जानिए क्‍या है स्विच ऑफ, रांची में ऐसे हो रहा नशे का काराेबार

Drugs Smuggling. बताया जाता है कि राजधानी में 100 से अधिक स्पॉट पर 32 हजार रुपये किलो गांजा बेचा जाता है। 100 रुपये में नाइकोजोशिन की सुई की बिक्री होती है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 12:30 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 12:30 PM (IST)
जानिए क्‍या है स्विच ऑफ, रांची में ऐसे हो रहा नशे का काराेबार
जानिए क्‍या है स्विच ऑफ, रांची में ऐसे हो रहा नशे का काराेबार

रांची, जासं। नशे के कारोबारियों के लिए स्कूली और कॉलेज छात्र सॉफ्ट टारगेट पर हैं। छात्रों को ही नशीले पदार्थों की बिक्री के लिए एजेंट बना दिया है। इन छात्रों के हाथों ही नशीले पदार्थ बेचवाए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें नशे की लत में डालकर उन्हें कमिशन का लालच देकर झांसे में लिया जाता है। संत जेवियर्स कॉलेज, मारवाड़ी कॉलेज, गोस्सनर कॉलेज, रांची कॉलेज, डोरंडा कॉलेज, सरस्वती शिशु मंदिर धुर्वा, डीपीएस, संत पॉल्स स्कूल स्कूलों के आसपास गांजा सहित अन्य नशीले पदार्थों की खूब बिक्री होती है। इन दिनों सिगरेट में भरकर गांजा की बिक्री हो रही है। इसके अलावा कागज में मोड़कर ब्राउन शुगर की भी खूब बिक्री हो रही है।

स्विच के नाम पर रांची में बिक रहा गांजा : शहर में 'स्विच ऑफ' के नाम से गांजा बिक रहा है। इसकी खेप टाटा रोड से आती है। यह 32 हजार रुपये किलो बेची जाती है। जानकारों की मानें शहर में करीब 100 स्पॉट हैं, जहा प्रतिदिन लाखों का गाजा बेचा जाता है। सर्वाधिक बिक्री रांची रेलवे स्टेशन के समीप, लोअर चुटिया, तिरिल तालाब, मधुकम, हटिया, डोरंडा, हातमा बस्ती, किशोरगंज, करबला चौक, मोरहाबादी मैदान, हरमू पुल के आसपास होती है।

इन नशीली दवाओं का भी इस्तेमाल : इंजेक्शन : फोर्टबीन और नाइकोजोशिन (एक सूई पांच रुपये की, नशेडिय़ों को दुकानदार बेच रहे 100 रुपये में) टेबलेट : नाइट्रोजन-10, फ्रेक्सिबोन स्पासमो और ट्राइका (तीन रुपये में एक टेबलेट, दुकानदार लेते हैं 20 से 50 रुपये।) कफ सीरप : कॉरेक्स, कोडीस्टार, आरयू-टफ, लीरिक्स व बायोरेक्स। (करीब 90 रुपये का सीरप 200 से 225 रुपये में बेच रहे दुकानदार)

गांजा का नशा करने वाला बना गया मनोरोगी : रिनपास में इलाज के लिए हर दिन युवा पहुंच रहे हैं। इनमें एक गांजा बेचने वाला युवक भी इलाज के लिए पहुंचा था। उसने डॉक्टरों को बताया है कि गांजा बेचने के साथ अत्यधिक लत की वजह से मनोरोगी बन गया। चिकित्सकों के सामने उसने खुद स्वीकार किया था कि वह राजधानी के कई स्कूलों और कॉलेजों के आसपास गांजा का सप्लाई करता था। सप्लाई के साथ-साथ वह गांजा का अत्यधिक सेवन भी करता था।

गांजा ने पहुंचा दिया पागलखाना : रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में रहने वाला युवक गांजा के अत्यधिक लत की वजह से पागलखाने तक पहुंच गया। धीरे-धीरे उसके भूलने की बीमारी हुई। फिर लगातार डिप्रेशन में जाता रहा। कुछ दिनों में उग्र स्वभाव का हो गया। अचानक तोडफ़ोड़ व मारपीट करने लगता। युवक फिलहाल रिनपास में ही भर्ती है। 

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