RIMS Ranchi: जनऔषधि केंद्र के री-टेंडर में फिर लगा ग्रहण, मरीजों को अभी नहीं मिलेगी राहत
RIMS Ranchi हाई कोर्ट की फटकार के बाद भी प्रबंधन द्वारा अभी तक जनऔषधि केंद्र का टेंडर फाइनल नहीं किया जा सका है। रिम्स द्वारा निकाले गए टेंडर में कई गलतियों को लेकर प्रबंधन से कुछ एजेंसियों ने शिकायत की है।
जासं, रांची : रिम्स में जनऔषधि केंद्र के टेंडर का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है और मरीजों को राहत मिलती नहीं दिख रही। हाई कोर्ट की फटकार के बाद भी प्रबंधन द्वारा अभी तक टेंडर फाइनल नहीं किया जा सका है। रिम्स द्वारा निकाले गए टेंडर में कई गलतियों को लेकर प्रबंधन से कुछ एजेंसियों ने शिकायत की है। शिकायत में कहा गया है कि जो टेंडर निकाला गया है उसमें सिर्फ बड़े दवा सप्लायर को ही लाभ देने का प्रयास किया जा रहा है।
दोबारा जो टेंडर निकाला गया है उसमें एक नया कॉलम दिया गया है जिसमें पूछा गया है कि आवेदक जन औषधि की दवा में कितनी छूट दे सकता है। जबकि इन लोगों द्वारा दी गई शिकायत में कहा गया है कि जन औषधि दवाओं में अधिक छूट देने की व्यवस्था नहीं है, जिसे आम दुकानदार या एजेंसी नहीं दे सकते हैं। लेकिन अगर बड़े थोक सप्लायर दवा दुकान चलाना चाहे तो वो पांच प्रतिशत तक छूट दे सकता है। ऐसे में सप्लायर के लिए ही यह टेंडर निकालने जैसी साजिश की गई है।
प्रबंधन फिलहाल इस शिकायत की जांच कर रहा है और इसे आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित पदाधिकारी को भेज दिया गया है। प्रबंधन के पीआरओ डा डीके सिन्हा ने बताया कि जो टेंडर निकाला गया है उसमें सुधार कर ही निकाला गया है। इसमें पूरी पारदर्शिता रखी गई है ताकि कुछ गलत ना हो सके। इसके अलावे जो भी आपत्ति दर्ज की गई होगी उस पर प्रबंधन जरूर संज्ञान लेगा और इस बारे में स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। फिलहाल ई टेंडर भरने की प्रक्रिया ऑनलाइन जारी है।
दूसरी ओर प्रबंधन ने 24 घंटे खोलने का निर्देश जारी कर चुका है, इसके बाद भी दुकान खोलने को लेकर चुनौती आ खड़ी हुई है। दुकान में कर्मचारियों की कमी के बाद समस्या खड़ी हो गई है। दूसरी ओर जो स्टाफ की व्यवस्था की गई है वो भी आधी रात दुकान छोड़ भाग जाते हैं। इस पर दवा दुकान के इंचार्ज अमित कुमार बताते हैं कि कुछ स्टाफ रात भर काम नहीं कर रहे हैं। इसके अलावे दुकान में अधिकतर दवाएं नहीं है। मालूम हो कि इस स्थिति के बाद रिम्स में हर दिन आने वाले व भर्ती होने वाले 4400 मरीजों को जेब से ब्रांडेड दवा खरीदने के लिए खर्च करना पड़ रहा है।
जरूरत है अतिरिक्त 14 कर्मियों की
जन औषधि केंद्र में आठ फार्मासिस्ट और सात कंप्यूटर ऑपरेटर को लगाया गया है। जबकि कार्यरत कर्मियों के हिसाब से कुल 28 लोगों की और जरूरत है। संचालक अमित बताते हैं कि जब तक पर्याप्त संख्या में कर्मी उपलब्ध नहीं होंगे तब तक दुकान को अच्छे ढंग से चलाने में समस्या आएगी। तीन पालियों में दुकान खोलने का रोस्टर बनाया गया है। जिसके लिए कर्मियों की संख्या कम है।
दवा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है
रिम्स के जन औषधि केंद्र में लंबे इंतजार के बाद 270 तरह की दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जिसके बाद से दवा की सप्लाई लगभग बंद हो गई है। दुकान में विटामिन, पैरासिटामोल, दर्द, मधुमेह व बीपी की दवाएं पर्याप्त मात्रा में है, इंजेक्शन में विटामिन व गैस का उपलब्ध कराया गया है। लेकिन एंटीबायोटिक व अन्य इंजेक्शन-दवा का टोटा है।