Domestic Violence: 2020 में घरेलू हिंसा के आंकड़े हुए कम, लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मामले आए सामने

Domestic Violence Crime Against Women Jharkhand Hindi News रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 7630 मामले सामने आए हैं। घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाएं कुछ भी कहने से हिचकती हैं। शराब पीना नौकरी जाना इसके मुख्‍य कारण हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:27 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:38 AM (IST)
Domestic Violence: 2020 में घरेलू हिंसा के आंकड़े हुए कम, लॉकडाउन में सबसे ज्यादा मामले आए सामने
Domestic Violence, Crime Against Women, Jharkhand Hindi News घरेलू हिंसा की शिकार हुई महिलाएं कुछ भी कहने से हिचकती हैं।

रांची, जासं। यदि किसी महिला को उसका पति मारता-पीटता है, तो लोग उसे घरेलू हिंसा कहते हैं। लेकिन वही महिला अपने पति द्वारा मानसिक, शारीरिक, मौखिक तथा आर्थिक रूप से प्रताड़ित होती है, तो कोई उसे हिंसा नहीं कहता, बल्कि पति-पत्नी के आपस की बात कहा जाता है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 7630 मामले सामने आए हैं। इनमें से 857 मामले घरेलू हिंसा के हैं। हालांकि, वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में इन मामलों में गिरावट हुई है। 2019 में घरेलू हिंसा के 1426 मामले सामने आए थे, जो साल 2020 में घटकर 857 हो गए। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि ये मामले लाॅकडाउन में सबसे ज्यादा दर्ज हुए। दर्ज मामलों में मानसिक, शारिरिक, मौखिक तथा आर्थिक प्रताड़ना भी शामिल है।

औरतें ये मान लेती हैं कि घरेलू हिंसा उनके जीवन का हिस्सा है

कोकर स्थित भारती हॉस्पिटल की डा. करुणा झा का कहना है कि हमारे अस्पताल में कई महिलाएं आती हैं, जो घरेलू हिंसा का शिकार हुईं हैं। मगर वह कुछ बताने से हिचकती हैं। 2020 में हुए लॉकडाउन के दौरान पति द्वारा पत्नियों को काफी प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है। इसके पीछे की वजह है, पति की नौकरी छूट जाना। नौकरी छूट जाने के कारण पति का शराब पीकर आना और फिर पत्नी से झगड़ा करना। कभी-कभी विवाद इतना बढ़ जाता है कि बात हाथापाई तक पहुंच जाती है।

डा. करुणा बताती हैं कि पैसों की कमी, घर का काम, बच्चों का स्कूल छूट जाना और पति द्वारा प्रताड़ित होना, इन सबसे महिलाएं काफी आहत होती हैं। इसके कारण वे अवसाद का शिकार हो जाती हैं। आंकड़े चाहे जितने भी हों, अभी भी कई महिलाएं इस हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने से कतराती हैं। वे इन प्रताड़ना को अपने जीवन का हिस्सा मान लेती हैं और किसी को भी अपनी पीड़ा बताने से हिचकती हैं।

शारीरिक चोट तो दिख जाते हैं मगर नहीं दिखता मानसिक तनाव

कई बार अवसाद बढ़ जाने के कारण महिलाएं अपनी जान तक दे देती हैं। कई मामले ऐसे होते हैं, जो कभी थाने तक पहुंच ही नहीं पाते और कई चोटें ऐसी जो महिलाएं किसी को दिखाने से डरती हैं। शरीर का चोट तो लोगों को दिख जाता है किंतु मानसिक चोट न कोई देख सकता है और न ही कोई महसूस कर सकता है। साल 2019 के मुकाबले 2020 में घरेलू हिंसा के मामले भले कम हों, लेकिन और भी कई ऐसे मामले होंगे, जो आंकड़ों की गिनती में पहुंच ही नहीं पाते हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने 2020 में हुए कुल अपराधों की सूची जारी की है। जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के साथ हो रहे अपराध के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। साल 2019 में महिलाओं के साथ हुए अपराध के 4,05,326 मामले सामने आए थे। वहीं 2020 में 3,71,503 मामले सामने आए हैं, जिनमें 28,153 दुष्कर्म के मामले सामने आए।

झारखंड का आंकड़ा

राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 7630 मामले सामने आए हैं। साल 2019 में ये आंकड़ा 8730 रहा था।

दहेज हत्या के मामले- 275

घरेलू हिंसा के मामले- 857

मानव तस्करी के मामले- 46

दुष्कर्म के मामले- 1794

रांची में दुष्कर्म के मामले (वर्ष 2020)

जनवरी - 20

फरवरी 19

मार्च 23

अप्रैल 5

मई 19

जून 28

जुलाई 14

अगस्त 22

सितंबर 25

अक्टूबर 22

नवंबर 16

दिसंबर 18

रांची में 2020 में हुए दुष्कर्म के 231 मामले प्रकाश में आए।

यदि 2020 के दुष्कर्म के मामलों की तुलना 2021 के जुलाई माह तक करें तो आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं।

जनवरी 16

फरवरी 15

मार्च 28

अप्रैल 13

मई 9

जून 22

जुलाई 13

कुल मिलाकर अभी तक 116 दुष्कर्म के मामले दर्ज हो चुके हैं। जबकि, 2020 के जुलाई माह में 128 मामले दर्ज हुए थे।

नोट : डाटा एनसीआरबी तथा झारखंड पुलिस की ओर से उपलब्ध कराई गई है।

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