Durga Puja Special: यहां नवरात्र पर दी जाती है शाकाहार बलि, चोरी गई प्रतिमा मिलने पर बकरे की बलि पर लगा प्रतिबंध
Bhadrakali Temple Chatra Jharkhand News इटखोरी के भद्रकाली मंदिर में 1968 के पहले बकरे की बलि दी जाती थी। अब नवरात्र के अनुष्ठान में यहां शाकाहार बलि दिया जाता है। मंदिर परिसर के होटलों में प्याज व लहसुन के सेवन पर पाबंदी है।
इटखोरी (चतरा), [संजय शर्मा]। घटनाओं से सिर्फ इंसान ही प्रभावित नहीं होता है, बल्कि घटनाएं कभी-कभी परंपरागत मान्यताओं की धारा को भी बदल देती है। इटखोरी के ऐतिहासिक मां भद्रकाली मंदिर परिसर में मूर्ति चोरी की घटना ने मंदिर में पशु बलि अर्पित करने की परंपरा में बहुत बड़ा बदलाव ला दिया है। कहने और सुनने में भद्रकाली मंदिर की पूजा पद्धति में आया यह बदलाव भले ही छोटा लगता है, लेकिन धार्मिक परंपरा के दृष्टिकोण से यह बदलाव काफी बड़ा था।
महाने एवं बक्सा नदी के संगम पर बारह सौ वर्ष पहले नौवीं-दसवीं शताब्दी काल में बसाई गई इस धार्मिक नगरी में छह दशक पहले तक मन्नत पूरी होने की खुशी में श्रद्धालु बकरे की बलि अर्पित किया करते थे। निश्चित रूप से मंदिर में पशु बलि अर्पित करने की यह परंपरा पहले से चली आ रही होगी। लेकिन वर्ष 1968 में मूर्ति चोरी की घटना ने इस ऐतिहासिक मंदिर में बलि अर्पित करने की परंपरा के स्वरूप को पूरी तरह बदल कर रख दिया।
दरअसल चोरी हो जाने के पश्चात मां भद्रकाली की मूर्ति कोलकाता से बरामद हो गई। कोलकाता से मूर्ति चतरा लाई गई तो स्थानीय लोगों में माता के प्रति आस्था और गहरी हो गई। लोगों ने इस ऐतिहासिक मंदिर परिसर को विकसित करने के साथ मंदिर की धार्मिक परंपराओं के बदलाव पर भी कई निर्णय लिए। इसमें एक महत्वपूर्ण निर्णय यह भी था कि अब से मंदिर परिसर में बकरे की बलि अर्पित नहीं की जाएगी।
इस निर्णय को मंदिर के पुजारियों के साथ श्रद्धालु भक्तों ने भी बिना किसी विरोध के स्वीकार कर लिया। तब से आज तक मां भद्रकाली मंदिर में बकरे की बलि अर्पित नहीं की गई है। इसके बदले मंदिर में शाकाहार बलि अर्पित करने की नई धार्मिक परंपरा का शुभारंभ हुआ। अब आम दिनों में इस ऐतिहासिक मंदिर परिसर में नारियल की बलि अर्पित की जाती है। जबकि नवरात्र के पावन अवसर पर भक्त माता को कुष्मांड (भतुआ), ईख व फलों की बलि अर्पित करते हैं।
मां भद्रकाली मंदिर में शाकाहार बलि अर्पित करने की नई परंपरा ने मंदिर परिसर में संचालित होटलों के व्यंजन से प्याज व लहसुन जैसे तामसी खाद्य पदार्थों को भी दूर कर दिया। मंदिर परिसर के किसी भी होटल में शाकाहारी व्यंजन में प्याज व लहसुन नहीं मिलाया जाता है।