सब्जियों की खेती से फेर लिए दिन, सालाना प्रति एकड़ कमाते हैं एक से डेढ़ लाख

सब्जी की खेती ने किसानों की स्थिति बदल दी है। प्रति माह लाखों रुपये कमा रहे हैं। नये कृषि कानून का लोगों ने समर्थन किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Dec 2020 08:15 AM (IST) Updated:Sun, 13 Dec 2020 08:15 AM (IST)
सब्जियों की खेती से फेर लिए दिन, सालाना प्रति एकड़ कमाते हैं एक से डेढ़ लाख
सब्जियों की खेती से फेर लिए दिन, सालाना प्रति एकड़ कमाते हैं एक से डेढ़ लाख

आमोद कुमार साहू, ओरमांझी

श्रेष्ठ युवा उद्यमी पुरस्कार प्राप्त ओरमांझी प्रखंड के गांगुटोली के प्रगतिशील किसान परमेश्वर साहू, ओरमांझी प्रखंड के उकरीद के प्रगतिशील युवा किसान रंजीत कुमार और सुदूरवर्ती गांव जीराबार के किसान राजेश उरांव लीज पर जमीन लेकर विशुद्ध आर्गेनिक खेती और पशुपालन कर रहे हैं। ये किसान सालाना प्रति एकड़ एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। इन किसानों ने सरकारी मदद से अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था कराई। इसके बाद जहां साल में मात्र एक फसल वो भी भगवान भरोसे होती थी, अब तीन फसल काट रहे है। सब्जियों मटर, बींस, करेला, आलू, हरी मिर्च, फूल गोभी, बंद गोभी, खीरा, टमाटर और फलों में तरबूज व खरबूज की खेती करते हैं। इनके खेतों की सब्जियां झारखंड सहित दूसरे राज्यों में भी जा रही हैं। खेती के ही दम पर ही ये किसान एक अच्छी सरकारी नौकरी करने वाले व्यक्ति से बेहतर तरीके से अपना परिवार चला रहे हैं। अब किसान अपने उत्पाद को कही भी बेच सकते हैं

इन प्रगतिशील किसानों का कहना है कि नए कृषि कानून के अमल में आने से देश के किसानों को अपनी मेहनत व पसीने से तैयार फसल को सड़कों पर फेकना नहीं पड़ेगा। किसान अपने उत्पाद को देश की किसी भी मंडी में बेच सकेंगे। परमेश्वर साहू ने कहा कि उन राज्यों के किसान कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं जहां मंडी व बिचौलिया प्रथा हावी है। कृषि उत्पाद पर किसी प्रकार का कर नहीं लगना चाहिए। कानून के अमल में आने से कृषि उत्पाद पर किसी प्रकार का बिक्री कर नहीं लगने से देश के 80 फीसद लघु व सीमांत किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। उत्पादक व उपभोक्ता के बीच की दूरी भी कम होगी। समय-समय पर फसल की कीमत ऊपर-नीचे नहीं होगी। जिससे किसानों को होने वाला नुकसान भी कम होगा। नये कृषि कानून से किसानों का मुनाफा बढ़ेगा

ओरमांझी प्रखंड के उकरीद के प्रगतिशील युवा किसान रंजीत कुमार का कहना है कि निश्चित ही यह कानून किसानों के हित में है। इससे किसानों के उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा और किसानों का मुनाफा भी बढ़ेगा। कई पढ़े-लिखे युवा आज बेरोजगार हैं और उसके पास जमीन नहीं है। वैसे युवा भी कानून के अमल में आने से लीज पर जमीन लेकर कृषि क्षेत्र से जुड़ सकते हैं। किसानों को फसल की अच्छी कीमत इसलिए मिलेगी क्योंकि देश के किसी भी राज्य में बिक्री कर नहीं लगने से किसानों की फसल को बेचने के लिए बाजार भी मिल जाएगा। इससे बेरोजगारी की समस्या भी कुछ हद तक दूर होगी। फसल लगाने से पूर्व कीमत तय होगी

इसके अलावा सुदूरवर्ती गांव जीराबार में तीन एकड़ भूमि पर कृषि व पशुपालन करने वाले किसान राजेश उरांव कहते हैं कि इस कानून के अमल में आने से किसान अपने खेत में फसल लगाने से पूर्व ही व्यापारी से अपनी फसलों की कीमत तय कर करार कर सकते हैं। फसल तैयार होने के बाद अधिक कीमत होने पर करार तोड़ कहीं भी अपनी फसल अधिक कीमत पर बेचने की आजादी भी मिलेगी। ऐसे कानून का विरोध करने वाले किसानों के हितैषी नहीं हो सकते। लघु व सीमांत किसान के लिए यह कानून वरदान साबित हो सकता है।

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