डॉक्‍टर बोले, नवजात का पहला मिनट अहम; जन्‍म के समय बच्‍चा न रोए तो तत्‍काल करें इलाज

RIMS Ranchi News रिम्स में नवजात के जन्म से जुड़े विषय पर कार्यशाला आयोजित किया गया। कार्यशाला के दौरान इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बाकी उपस्थित चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया। कहा कि देरी से शादी भी इंफर्टिलिटी का कारण है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 12:05 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 12:10 PM (IST)
डॉक्‍टर बोले, नवजात का पहला मिनट अहम; जन्‍म के समय बच्‍चा न रोए तो तत्‍काल करें इलाज
रिम्‍स में आयोजित कार्यशाला में डॉक्‍टर। जागरण

रांची, जासं। रिम्स के नियोनेटोलॉजी विभाग में आयोजित सेमिनार के दौरान नवजात बच्चों के जन्म से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। नवजात का पहला मिनट कितना अहम होता है, यह भी बताया गया। अगर बच्चा जन्म के समय रोता नहीं है व उसे सांस लेने में परेशानी होती है तो उसका प्रबंधन तत्काल होना चाहिए। अगर बच्चे को समस्या है और उसका इलाज हो जाता है ताे उसे नया जीवन मिल जाता है। अधिकांश बच्चों की मृत्यु का कारण जन्म के समय सही प्रबंधन का नहीं होना है।

कार्यशाला के दौरान इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बाकी उपस्थित चिकित्सकों को प्रशिक्षण भी दिया। कार्यक्रम का उदघाटन उपाधीक्षक डाॅ. संजय कुमार ने किया। कार्यक्रम को को-आर्डिनेट डॉ. रामेश्वर प्रसाद ने किया। वहीं डॉक्टरों को प्रशिक्षण की जिम्मेदारी डॉ. पार्थो कुमार चौधरी, डाॅ. किरण शंकर दास व डॉ. परमानंद की थी। इधर, चकला स्थित बिमला हरिहर हॉस्पिटल में शनिवार को मेगा बांझपन (इंफर्टिलिटी) स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।

इसमें 61 महिलाओं ने परामर्श लिया। शिविर में कोलकाता की इंफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉ. मोमिता नाहा ने परामर्श दिया। महिलाओं को परामर्श के बाद डॉ. नाहा ने बताया कि बांझपन में जीवनशैली, असंतुलित खानपान व जंक फूड बड़ा कारण है। देरी से शादी भी एक कारण है। युवा व युवती करियर के कारण देरी से शादी करते हैं। इससे उनमें इंफर्टिलिटी की समस्या रहती है। डॉ. अभिजीत ने भी इस कार्यक्रम में सहयोग किया। मेडिकल डायरेक्टर डॉ. हरिहर प्रसाद पांडेय ने डॉ. नाहा काे सम्मानित किया।

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