नृत्य-संगीत ने झुमाया, रंगों में दिखी झारखंड की संस्कृति

राज्यस्तरीय अंतर विद्यालय कला उत्सव प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा दिखाई। इस दौरान वाद्य यंत्रों की धुन पर सभी खूब थिरके।

By Edited By: Publish:Thu, 14 Nov 2019 04:09 AM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 04:09 AM (IST)
नृत्य-संगीत ने झुमाया, रंगों में दिखी झारखंड की संस्कृति
नृत्य-संगीत ने झुमाया, रंगों में दिखी झारखंड की संस्कृति

जागरण संवाददाता, रांची : राज्यस्तरीय अंतर विद्यालय कला उत्सव प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने अपनी कला प्रतिभा के कई रंग बिखेरे। नृत्य-संगीत पर सभी को खूब झुमाया तो चित्रकला में रंगों से प्रतिभा का लोहा मनवाया। किसी ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया तो किसी ने रंगों के जरिए झारखंड की संस्कृति को अनूठा बताया। इस दौरान वाद्य यंत्रों की धुन पर सभी खूब थिरके। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के तत्वावधान में जिला स्कूल के सभागार में आयोजित उत्सव में विद्यार्थियों ने चार इवेंट में भाग लिए।

परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्रा, डीईओ रांची मिथलेश कुमार सिन्हा व हजारीबाग डीईओ लूदी कुमारी एवं राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी धीरसेन सोरेंग ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। जयंत मिश्रा ने कहा कि कला आपकी विशेषता है, जिसे किसी भी उम्र में प्रदर्शित कर सकते हैं। कला आपको जिंदादिली से जीने की राह बताती है। कार्यक्रम का संचालन रेणुका तिग्गा व संजय कुमार ने किया। आयोजन सफल बनाने में तरुण सिंह, अर्चना कुल्लू, दिनेश कुमार सहित अन्य थे।

संगीत के माध्यम से बताई बिरसा मुंडा की जीवनी रामगढ़ से आए छात्र राहुल करमाली ने संगीत कला से भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी को खूबसूरती से बताया। संगीत के अनुसार वाक्य व राहुल के हाव-भाव को खूब वाहवाही मिली। इसके बाद सूरज मणि हेंब्रम के सुरीली लोक संगीत ने सभी को गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। एक छात्र ने शिव तांडव को खूबसूरती से पेश किया। वाद्य यंत्र पर हाय रे मोर छोटानागपुर. .गाया तो खूब तालियां बजी।

जब भी मौका मिलता लोहा मनवाते हैं डीईओ मिथिलेश कुमार सिन्हा ने कहा कि ऐसे उत्सव का उद्देश्य सरकारी स्कूलों के बच्चों में कला प्रतिभा को निखारना है। बच्चों के लिए यह बेहतर मंच है। कहा, हमारे बच्चे किसी से कम नहीं हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है वे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लेते हैं। अब लोगों की धारणा सरकारी स्कूल के बच्चों के प्रति बदली है। कला में इनके अद्भुत प्रदर्शन से खुशी मिलती है। डीईओ ने कहा कि राज्यस्तर पर चयनित बच्चे खूब मेहनत कर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचें और वहां से मेडल लाएं।

दिल्ली में होगी प्रतियोगिता चार इवेंट एकल नृत्य कला, एकल संगीत, एकल चित्रकला व एकल वाद्य यंत्र वादन कला में विद्यार्थियों ने भाग लिया। हर इवेंट में प्रत्येक जिले से प्रथम स्थान पर रहे बालक-बालिका ने भाग लिया। यानी एक जिले से चार और राज्य भर से 192 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनमें से आठ प्रतिभागी चुने जाएंगे जो राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेंगे। आठ में चार बालक व चार बालिका होंगे। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता दिसंबर के तीसरे सप्ताह में नई दिल्ली में होगी।

समापन आज, विजयी प्रतिभागी होंगे पुरस्कृत निर्णायक मंडली में संगीत कला के लिए सालेम गु्रप के विजय तिर्की, वाद्य यंत्र वादन में सतीश कुजूर, नृत्य में बेथेसदा बीएड कॉलेज की प्रो. चंद्रशालिनी कुजूर व चित्रकला में उत्क्रमित विद्यालय कांके के सियोन मिंज थे। गुरुवार को प्रतियोगिता का समापन होगा। इसमें विजयी प्रतिभागी को पुरस्कृत किया जाएगा।

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