़ता है। महज 52.1 फीसद आवासों में आवासीय इकाइयों के भीतर पेयजल का स्रोत है। इसी प्रकार 54.9 प्रतिशत शहरी घरों में ही अपना स्नानागार है। दिसंबर 2020 तक 17921 विक्रेताओं की पहचान की गई थी जो शहरी क्षेत्रों में फुटपाथ पर दुकानें चलाते हैं। इनमें से 1095 विक्रेताओं को आइडी कार्ड मिल गया है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के लिए लक्षित लाभुकों की संख्या 39400 है। प्राप्त आवेदनों की कुल संख्या में से 43.4 प्रतिशत के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।

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