सावन में गलती से इन चीजों का न करें सेवन, जानें क्‍या हैं वैज्ञानिक व धार्मिक कारण

Jharkhand News Hindi Samachar सावन के महीने में होने वाली बारिश के कारण जीवाणुओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हजारे वर्ष पुराने भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में मौसम अनुकूल खानपान के बारे में बताया गया है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 08:50 AM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 06:27 AM (IST)
सावन में गलती से इन चीजों का न करें सेवन, जानें क्‍या हैं वैज्ञानिक व धार्मिक कारण
धार्मिक ही नहीं विज्ञानिक रूप से वर्जित है सावन में इन सब्जियों का सेवन। जागरण

रांची, जासं। सावन का महीना भक्ति-भाव के लिहाज से बड़ा पवित्र माना जाता है। मगर इस महीने होने वाली बारिश के कारण जीवाणुओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हजारों वर्ष पुराने भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में मौसम अनुकूल खानपान के बारे में बताया गया है। इसे अब मॉडर्न साइंस के द्वारा भी प्रमाणिक किया गया है।

ऋषियों ने विज्ञानी पद्धति से बनाया व्रत

आयुर्वेदाचार्य डाॅ. भरत कुमार अग्रवाल बताते हैं कि सावन के महीने में तेज बारिश और बादल के कारण धरती पर धूप अच्छे से नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में पेट में पाचन करने में मदद करने वाले एंजाइम का श्राव कम हो जाता है। खाना को पचने में सबसे ज्यादा मदद करने वाले एंजाइम पेप्सिन और डाइसेटस 37 डिग्री पर सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं। तापमान में कमी होने के कारण इनकी सक्रियता काफी कम हो जाती है।

हालांकि व्रत में फलों के सेवन से इसकी सक्रियता में थोड़ी मदद मिलती है। मौसम की संधि या ऋतु परिवर्तन के समय शरीर मौसम परिवर्तन को जल्द स्वीकार नहीं कर पाता है, इसलिए ऋषि-मुनियों द्वारा इन दिनों व्रत रखने की परंपरा शुरू की गईं। दूसरी ओर व्रत रखने से शरीर को स्वास्थ्यवर्धक और सात्विक आहार मिलता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूती देता है।

सावन में वर्जित है इन सब्जियों का सेवन

सावन के महीने में चारों तरफ हरिलायी छायी रहती है। ऐसे में तरह-तरह की फल और सब्जियां भी बाजार में उपलब्ध होती है। मगर आयुर्वेद में इस मौसम में कई सब्जियों के सेवन को वर्जित किया गया है। आयुर्वेदाचार्य डा भरत कुमार अग्रवाल बताते हैं कि बरसात में पालक, मेथी, लाल भाजी, बथुआ, बैंगन, गोभी, पत्ता गोभी जैसी घाघ-भड्डरी भी बोले चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठे पंथ अषाढ़े बेल, सावन साग न भादो दही, क्वार करेला न कार्तिक मही, अगहन जीरा पूसे धना, माघ मिश्री फागुन चना, ई बारह जो देय बचाय, वाहि घर बैद कबौं न जाय।

विज्ञानी रूप से भी वर्जित है इनका सेवन

माइक्रोबायोलॉजिस शिप्रा जैन बताती हैं कि बारिश के दिनों में हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए। इसका कारण है कि बरसात में इनसेक्ट्स फर्टिलिटी बढ़ जाती है। कीड़े-मकोड़े अधिक पनपने लग जाते हैं। ये पत्तेदार सब्जियों के बीच तेजी से पनपते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में पत्तेदार सब्जी जैसे बंधगोभी और साग नहीं खाना चाहिए।

हालांकि अगर खाना ही पड़े तो सबसे पहले इन सब्जियों को नमक के पानी या बेकिंग सोडा मिला पानी में डालकर थोड़ी देर छोड़ दे फिर साफ पानी से धो लें। इसके बाद पूरी तरह पका कर खाएं। किसी तरह से इन साग-सब्जियों को कच्चा नहीं खाना चाहिए। इसमें कई ऐसे सूक्ष्म जीव हैं जो हमारे शरीर के आंतरिक अंग के साथ दिमाग की कोशिकाओं का काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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