खुद सजायाफ्ता, दूसरों को समझा रहे कानून का पाठ

हत्या अपहरण जैसे संगीन आरोप में बिरसा मुंडा होटवार जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी कानून का पाठ पढ़ा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 03:25 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 03:25 AM (IST)
खुद सजायाफ्ता, दूसरों को समझा रहे कानून का पाठ
खुद सजायाफ्ता, दूसरों को समझा रहे कानून का पाठ

जागरण संवाददाता, रांची : हत्या, अपहरण जैसे संगीन आरोप में बिरसा मुंडा, होटवार जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी अन्य कैदियों को कानून की बारीकियां समझा रहे हैं। विधिक सुविधा से वंचित कैदियों को ढूंढ़कर कानूनी सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। जेल में बंद ये कैदी पारा लीगल वोलंटियर के नाम से जाने जाते हैं। होटवार जेल में इनकी संख्या 10 है जिसमें दो महिला कैदी भी शामिल हैं। ये किसी भी वार्ड में आ-जा सकते हैं। किसी भी कैदी से भेंट कर सकते हैं। जेल प्रशासन की ओर से इन्हें पूरी स्वतंत्रता होती है। अपने गुनाहों के प्रायश्चित करने के लिए ये सजायाफ्ता कैदी दूसरों की मदद करते हैं। इसके बदले डालसा इन्हें 3-4 हजार रुपये पेमेंट भी करता है। इनके कार्यो की निगरानी डालसा करता है।

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नालसा की योजना के तहत हुआ है चयन

विधिक सुविधा से वंचित कैदियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण(नालसा) की ओर से यह स्कीम लांच की गई है। स्कीम को सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डालसा की होती है। कैदियों की संख्या के अनुपात में डालसा जेल प्रशासन की मदद से वोलंटियर का चयन करता है। इन्हे प्रशिक्षण देकर अन्य कैदियों की सहायता के लिए तैयार किया जाता है। कैदी वोलंटियर जेल में घूम-घूम कर वंचित कैदियों की पहचान करता है उससे बात कर परिवार की पूरी हिस्ट्री एकत्र कर डालसा को भेजता है। इसके बाद जेल में तैनात डालसा के वकील के माध्यम से कानूनी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

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2019 में दो सौ कैदियों को मिली विधिक सुविधा

कैदी वोलंटियर के प्रयास से इस साल करीब दो सौ विधिक सेवा से वंचित कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान की गई। इसमें कई ऐसे कैदी सालों से इसलिए जेल में बंद थे कि उसकी पैरवी करने वाला कोई नहीं था। उसके कृत्यों के कारण परिवार भी उनसे नाता तोड़ चुका था।

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देश में कोई भी विधिक सेवा से वंचित ना रहे, इस कारण पिछले साल यह स्कीम शुरू की गई। होटवार जेल में 10 सजायाफ्ता कैदी वोलंटियर के रूप में कार्य कर रहे हैं। ये कैदियों के बीच रहते हैं। अत: संवाद में सुविधा होती है। मामले को ठीक से समझ पाते हैं।

डालसा सेक्रेटरी, अभिषेक कुमार

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