हटाए नहीं जाएंगे देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री, विधि परामर्श लेगी झारखंड सरकार

चुनाव आयोग ने उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को हटाने का दिया है आदेश। पत्र मिलने के बाद कार्रवाई तो शुरू हुई लेकिन फिलहाल डीसी को राहत। राज्य में अभी चुनाव नहीं होने के आधार पर इस मामले की हो रही विवेचना।कोर्ट तक मामले के पहुंचने के पूरे आसार दिख रहे।

By M EkhlaqueEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 08:56 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 08:56 PM (IST)
हटाए नहीं जाएंगे देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री, विधि परामर्श लेगी झारखंड सरकार
देवघर ज‍िले के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री का फाइल फोटो। जागरण

रांची, (राज्य ब्यूरो) : देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को हटाने को लेकर चुनाव आयोग का आदेश राज्य सरकार को प्राप्त हो गया है। इस पर कार्मिक विभाग ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है, लेकिन उन्हें हटाने को लेकर फिलहाल आदेश नहीं दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में सरकार विधि परामर्श लेगी और इसके आधार पर ही कोई कार्रवाई शुरू करेगी। फिलहाल देवघर के उपायुक्त को राहत मिली है। मामला कोर्ट तक जाने की भी पूरी संभावना है। पूरा प्रकरण राजनीतिक रूप भी ले रहा है और इस मामले में सत्ताधारी दलों झामुमो और कांग्रेस ने चुनाव आयोग के निर्णय की आलोचना की है जबकि भाजपा आयोग के फैसले की सराहना कर रही है।

मुख्यमंत्री के दुमका से आने के बाद निर्णय लिया जाएगा

चुनाव आयोग का पत्र मिलने के बाद सोमवार को कार्मिक विभाग ने इस संदर्भ में फाइल तैयार कर ली है। मुख्यमंत्री अभी दुमका में हैं और उनके वापस आने के बाद इस मामले में निर्णय लिया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लेगी और इस मामले में विधि परामर्श प्राप्त किया जा सकता है। राज्य में अभी चुनाव नहीं होने के आधार पर राज्य सरकार चुनाव आयोग के फैसले को बाध्यकारी नहीं मान रही है। ऐसे में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सूचित भी किया जा सकता है। बहरहाल, मामले में कोर्ट का दरवाजा ही अंतिम रास्ता दिख रहा है। चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार आगे बढ़ेगी या फिर आयोग इस मामले को लेकर कोर्ट जाएगा, यह समय ही बताएगा।

अभी तक झारखंड के किसी उपायुक्त के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं

अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें चुनाव कार्य से दूर रखने को लेकर चुनाव आयोग कई बार निर्देश दे चुका है लेकिन अभी तक इतनी सख्त कार्रवाई की अनुशंसा किसी अधिकारी के खिलाफ नहीं की गई थी। इसके पूर्व भी आइएएस अधिकारी केके खंडेलवाल को चुनाव आयोग ने ही निलंबित करने का आदेश दे दिया था और उस वक्त उनपर आरोप था कि जिस क्षेत्र में उन्हें चुनाव कराना था उसको छोड़कर दूसरी जगह बिना बताए चले गए थे। पूर्व मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को भी आयोग के निर्देश पर चुनाव कार्य से दूर रखने का मामला सामने आ चुका है लेकिन देवघर डीसी के मामले में आयोग ने ना सिर्फ उन्हें उपायुक्त के पद से हटाने को कहा है बल्कि सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके तहत उन्हें अगले आदेश तक प्रोन्नति मिलना भी मुश्किल है और उन्हें अपने न्यूनतम वेतनमान पर भी काम कराया जा सकता है।

मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में बाधा नहीं

राज्य में अभी मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य चल रहा है। इसमें उपायुक्त की भूमिका अहम होती है। हालांकि कई बार एसडीओ स्तर के पदाधिकारी को ही सरकार की ओर से पूरी जिम्मेदारी देकर काम कराया जाता है। इस प्रकार ऐसा लग रहा है कि फिलहाल मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य प्रभावित नहीं होगा।

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