बंगाल पर डीवीसी मेहरबान, झारखंड के लिए अलग फरमान
दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर अक्सर झारखंड के हितों की उपेक्षा का आरोप लगता है। यह स्थिति तब है जब दामोदर घाटी निगम राज्य के संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग करता है।
प्रदीप सिंह, रांची : दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर अक्सर झारखंड के हितों की उपेक्षा का आरोप लगता है। यह स्थिति तब है जब दामोदर घाटी निगम राज्य के संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग करता है। इसमें राज्य के मौजूदा जलाशयों का उपयोग बिजली उत्पादन में करना शुमार है। झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा उपयोग करने की वजह से यह राजनीतिक मांग भी उठती है कि दामोदर घाटी निगम का मुख्यालय पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की बजाय रांची या धनबाद किया जाए।
कोलकाता में मुख्यालय रहने की वजह से वहां के उद्यमियों को जो फायदा अथवा राहत मिलती है उससे झारखंड के उद्यमी वंचित रह जाते हैं। ताजा मामला विभिन्न उद्योगों के लिए लगने वाले एचटी कनेक्शन के सालाना फिक्स डिपाजिट का है। बीते 28 मई को झारखंड विद्युत नियामक आयोग ने दामोदर घाटी निगम के टैरिफ पीटिशन को मंजूरी दी थी। उसमें सालाना फिक्स चार्ज नहीं देने की स्थिति में डेढ़ प्रतिशत मासिक दंड का प्रावधान निर्धारित किया गया था।
इसमें किश्तों में राशि जमा करने का कोई प्रावधान नहीं था, जबकि पश्चिम बंगाल में डीवीसी उद्योगों को फिक्स डिपाजिट के लिए किश्तों में भुगतान की सुविधा देता है। इसपर दामोदर घाटी के कमांड एरिया में आने वाले एचटी उपभोक्ताओं ने आपत्ति जताते हुए राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की।
झारखंड ने किया हस्तक्षेप तो मिली उद्यमियों को राहत
डीवीसी के इस प्रावधान पर झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने हस्तक्षेप किया। एचटी उपभोक्ताओं की याचिका पर आयोग ने पूरे मामले की सुनवाई की। आयोग ने दोनों पक्षों को इस बात के लिए सहमत किया कि वे पश्चिम बंगाल के अनुरूप किश्तों में झारखंड के उद्यमियों के लिए भी भुगतान का प्रावधान करें। उद्यमियों की दलील थी कि डीवीसी दोहरा रवैया अपना रही है, पश्चिम बंगाल में उद्यमियों को दंड नहीं चुकाना पड़ता है। इसी आधार पर उद्यमियों ने मांग उठाई कि किश्तों में सिक्योरिटी डिपॉजिट ली जाए और इसमें दंड भुगतान का प्रावधान समाप्त किया जाए।
विद्युत नियामक आयोग ने इसपर सुनवाई करते हुए कहा कि जब उद्यमी और दामोदर घाटी निगम दोनों इस बिंदु पर सहमत हैं तो इस याचिका को निष्पादित करना ही उचित होगा याचिका में यह भी कहा गया है कि दंड सिक्योरिटी डिपाजिट के पैसे जमा नहीं करने की स्थिति में लिया जाए। अगर उपभोक्ता 12 किश्तों में पैसे जमा करने को तैयार हैं तो ऐसी स्थिति में दंड का प्रावधान नहीं होना चाहिए। आयोग ने इसी के साथ याचिका को निष्पादित कर दिया।
झारखंड में डीवीसी के कमांड जिले
दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) झारखंड के सात जिलों में बिजली की आपूर्ति करती है। इसमें एचटी उपभोक्ता शुमार है। यह आपूर्ति महत्वपूर्ण औद्योगिक इकाईयों में होती है। डीवीसी के कमांड वाले जिलों में चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, बोकारो शामिल हैं।
कोलकाता में मुख्यालय रहने की वजह से वहां के उद्यमियों को जो फायदा अथवा राहत मिलती है उससे झारखंड के उद्यमी वंचित रह जाते हैं। ताजा मामला विभिन्न उद्योगों के लिए लगने वाले एचटी कनेक्शन के सालाना फिक्स डिपाजिट का है। बीते 28 मई को झारखंड विद्युत नियामक आयोग ने दामोदर घाटी निगम के टैरिफ पीटिशन को मंजूरी दी थी। उसमें सालाना फिक्स चार्ज नहीं देने की स्थिति में डेढ़ प्रतिशत मासिक दंड का प्रावधान निर्धारित किया गया था।
इसमें किश्तों में राशि जमा करने का कोई प्रावधान नहीं था, जबकि पश्चिम बंगाल में डीवीसी उद्योगों को फिक्स डिपाजिट के लिए किश्तों में भुगतान की सुविधा देता है। इसपर दामोदर घाटी के कमांड एरिया में आने वाले एचटी उपभोक्ताओं ने आपत्ति जताते हुए राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की।
झारखंड ने किया हस्तक्षेप तो मिली उद्यमियों को राहत
डीवीसी के इस प्रावधान पर झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग ने हस्तक्षेप किया। एचटी उपभोक्ताओं की याचिका पर आयोग ने पूरे मामले की सुनवाई की। आयोग ने दोनों पक्षों को इस बात के लिए सहमत किया कि वे पश्चिम बंगाल के अनुरूप किश्तों में झारखंड के उद्यमियों के लिए भी भुगतान का प्रावधान करें। उद्यमियों की दलील थी कि डीवीसी दोहरा रवैया अपना रही है, पश्चिम बंगाल में उद्यमियों को दंड नहीं चुकाना पड़ता है। इसी आधार पर उद्यमियों ने मांग उठाई कि किश्तों में सिक्योरिटी डिपॉजिट ली जाए और इसमें दंड भुगतान का प्रावधान समाप्त किया जाए।
विद्युत नियामक आयोग ने इसपर सुनवाई करते हुए कहा कि जब उद्यमी और दामोदर घाटी निगम दोनों इस बिंदु पर सहमत हैं तो इस याचिका को निष्पादित करना ही उचित होगा याचिका में यह भी कहा गया है कि दंड सिक्योरिटी डिपाजिट के पैसे जमा नहीं करने की स्थिति में लिया जाए। अगर उपभोक्ता 12 किश्तों में पैसे जमा करने को तैयार हैं तो ऐसी स्थिति में दंड का प्रावधान नहीं होना चाहिए। आयोग ने इसी के साथ याचिका को निष्पादित कर दिया।
झारखंड में डीवीसी के कमांड जिले
दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) झारखंड के सात जिलों में बिजली की आपूर्ति करती है। इसमें एचटी उपभोक्ता शुमार है। यह आपूर्ति महत्वपूर्ण औद्योगिक इकाईयों में होती है। डीवीसी के कमांड वाले जिलों में चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, बोकारो शामिल हैं।
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