दुर्घटना में मृत पांचों का स्वजनों ने किया अंतिम संस्कार

दिलीप कुमार सिंह रामगढ़ गोला रोड के पास बुधवार तड़के वैगर आर व बस की दुर्घटना में मृत

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:06 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:06 PM (IST)
दुर्घटना में मृत पांचों का स्वजनों ने किया अंतिम संस्कार
दुर्घटना में मृत पांचों का स्वजनों ने किया अंतिम संस्कार

दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ : गोला रोड के पास बुधवार तड़के वैगर आर व बस की दुर्घटना में मृत पांचों युवकों के स्वजनों ने गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार रामगढ़ के दामोदर नदी तट स्थित गांधी घाट पर कर दिया। अंतिम संस्कार में शामिल होने आए लोगों ने कहा कौन जानता था कि इन्हें अपनी माटी भी नसीब नहीं होगी। कम से कम अपनी धरती पर ही अंतिम दर्शन कर संस्कार करने की सोच के साथ बिहार पटना के बेउर थाना अंर्तगत ब्रह्मपुर गांव से मृतकों के करीब सौ स्वजन गुरुवार को रामगढ़ पहुंचे थे। सोच तो यही थी की पांचों शवों को साथ लेकर जाएंगे। हुआ उलट की शव को देख भी नहीं पाए। क्योंकि उनके सामने तो शव के रूप में पांचों युवकों के चिथड़े पड़े थे। पहचानना भी असंभव था। शव की हालत देखते ही अपनों की तलाश करने की चाहत में सभी लोग दौड़ पड़े। हालात ऐसी पैदा हुई की शवों की पहचान बस एक औपचारिकता रही। स्थिति इतनी विकट रही की न रोते बनता न समझते बनता। आखिर करे तो क्या करे। ऐसे में शवों को रामगढ़ के दामोदर नदी तट पर स्थित गांधी घाट पर ही अंत्येष्टि करनी पड़ी। इस दौरान हर दिल कराह रहा था और चेहरों पर मानों पहरा लगा हो। इससे इतर आंखें सभी के अंदरूनी दर्द को बयां कर रही थी। पूरा घाट पीड़ित परिवार के क्रंदन से गमगीन हो रहा था। वैसे पांचों शवों में आर्यण राज उर्फ गोलू, आलोक कुमार, मुन्ना कुमार, किशोर कुमार के अलावें अंतिम युवक की पहचान आज हो पाई वह राहुल कुमार था। परिवार के लोग डीएनए कराने के पक्ष में नहीं थे। इस कारण शवों का अंतिम संस्कार पूरे हिदू रिति-रिवाज के साथ यहीं पर कर दिया गया। गम का पहाड़ सिर्फ यहीं नहीं बिहार में भी टूट पड़ा था। अंतिम संस्कार करने पहुंचे लोग फोन पर फोटो व सूचनाएं दे रहे थे। दोनों ओर से सिर्फ आ रही थी रोने की आवाज। न कोई बोलने न कोई सुनने की स्थिति में था। बस व वैगेन आर कार की टक्कर में इस दर्दनाक हादसा जिले ही नहीं पूरे राष्ट्र को दहला दिया। इधर अंतिम संस्कार करने के बाद गमगीन लोग पांचों शवों की अस्थियां लेकर चले गए। सोचा था की कम से कम शवों को ले जाएंगे। उन्हें क्या मालूम था की उनके साथ एक लोटे में सिमट कर उनकी राख जाएगी। कर लोग आंसू भरे आंखों से सिर्फ आसमां की ओर देखते हुए यही कह रहे थे हे भगवान ये क्या कर दिया। वहां इंतजार कर रहे परिवार के लोगों को क्या जवाब देंगे। आखिर कौन सुनेगा, किसकों सुनाएंगे यह दर्द भरी दांस्ता।

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