सीबीएसई में 95 फीसद से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि

रिजल्ट और नामांकन का समय चल रहा है। जिनका रिजल्ट आ गया वे नामांकन की दौर में शामिल हो गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 Jul 2020 01:51 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jul 2020 01:51 AM (IST)
सीबीएसई में 95 फीसद से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि
सीबीएसई में 95 फीसद से अधिक अंक लाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भारी वृद्धि

जागरण संवाददाता, रांची : रिजल्ट और नामांकन का समय चल रहा है। जिनका रिजल्ट आ गया वे नामांकन की दौर में शामिल हो गए हैं। कुछ वर्षो से छात्र-छात्राओं को अंक भी खूब मिल रहे हैं। सोमवार को ही सीबीएसई 12वीं के जारी रिजल्ट में देखा गया कि 95 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं में 120 फीसद तक की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017 में रांची से 12वीं की परीक्षा में शामिल 10 हजार विद्यार्थियों में से करीब 400 को 95 प्रतिशत से अधिक अंक मिले। वहीं 2018 और 2019 में यह संख्या बढ़कर क्रमश: 500 व 800 हो गई। इस तरह बढ़ते स्कोरिग ट्रेंड से सीबीएसई व सीआइएससीई के बच्चे तो खुश हैं, लेकिन स्टेट बोर्ड के बच्चों की चिंता बढ़ गई है। कारण, जहां अंकों के आधार पर नामंाकन हो रहा है वहां वे पिछड़ जा रहे हैं। दूसरी अंकों की होड़ पर भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। शिक्षाविद् डीआर सिंह कहते हैं कि सीबीएसई अंक देने के मामले में पहले से उदार रहा है। परीक्षा पैटर्न बदलने के और अधिक अंक मिलने लगे हैं। लघु उत्तरीय, अति लघु उत्तरीय प्रश्नों की संख्या बढ़ा दी गई। हर विषय में आंतरिक मूल्यांकन के अंक बढ़ा दिया गया है। यहां छात्रों को फायदा मिल जाता है। लेकिन ये अंक मेधा की सही तस्वीर नहीं दिखाती है। कॉलेजों में नामांकन में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई, लेकिन यहां ढांचा दुरुस्त नहीं है। ऐसी कमियों के कारण वास्तविक प्रतिभा कुंठित होती है। स्टेट बोर्ड अंक देने में इतने उदार नहीं है। दोनों बोर्ड के छात्रों को मिले अंक को समान महत्व देना भी ठीक नहीं है। प्रतिभा तो दोनों जगह है। आवश्यकता है इसके सही मूल्यांकन की।

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प्रश्नों के पैटर्न बदलने से मिल रहे अधिक अंक

स बीएसई के सिटी को-आर्डिनेटर डॉ. मनोहर लाल कहते हैं कि सभी अंक के पीछे भाग रहे हैं। लर्निग लेवल पर नहीं अंकों पर फोकस है। यही कारण है कि छात्रों के अंक तो बढ़ रहे हैं, लेकिन उच्च शिक्षा में रिसर्च में पिछड़ रहे हैं। अंक अधिक मिलने का एक कारण है प्रश्नों का पैटर्न बदलना फिर मूल्यांकन में हर स्टेप पर अंक मिलना। छात्रों को बताया जाता है कि इतना लिखेंगे तो इतना अंक मिलेगा।

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असल जिदगी में प्रैक्टिकल लाइफ ही

झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ. अरविंद प्रसाद सिंह के अनुसार जैक अपने छात्रों का मूल्यांकन उनकी काबिलियत के आधार पर करता है। बोर्ड के मूल्यांकन में किसी भी तरह का उदारतापन नहीं रहता है। ऐसा नहीं है कि सामने वाला छात्र कमजोर है और उसे अंक ज्यादा दे दिए गए हो। क्योंकि किसी भी छात्र को अंक के आधार पर उसकी काबिलियत को नहीं आंक सकते हैं। क्योंकि असल जिदगी में प्रैक्टिकल लाइफ में छात्रों को उतरना पड़ता है।

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टॉपर्स ने कहा

यह कहना सही नहीं होगा बोर्ड की उदारतापन के कारण छात्रों को अधिक अंक आ रहे। उनकी तैयारी ही वैसी रहती है कि उन्हें अंक अधिक मिलता है। क्योंकि बोर्ड का मूल्यांकन पैटर्न और उदारतापन सिर्फ सीमित छात्रों के लिए नहीं, बल्कि सीबीएसई बोर्ड के सभी छात्रों के लिए है।

अंश मक्कड़

स्टेट टॉपर, विज्ञान संकाय -------------

पहले से काफी बदलाव आया है। पढ़ाई की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। छात्र भी मेहनत कर रहे हैं और स्कूल भी मेहनत कर रहे हैं। यह कह देना सिर्फ कि छात्रों को अंक आज इसलिए ज्यादा मिल रहे हैं क्योंकि बोर्ड का एसेसमेंट पैटर्न चेंज हो गया है या फिर उनकी उदारता और बढ़ गई है।

समिधा, आ‌र्ट्स स्टेट टॉपर

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