जनगणना परिपत्र में सरना को अलग धर्म के रूप में शामिल करने के लिए जंतर मंतर पर प्रदर्शन
सरना धर्म को जनगणना परिपत्र में शामिल करने की मांग को लेकर मंगलवार को झारखंड समेत कई राज्यों के आदिवासी समुदाय के लोगों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। उन्होंने केंद्र सरकार से इसे लागू करने की मांग की।
रांची, (जागरण संवाददाता) : जनगणना परिपत्र में सरना को अलग धर्म के रूप में शामिल करने की मांग को लेकर मंगलवार को झारखंड से आए सरना समुदाय के लोगों ने किया प्रदर्शन। जंतर मंतर पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने कहा कि वे लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान से जुड़े सभाध्यक्ष डाक्टर करमा उरांव ने कहा कि प्रकृतिक सरना धर्म एक विश्व धर्म है, लेकिन आज तक उसे पहचान नहीं दी गई है। सरना धर्म को जनगणना परिपत्र में शामिल करने की मांग लगातार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि झारखंड के लोग जाति प्रमाण पत्र की नहीं बल्कि सरना धर्म की लगातार अलग मांग कर रहे हैं। वहीं, रवि तिग्गा ने कहा कि आदिवासी हमारा शरीर है तो सरना धर्म उसकी आत्मा है। साथ ही कि सरना धर्म आदिवासी संस्कृति का बेजोड़ आस्था का स्वरूप है।
प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और जनगणना महारजिस्ट्रार आदि को ज्ञापन पत्र भेजा गया है। इस दौरान मणिलाल केरकेट्टा, अनिल कुमार भगत, प्रदीप कुमार, राजेश उरांव, अजीत टेटे, अगस्टिन लकड़ा, शिव प्रसाद भगत, मथुरा कंडीर, दुर्गावती ओड़ेया आदि शामिल रहे।