दैनिक जागरण अभियान: पानी बचेगा, तभी हम भी बचेंगे

Save Water Campaign By Dainik Jagran Jharkhand. पानी की कमी से जूझ रहे झारखंड के हालात तो और भी विकट हैं लेकिन हम पानी को लेकर कतई संजीदा नहीं हैं।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 12:30 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 12:30 PM (IST)
दैनिक जागरण अभियान: पानी बचेगा, तभी हम भी बचेंगे
दैनिक जागरण अभियान: पानी बचेगा, तभी हम भी बचेंगे

रांची, [संदीप कमल] । हम पर फागुन की मस्ती तो पहले से ही छाई थी, अब लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में भी डूबने को तैयार बैठे हैं। इसी बीच 22 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व जल दिवस मनाया गया, लेकिन हमें क्या? हम तो उत्सवी माहौल में हैं? बेशक दुनिया के तमाम देश पानी की किल्लत से दो-चार हैं। भारत के सैकड़ों शहरों में हाहाकार मचा हुआ है। झारखंड के हालात तो और भी विकट हैं, लेकिन हम पानी को लेकर कतई संजीदा नहीं हैं।

संयुक्त राष्ट्र का विश्व जल दिवस  अभियान का बड़ा पवित्र उद्देश्य है-शुद्ध और साफ पानी हर व्यक्तिको मिले। जिस अंधाधुंध तरीके से आज पानी की बर्बादी हो रही, दोहन हो रहा, वह दिन दूर नहीं जब भावी पीढ़ी इसके लिए तरस जाए। पानी असीमित है। यह भ्रम है। पानी पाताल जा रहा। यह हकीकत है। गैर सरकारी संस्था वाटरएड की हालिया रिपोर्ट झकझोरने वाली है। भूगर्भ जल का जितना दोहन होता है, उसका करीब एक चौथाई हिस्सा अकेले भारत निकालता है। इतना दोहन अमेरिका और चीन मिलकर भी नहीं करते। 

पेड़-पौधे, जीव-जंतु, गांव-शहर, खेत-खलिहान, नर-नारी, बड़े-छोटे, अमीर-गरीब.. पानी की जरूरत सबको है। अफसोस कोई इसे बचाना जरूरी नहीं समझता। पैसे का मोल है। पानी अनमोल है। पानी हमें मुफ्त मिला। हमने इसका मोल नहीं समझा। अब जब खतरे की घंटी बज चुकी है तो कहीं-कहीं सुगबुगाहट भी नजर आ रही, पर वो संजीदगी अब भी दूर है, जिसकी दरकार तुरंत और हर स्तर पर है। दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को इसी उद्देश्य से उठाया है। जल संरक्षण हमारे महत्वपूर्ण सरोकारों में है।

जल संकट से भावी पीढ़ी को कैसे बचाया जाए, दैनिक जागरण लगातार अपने स्तर से इस प्रयास में जुटा रहा है। जल संकट की कोई एक वजह नहीं। कोई एक सरकार इसके लिए दोषी नहीं। जवाबदेही हम सबकी है। धरती प्यासी हो रही, उसकी प्यास बुझाने की हमारी तमाम कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पा रहीं। हम प्यासे न रहें, इसके लिए जरूरी है कि धरती की भी प्यास बुझे। हमारे इस विशेष अभियान का मकसद भी यही है। पानी बचाने के लिए हम लोगों को प्रेरित करेंगे। बारिश की हर बूंद धरती की प्यास बुझा सके, हमारा प्रयास होगा।

गांव का पानी गांव में, अपार्टमेंट का पानी अपार्टमेंट मेें, घर का पानी घर में, इस अभियान का हिस्सा होगा। सिर्फ घरों और अपार्टमेंट में ही नहीं, सरकारी भवनों-शैक्षणिक संस्थानों में भी वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया जाए। पानी बेरंग है। पर भरता हमारे जीवन में कई रंग है। रंगों का त्योहार अभी बीता और यही तो बता गया। आइए, हम सब मिलकर जल संरक्षण की न सिर्फ शपथ लें बल्कि जोर-शोर से इस मुहिम में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। खुद के लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए।

झारखंड में पानी की स्थिति

-जल संकट से जूझ रहे जिलों में सबसे खराब स्थिति पलामू और गढ़वा जिले की है।

-भूगर्भ जल के मामले में रांची के रातू व कांके, बोकारो के चास, धनबाद के धनबाद व झरिया, गोड्डा, जमशेदपुर सदर और रामगढ़ डार्क जोन के रूप में चिह्नित।

-नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड और बिहार जल प्रबंधन के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य।

देश में क्या है हालात

- नीति आयोग की समग्र जल प्रबंधन धन सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं।

- लगभग दो लाख लोग स्वच्छ पानी न मिलने के चलते हर साल जान गंवा देते हैं।

- वर्ष-2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी।

वैश्विक स्तर पर ऐसी है स्थिति

- 3.6 अरब लोग यानी दुनिया की आधी आबादी हर साल एक महीने जलसंकट का सामना करती है।

- 2050 तक पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों की संख्या 5.7 अरब पहुंच जाएगी।

- एक सदी में पानी की खपत छह गुना बढ़ी।

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