Daughters Day: पिता का संसार और बुढ़ापे का सहारा हैं बेटियां..., तुम जैसी बेटी पाकर हमारा जीवन धन्‍य हुआ

Daughters Day 2021 Jharkhand News मेरी बेटी मेरे दिल की धड़कन है। जो एक बेटा अपने माता-पिता के लिए करता है उससे कहीं ज्यादा मेरी बेटियों ने मेरे लिए किया है। मेरी बेटियों ने कभी मुझे बेटे की कमी महसूस होने नहीं दी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:06 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:14 AM (IST)
Daughters Day: पिता का संसार और बुढ़ापे का सहारा हैं बेटियां..., तुम जैसी बेटी पाकर हमारा जीवन धन्‍य हुआ
Daughters Day 2021, Jharkhand News मेरी बेटी मेरे दिल की धड़कन है।

रांची, जासं। हर वर्ष सितंबर माह के चौथे रविवार को वर्ल्‍ड डाटर्स डे या बेटी दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बेटियों को धन्यवाद व उनके प्रति प्यार जताने का दिन है। बात करें भारत देश की तो हमारे देश में बेटी दिवस मनाने की खास वजह बेटियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। उन्हें यह समझाना है कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि घर का अहम हिस्सा होती हैं। यदि बेटा मां का दुलारा होता है, तो बेटियां भी अपने पिता की राज दुलारी होती है। एक पिता के लिए उसकी बेटी उसकी पूरी दुनिया होती है। तो आइए इस मौके पर रांची के कुछ लोगों की सुनते हैं बेटी के बारे में उनकी राय...

पिता का संसार है बेटी

मेरी बेटी में मेरी जान बसती है, मेरी बेटी प्रिया मेरी शान है। वह संत जेवियर्स कॉलेज में एनिमेशन पढ़ाती है। पिता की नजर से देखें तो बेटियों में उनकी जान बसती है। मेरी बेटी मेरे दिल की धड़कन है। उसने हमेशा मेरा सि‍र गर्व से उठाया है। उसे कुछ हो जाए, तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता। मेरे घर पर जन्म लेने के लिए मैं उसे धन्यवाद करता हूं। -डा. सुशील अंकन, सेवानिवृत्त प्रॉफेसर, रांची विश्वविद्यालय।

मेरी बेटियों पर मेरी जान न्योछावर है

मेरी बेटी सौम्या व अदिती अग्रवाल मेरी सर्वोच्च संपति है। उन पर मेरी जान भी न्योछावर है। मैं अपने आपको बेहद भाग्यशाली मानता हूं कि मेरे घर दो देवियों ने जन्म लिया। दोनों ने हर क्षेत्र में अपना झंडा फहराया है। जो एक बेटा अपने माता-पिता के लिए करता है, उससे कहीं ज्यादा मेरी बेटियों ने मेरे लिए किया है। एक आदमी भले यह कहे कि मेरे सि‍र पर यह जिम्मेदारी है, मुझे यह करना है, वह करना। लेकिन उसकी जिम्मेदारियां केवल एक घर के प्रति होती है। वहीं बेटियां एक नहीं, बल्कि कई घरों की जिम्मेदारियां बखूबी निभाती हैं। मेरी बेटियों के अंदर मेरा संसार बसता है। -विनय अग्रवाल, व्यापारी।

मेरी बेटियां मेरे बुढ़ापे का सहारा

मेरी बेटी दीपावली, शिल्पा, रीता व गीता में मेरा संसार बसता है। मेरे घर पर चार बेटियों के रूप में चार देवियों का जन्म हुआ। चारों बेटियां मेरे लिए चार भुजाओं के समान है। एक बेटी डाक्टर है, दूसरी शिक्षिका है, तीसरी बैंक की तैयारी कर रही है, वहीं चौथी यूपीएससी की तैयारी कर रही है। मुझे समझ नहीं आता कि मैं भगवान का शुक्रिया कैसे करूं। मेरी बेटियों ने कभी मुझे बेटे की कमी महसूस होने नहीं दी। वह हर क्षेत्र में उत्तीर्ण हैं। हम माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा हैं मेरी बेटियां। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। -कमल नारायण मल्ल, सब इंस्‍पेक्टर, झारखंड पुलिस।

मेरी बेटी, मेरा अभिमान

मेरी बेटी हर्षा मेरा गर्व है, मेरा अभिमान है। हर रेस में वह बेटों से आगे है। मेरी सबसे अच्छी सलाहकार भी है। बेटियां चाहे जितनी भी शैतानियां कर ले, एक पिता उसे बचा ही लेता है। भाई-बहन के झगड़े में मां बेटे का पक्ष लेती है, लेकिन पिता हमेशा अपनी बेटी के पक्ष में रहता है। एक पिता हमेशा यही चाहता है कि उसकी बेटी हमेशा उसके पास ही रहे। उसे चोट लगती है, तो दर्द मुझे होता है। वह हंसे तो मेरी दुनिया खिल उठती है। हमारी जिंदगी को रौशनी देने के लिए शुक्रिया बेटी। -बिमल केडिया, शिक्षक।

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