E-Rickshaw : बैटरी की रफ्तार ने बढ़ाई पैरों की रफतार की मुश्किलें, ई-रिक्शा के आगे गुम हो गई साइकिल रिक्शा

E-Rickshaw In Koderma अब तीन पहिये वाले साइकिल रिक्शा की जगह टोटो (E-Rickshaw) ने ले ली है। झुमरीतिलैया(Jhumritilaiya) शहर में टोटो का कारवां बढ़ता जा रहा है। फिलहाल 350 टोटो का परिचालन है साइकिल रिक्शा की संख्या सिमटती जा रही है।

By Sanjay KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 05:15 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 05:15 PM (IST)
E-Rickshaw : बैटरी की रफ्तार ने बढ़ाई पैरों की रफतार की मुश्किलें, ई-रिक्शा के आगे गुम हो गई साइकिल रिक्शा
E-Rickshaw : बैटरी की रफ्तार ने बढ़ाई पैरों की रफतार की मुश्किलें, ई-रिक्शा के आगे गुम हो गई साइकिल रिक्शा

कोडरमा (संवाद सहयोगी)। E-Rickshaw In Koderma : बदलते दौर की जरूरत कहें या वक्त की मार, अब तीन पहिये वाले साइकिल रिक्शा की जगह टोटो (E-Rickshaw) ने ले ली है। शहर से लेकर गांव तक ई-रिक्शा (ToTo) की भरमार है और सवारी के इंतजार में पैडल रिक्शा चालक इक्के-दुक्के नजर आते हैं। पर्यावरण संरक्षण(Environment Protection की दिशा में बैटरी चलित रिक्शा(Battery Operated Rickshaw) की मांग और जरूरत दोनों बढ़ी है। इसका दुष्परिणाम साइकिल रिक्शा(Cycle Rickshaw) चालक भुगतने को मजबूर हैं।

जिले में फिलहाल 350 टोटो का परिचालन:

झुमरीतिलैया(Jhumritilaiya) शहर में टोटो का कारवां बढ़ता जा रहा है। जिले में फिलहाल 350 टोटो का परिचालन हो रहा है, वहीं साइकिल रिक्शा की संख्या लगातार सिमटती जा रही है। दो साल पहले तक सैकड़ों रिक्शा चालक पहाड़पुर और बरही-बगोदर से झुमरीतिलैया शहर में भाड़े के मकान में रहकर प्रतिदिन रिक्शा का परिचालन कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। वहीं अब साइकिल रिक्शा की मांग बेहद कम हो गई है।

मुख्य डाकघर के समीप साइकिल रिक्शा के मैकेनिक राजू पंडित ने बताया कि कुछ समय पहले तक उनके अधीन 40 रिक्शा हुआ करता था। रिक्शा चलाने वाले दूर-दराज से आकर भाड़े पर उनका रिक्शा ले जाया करते थे। आज न तो रिक्शा चालक आते है और न ही साइकिल रिक्शा को सवारी मिलते हैं। धीर-धीरे कर उनके अधीन रिक्शा की संख्या भी सिमट रही है।

दो सालों में बढ़ी टोटो की संख्या:

दो सालों में टोटो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना काल में टोटो आमदनी का बेहतर जरिया बनकर उभरा है। कोरोना काल में जो लोग बेरोजगार हुए, वे टोटो की हैंडल थाम आमदनी को रफ्तार देने में जुटे हैं। टोटो चालक सोमनाथ सेन, संतोष डे ने बताया कि कोरोना काल में जब उनका रोजगार कोविड नियमों के कारण कारोबार बंद पड़ गया था, तब आमदनी के एकमात्र विकल्प के रूप में टोटो सामने आया। कोरोना काल के शुरुआती चरण में लोग सड़कों पर कम नजर आते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य होता जा रहा है और बेहतर आमदनी हो रही है।

20 रुपये में सुभाष चौक से महाराणा प्रताप चौक:

आमलोगों की जरूरत के हिसाब से भी टोटो का सफर फायदेमंद साबित हो रहा है। झुमरीतिलैया के सुभाष चौक से लेकर महाराणा प्रताप चौक के सफर के लिए आपको सिर्फ 20 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। आपको इस साढ़े तीन किलोमीटर के सफर के अलावे गली-मुहल्ले में अपने घरों तक सीधे पहुंचना है तो किराये की दर बढ़ेगी। साइकिल रिक्शा से यह सफर आपेक्षाकृत महंगा पड़ेगा। लोगों को भी टोटो की आदत पड़ चुकी है।

महज 10 रुपये में प्रति सवारी भी किया जा सकता है टोटो का सफर:

ज्यादातर लोग टोटो चालक के फोन नंबर भी अपने पास रखते हैं और एक फोन पर टोटो चालक हाजिर भी हो जाते हैं। विशेष बुकिंग होने पर टोटो चालक शहर से बाहर अस्पताल, कालेज और शहर से बाहर मंदिर-मस्जित तक भी जाते हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से शहर के इस पार और उस पार जाने के लिए महज 10 रुपये में प्रति सवारी भी टोटो का सफर किया जा सकता है।

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