Development Need : 35 रुपये लीटर दूध देने वाला रो रहा फार्म , वहीं बाजार में 48 से 50 रुपये दूध खरीद रहें लोग

Development Need फार्म में लगभग 300 भैंस हैं। वर्ममान में दोनों टाइम मिलाकर भैंसे लगभग 120 लीटर दूध दे रही हैं। बाजार में भैंस के दूध की कीमत 48 से 50 रुपये प्रति लीटर है। जबकि फार्म में लोगों को 35 रुपये मुहैया कराया जा रहा है।

By Sanjay KumarEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 05:07 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 05:43 PM (IST)
Development Need : 35 रुपये लीटर दूध देने वाला रो रहा फार्म , वहीं बाजार में 48 से 50 रुपये दूध खरीद रहें लोग
Development Need : 35 रुपये लीटर दूध देने वाला रो रहा फार्म

रांची जासं। Development Need : देसी भैंसों की नस्ल सुधारनेवाला राज्य का एकमात्र फार्म अपनी स्थिति पर रो रहा है। न पर्याप्त फंड है, और न ही पशुओं की देख-रेख के लिए पर्याप्त कर्मचारी हैं। रांची के होटवार(Hotwar) स्थित दुग्ध आपूर्ति सह गव्य प्रक्षेत्र में पशुओं के शेड(Animal Shed) जर्जर पड़े हैं। कोविड काल के दौरान तो भैसों(Buffalo) के चारे तक की समस्या हो गई थी। अभी भी फंड की कमी है।

दरअसल, फार्म कई समस्याओं से गुजर रहा है। पिछले साल एक करोड़ का फंड आया था। जबकि इस साल 85 लाख का फंड आया है। इसके बावजूद भीन फार्म की हालत में सुधार नहीं आया है। समय पर फंड आवंटन नहीं होने के कारण कोरोना काल के दौरान फार्म की स्थिति पहले की तुलना में बिगड़ गई है। पहले जहां प्रति वर्ष अप्रैल-मई के बीच फंड का आवंटन हो जाता था। वहीं, कोरोना काल के बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 का फंड अक्टूबर माह में प्राप्त हुआ, वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष का फंड सितंबर में प्राप्त हुआ है।

फार्म में दुधारू भैंस के दो शेड, पाड़ा-पाड़ी के दो शेड, एक मिक्सिंग रूम, एक मिल्क रिकॉर्डिंग रूम, दो गोदाम व दो जनरल स्टोर हैं। लगभग सभी शेड जर्जर स्थिति में हैं। लीकेज की वजह से बारिश के दिनों में गोदाम में पानी रिसता है। वहीं, पानी पीने का हौदा भी टूट गया है। मुख्य भवन के सीलिंग पर टीन की चादर के बाद खपरैल बिछाया गया है, वह भी टूट-टूटकर गिर रहा है।

वहीं, रूफ टॉप पर लगे लकड़ी के पट्टे भी सडऩे लगे हैं। बताया जा रहा है कि वर्ष 2012 में मुख्य भवन एवं वर्ष 2015 में शेडों में रेनोवेशन का आंशिक कार्य हुआ था। फार्म में स्टाफ का टोटल स्ट्रेंथ 62 है। लेकिन वर्तमान में 34 पदाधिकारी व कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। साफ-सफाई के लिए अलग से चार कैजुअल लेबर भी हैं। कर्मचारियों एवं फंड की कमी की वजह से से मुख्य भवन एवं शेडों का सही ढंग से रखरखाव नहीं हो पा रहा है।

मुर्रा प्रजाति के सांढ़ों का प्रजनन केंद्र हैं फार्म :

तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा फार्म का निर्माण वर्ष 1959 में किया गया था। लक्ष्य यह था कि भैंस की नस्ल में सुधार लाने के लिए उन्नत नस्ल की मुर्रा प्रजाति के सांढ़ों का प्रजनन कराना। पाड़ा को तो किसानों के बीच वितरित कर दिया जाता है। लेकिन पाड़ी को फार्म में ही रखा जाता है। तीन साल के बाद ये भैंस में तब्दील हो जाती है। उसके बाद ये दूध देना शुरू करती हैं।

लगभग 300 भैंस हैं फार्म में, 120 लीटर दूध दे रही हैं:

फार्म में लगभग 300 भैंस हैं। जिनमें सौ पाड़ा और पाड़ी भी हैं। शेष 200 भैंसों में कुछ ड्राई, तो कुछ गर्भ से से हैं। जबकि दुधारू भैंसों की संख्या 30-35 ही है। कोरोना काल के दौरान फंड की कमी की वजह से इन्हें दाना, कुट्टी आदि भी कम दिया जाता था। इस वजह से दुग्ध उत्पादन में 50 प्रतिशत का असर पड़ा था। हालांकि विलंब से ही सही लेकिन अब फंड मिल जाने से भैंसों को चारा देने के मामले में स्थिति में पहले से सुधार आया है। बताया गया कि वर्ममान में दोनों टाइम मिलाकर भैंसे लगभग 120 लीटर दूध दे रही हैं।

फार्म में 35 रुपये लीटर उपलब्ध है दूध, जबकि बाजार की कीमत 48 से 50 रुपये

बाजार में भैंस के दूध की कीमत 48 से 50 रुपये प्रति लीटर है। जबकि फार्म में लोगों को 35 रुपये लीटर की दर से दूध मुहैया कराया जा रहा है। यानि कि बाजार एवं खटाल से भैंस का दूध खरीदने पर लोगों को 1440 से 1500 रुपये प्रति माह खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, फार्म से लेने पर सिर्फ 1050 रुपये पड़ता है। हालांकि फार्म द्वारा इस संबंध में पशुपालन विभाग को दूध की कीमत बढ़ाकर 45 रुपये करने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन अभी तक कीमत बढ़ाने को लेकर मंजूरी नहीं मिली है।

फार्म परिसर में बन रहा तालाब :

बताया गया कि भैंसों के ओवरऑल विकास के लिए तालाब का होना जरूरी है। भैंस गर्मी के दिनों में तालाबों में देर तक बैठकर हीट को कंट्रोल करती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए फार्म परिसर में 15 फीट गहरे तालाब का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही जर्जर गोदाम एवं पानी पीने का हौदा भी बनाया जा रहा है। इन कार्यों के लिए 35 लाख 52 हजार रुपये की राशि मंजूर हुई है। नवंबर के प्रथम सप्ताह से काम शुरू हो गया है।

रेनोवेशन की मांग :

होटवार के दुग्ध आपूर्ति सह गव्य प्रक्षेत्र असिस्टेंट फार्म मैनेजर डा. मनीषा लकड़ा ने कहा कि कार्यालय और भैंसों को रखने का शेड काफी पुराना है। हमलोगों ने रेनोवेशन की मांग भी की थी। लेकिन विभाग द्वारा कहा गया कि फिलहाल जो जरूरी हैं, वही काम कराया जाए। इसलिए फिलहाल फार्म परिसर में भैंसों के लिए एक तालाब व पानी पीने का हौदा बनवाया जा रहा है। वहीं, पुराने जर्जर गोदाम का मरम्मत कार्य भी जल्द शुरू होगा।

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