इलाज तो दूर, लोगों को कोरोना जांच कराने में ही छूट रहे पसीने

राज्य ब्यूरो रांची कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज तो दूर लोगों को कोरोना जांच कराने में ही पसीने छूट रहे हैं। किसी तरह जांच के लिए सैंपल भी दे दिए तो जांच रिपोर्ट आने में छह से सात दिन तक लग जा रहे हैं। समय पर जांच रिपोर्ट नहीं आने से संक्रमित लोग समय पर इलाज नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में मरीजों की बीमारी और बढ़ जा रही है। संक्रमण बढ़ने का एक बड़ा कारण समय पर जांच रिपोर्ट नहीं आनी भी है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 07:39 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:39 PM (IST)
इलाज तो दूर, लोगों को कोरोना जांच कराने में ही छूट रहे पसीने
इलाज तो दूर, लोगों को कोरोना जांच कराने में ही छूट रहे पसीने

राज्य ब्यूरो, रांची : कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज तो दूर, लोगों को कोरोना जांच कराने में ही पसीने छूट रहे हैं। किसी तरह जांच के लिए सैंपल भी दे दिए, तो जांच रिपोर्ट आने में छह से सात दिन तक लग जा रहे हैं। समय पर जांच रिपोर्ट नहीं आने से संक्रमित लोग समय पर इलाज नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे में मरीजों की बीमारी और बढ़ जा रही है। संक्रमण बढ़ने का एक बड़ा कारण समय पर जांच रिपोर्ट नहीं आनी भी है। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी इसे लेकर नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं।

राज्य के सभी जिलों में बड़ी संख्या में सैंपल जांच के लिए लंबित हैं। रांची में सबसे अधिक सैंपल लंबित हैं। पूरे राज्य की बात करें, तो एक दिन पहले गुरुवार को ही 10 हजार सैंपल जांच के लिए लंबित थे। गुरुवार को लगभग 48 हजार सैंपल जांच के लिए संग्रह किए गए, लेकिन जांच 38 हजार सैंपल की ही हुई। इनमें अधिसंख्य सैंपल बैकलॉग के थे। राज्य में एक समय लगभग 36 हजार सैंपल जांच के लिए लंबित होने के बाद इसमें कमी आई थी। लेकिन, अब एक बार फिर बैकलॉग बढ़कर लगभग 37 हजार हो गया है। रांची में ही दस हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए लंबित हैं। बड़ी संख्या में जांच लंबित होने के कारण ही कांटैक्ट ट्रेसिग के आधार पर संभावित मरीजों की जांच नहीं हो रही है, जबकि चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि यूके स्ट्रेन व डबल म्यूंटेंट मिलने के बाद संभावित मरीजों की जांच बहुत जरूरी है, क्योंकि इस वायरस में संक्रमण 70 फीसद से अधिक होता है। रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) के पीसीएम विभाग के डा. देवेश कुमार कहते हैं कि इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जांच की रफ्तार बढ़ानी बहुत जरूरी है।

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मरीजों को कोरोना होने के बावजूद आ रही निगेटिव रिपोर्ट :

कई मरीजों ने दैनिक जागरण को शिकायत की कि जांच में निगेटिव रिपोर्ट आ रही है, जबकि उनमें कोरोना के सभी लक्षण हैं। उनके लिए चिता इसकी भी है कि उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है। रांची के रातू रोड के ही एक मरीज को शुरू में निगेटिव रिपोर्ट आई, लेकिन उसकी हालत लगातार खराब हो रही थी। फोन पर एक चिकित्सक से संपर्क करने पर उसे कोरोना की दवा ही लेने का परामर्श दिया। दवा लेने से कुछ सुधार होने के बाद उसने दोबारा जांच कराई, तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इस तरह की समस्या कई मरीजों के साथ हुई है।

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चिकित्सक एचआरसीटीसी कराने की दे रहे सलाह :

मरीजों में कोरोना के सारे लक्षण होने के बाद भी आरटी-पीसीआर में निगेटिव रिपोर्ट आने पर चिकित्सक एचआरसीटीसी (हाई रिजॉल्यूशन सीटी स्कैन) जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। यह जांच कराने पर फेफड़े में संक्रमण की पुष्टि हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना के यूके स्ट्रेन में आरटी-पीसीआर से पुष्टि नहीं हो पाती है। बता दें कि जीनोम सिक्वेंसिग में राज्य में ये स्ट्रेन मिलने की पुष्टि हुई है।

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होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की सबसे अधिक परेशानी :

कोरोना जांच कराने में सबसे अधिक परेशानी वैसे मरीजों की है, जो होम आइसोलेशन में हैं। मरीजों को संक्रमण की स्थिति जानने के लिए सात दिनों में कोरोना जांच करानी होती है, लेकिन घर जाकर सैंपल लेने की कोई सरकारी व्यवस्था नहीं है। लोगों को प्राइवेट लैब के भरोसे रहना पड़ता है। एक तो प्राइवेट लैब काफी मशक्कत के बाद सैंपल लेने के लिए आ रहे हैं, वहीं मनमानी राशि भी जांच के लिए ले रहे हैं। होम आइसोलेशन में रहने पर सात दिनों में संक्रमण की स्थिति जानने के लिए जांच कराने में काफी परेशानी हो रही है। ऐसे में कई मरीज 15 दिनों में भी अपनी जांच नहीं करा पा रहे हैं।

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केस स्टडी 01 :

रांची के पिस्कामोड़ निवासी एक मरीज का कहना है कि जांच के लिए सैंपल लेने घर आने को कोई प्राइवेट लैब तैयार नहीं है। रातू रोड स्थित गौरीदत्त मंडलिया स्कूल में तो जांच केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन उनमें इतनी ताकत नहीं है कि वे स्वयं गाड़ी चलाकर जा सकें। संक्रमण के भय से किसी दूसरे को साथ ले भी नहीं जा सकते।

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केस स्टडी 02 :

कोकर के एक परिवार के तीन सदस्यों ने 10 अप्रैल को एक साथ कोरोना की जांच कराई थी। ट्रूनेट से जांच कराने में भी रिपोर्ट आने में काफी देर हुई। सबसे बड़ी बात यह कि तीनों सदस्यों की रिपोर्ट अलग-अलग दिन दो से पांच दिन बाद आई। इस दौरान पूरा परिवार परेशान रहा।

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केस स्टडी 03 :

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के कर्मी संक्रमित हुए। संक्रमण के बाद कार्यालय में अन्य लोगों की तो जांच हुई, लेकिन पॉजिटिव पाए गए मरीजों की कांटैक्ट ट्रेसिग नहीं हुई। कुछ जागरूक लोगों ने स्वयं निजी लैब में जांच कराई।

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