सिस्टर नहीं भगवान कहिए, कोरोना से लड़ाई में नर्सें हैं वॉरियर

कोरोना महामारी के इस दौर में डाक्टरों के साथ ही नर्सों की भूमिका भी बहुत बड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 07:35 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 07:35 AM (IST)
सिस्टर नहीं भगवान कहिए, कोरोना से लड़ाई में नर्सें हैं वॉरियर
सिस्टर नहीं भगवान कहिए, कोरोना से लड़ाई में नर्सें हैं वॉरियर

जासं, रांची: कोरोना महामारी के इस दौर में डाक्टरों के साथ ही नर्सों की भूमिका भी बहुत बड़ी है, बल्कि कहीं ज्यादा है। अस्पताल में डाक्टर मरीज को देखकर चले जाते हैं। ड्यूटी खत्म होने तक नर्स ही उस मरीज की देखभाल करती हैं। चाहे आम दिनों की तरह नॉर्मल ड्यूटी हो या राष्ट्रीय आपदा घोषित हो चुकी कोरोना जैसी बीमारी, नर्से कभी ड्यूटी से कतराती नहीं है। मरीजों के उपचार से लेकर उसके स्वस्थ होने तक उसे दवाई देने के साथ मनोबल देने का काम करती है। इन्हीं नर्सो के सम्मान में हर साल 12 मई को दुनिया भर में विश्व नर्स दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व नर्स दिवस का थीम- नर्स: एक आवा•ा नेतृत्व का - एक दर्शन भविष्य के स्वास्थ्य सेवा के लिए है। कोरोना संक्रमण की पहली लहर से अस्पतालों में तैनात नर्स जी-जान से कोरोना संदिग्ध व संक्रमित मरीजों के उपचार में लगी हुई हैं। पूरा तरह एहतियात बरतने के बाद भी इन्हें संक्रमण का खतरा सबसे अधिक रहता है। कई नर्स अपनी ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुईं। फिर से ठीक होकर अपनी ड्यूटी पर लौट आई। खुद की और परिवार की फिक्र किए बिना पूरी लगन से अपना फर्ज निभा रही हैं। उन्होंने अपनी सेवा को ही धर्म मान लिया है। ऐसे नर्सों की कहानी: सविता एक्का: एक बार पॉजिटिव हुई मगर सोच को निगेटिव नहीं होने दिया

रिम्स में रोज हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। अलग-अलग तरह के रोगियों की सेवा करना मेरा धर्म है। कोरोना संकट काल सभी के लिए दुख और पीड़ा भरा है। कई लोगों ने अपनों को खोया है। ऐसे में मैं अपने सेवा धर्म से पीछे नहीं हट सकती। कोरोना मरीजों की सेवा करते हुए पिछले वर्ष संक्रमित हुई थी। मुझे जिस वार्ड में भर्ती किया गया था, वहां भी मैं लोगों की मदद कर रही थी। शायद यही कारण है कि प्रभु ने मुझे काफी जल्दी ठीक कर दिया। मेरी रिपोर्ट निगेटिव आने के कुछ दिनों के बाद ही मैं फिर से कोविड वार्ड में ड्यूटी कर रही हूं। संक्रमण के इस दौर में परिवार के सदस्यों के संक्रमित होने की चिता तो रहती है। मगर मैं अपना काम सुरक्षा और इमानदारी से प्रभु को याद करते हुए करती हूं।

- सविता एक्का, नर्स, रिम्स शिवमणि कुमारी: परिवार वालों को रही है चिता, मगर सेवा मेरा धर्म कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर से मैं संक्रमितों की सेवा में लगी हुई हूं। इस दौरान मेरे कई साथी भी कोरोना संक्रमित हुए। इससे मेरे परिवार वालों को मिली बड़ी चिता रहती है। घर के कुछ सदस्यों ने मुझे नौकरी छोड़ देने की सलाह दी पर मैंने अपनी सेवा को अपना धर्म मान लिया है। मानवता से बड़ा कुछ नहीं है। संकट के इस दौर में जो जहां है, जिससे जितना संभव है लोगों की सेवा कर रहा है। फिर मैं अपना धर्म छोड़कर कैसे जा सकती हूं। संक्रमितों के इलाज में पूरी सावधानी रखती हूं। अब तो वैक्सीन भी ले लिया है, इसलिए डर थोड़ा कम गया है। पर अपनी सुरक्षा में कोई लापरवाही नहीं करती हूं। मेरा सभी से अनुरोध है कि वो बिना किसी डर के वैक्सीन जरूर लगवाएं।

शिवमणि एक्का, नर्स, रिम्स एलिस्बा: पाजिटिव सोच और मन में ²ढ़ निश्चय से कर रही क्रिटिकल मरीज की देखभाल

कोरोना संक्रमित क्रिटिकल मरीजों की सेवा बहुत सावधानी और सुझबुझ के साथ करनी पड़ती है। एक छोटी गलती भी किसी के जान के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। ऐसे में मैं अपना काम पूरी सावधानी और पाजिटिव सोच के साथ करती हूं। मेरे मन में ²ढ़ निश्चय है इसलिए मरीजों को भी ठीक होने का हौसला देती हूं। ऐसी बीमारी में केवल दवा का असर नहीं होता। मरीज को हौसला और सकारात्मक सोच से भरना पड़ता है। इससे बड़ा बदलाव देखने को मिला है। संक्रमण के इस काल में मेरे परिवार को मेरी चिता होती है। मगर लोगों को इस हालत में कैसे छोड़ सकते हैं। प्रभु यीशु ने भी सेवा का ही मंत्र दिया था। मेरे लिए मेरा काम और सेवा ही पूजा और प्रार्थना है। मैं लोगों से अपील करती हूं वो जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाएं ताकि हम इस महामारी के खिलाफ जंग जीत सकें।

एलिस्बा, नर्स, रिम्स पी. भेंगरा: संक्रमित होने के बाद तुरंत आई ड्यूटी

कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर से ही मैं कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा और मदद कर रही हूं। इस दौरान तमाम सुरक्षा उपाय करने के बाद भी मैं एक बार संक्रमित भी हुई। मगर ठीक होने के तुरंत बाद मैंने ड्यूटी ज्वाइन कर लिया। पहले मैं मरीजों की पीड़ा को समझकर उनकी सेवा करती थी। मगर अब मैंने उस पीड़ा को खुद सहा था इसलिए अब मैं बेहतर तरीके से उनकी मदद कर पा रही हूं। इस दौरान मरीजों को सकारात्मक सोच और हौसले की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए मैं मरीजों की सेवा करने के साथ उनके साथ बातचीत भी करती रहती हूं। इससे उन्हें अपनापन महसूस होता है। किसी मरीज के ठीक होने से उससे ज्यादा खुशी मुझे होती है। मैं ईश्वर से रोज प्रार्थना करती हूं कि हर मरीज जल्द से जल्द ठीक होकर जाए। कोरोना संक्रमण के दौरान अपने परिवार से भी सही से मिले काफी वक्त हो गया है। फोन पर परिवार के सदस्य दिनभर हाल लेते रहते हैं। मेरे लिए मेरा सबसे बड़ा हौसला मेरा परिवार है।

पी. भेंगरा, नर्स, रिम्स -----------------------------------------

कहते हैं मरीज:

डाक्टरों से ज्यादा नर्सों की मदद मिलती है। समय पर दवा देने से लेकर किसी प्रकार की दिक्कत होने पर नर्स की सबसे पहले संभालती है। ऐसे में इनकी भूमिका डाक्टरों से कम नहीं है।

जुबेदा खातुन, मरीज कई नर्स ऐसी हैं जिनकी सलाह जुनियर डाक्टर भी लेते हैं। उनका अनुभव किसी डाक्टर से कम नहीं है। समय पर दवा देने से लेकर किसी तरह की सेवा में कमी नहीं करती हैं। हमारे लिए ये किसी भगवान से कम नहीं हैं।

सुनिल कुमार, मरीज अस्पताल में मरीजों की सेवा में नर्स दिन रात लगी रहती हैं। इनकी सेवा भावना देखकर इन्हें नमन करने का दिल करता है। मुश्किल से मुश्किल स्थिति में खुद को सामान्य रखकर सेवा करनी बड़ी बात है।

रोहित, मरीज मरीजों की सेवा करना कोई आसान काम नहीं है। मगर अस्पताल की नर्स हमेशा इस काम में लगी रहती हैं। कई बार किसी मरीज की स्थिति बिगड़ने पर डाक्टर के आने तक वहीं संभालकर रखती हैं।

मंजू देवी, मरीज

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