Coal India News: झारखंड के इन 5 जिलों को सौर ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करेगी कोल इंडिया
कोल इंडिया वर्ष 2021 में गैर-कोयला क्षेत्रों में उतरने की तैयारी कर रही है। झारखंड के कुछ इलाकों को सोलर एनर्जी केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। कंपनी पूरे देश में सौर ऊर्जा परियोजना पर करीब 12 हजार करोड़ का निवेश करने वाली है।
रांची [मधुरेश नारायण] । कोल इंडिया वर्ष 2021 में गैर-कोयला क्षेत्रों में उतरने की तैयारी कर रही है। झारखंड के कुछ इलाकों को सोलर एनर्जी केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। कंपनी पूरे देश में सौर ऊर्जा परियोजना पर करीब 12 हजार करोड़ का निवेश करने वाली है। राज्य में देवघर, दुमका, खूंटी, सरायकेला, और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों को सौर उर्जा केंद्र की स्थापना पर विचार किया जा रहा है। कोल इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने अपने रांची दौरा के क्रम में कंपनी की अलग-अलग इकाईयों को इस दिशा में विस्तृत कार्य योजना बनाने का टास्क दिया।
रांची के दरभंगा हाउस स्थित सेंट्रल कोल फील्ड लिमिडेट की तरफ से योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। इसके लिए विशेषज्ञ अधिकारियों की एक टीम बनाई गई है। यह अपनी रिपोर्ट सीसीएल के जरिए कोल इंडिया को भेजेगी। इसमें संबंधित जिलों में उर्जा केंद्र की स्थापना के लिए उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं के ब्यौरे के साथ भूमि की उपलब्धता का ब्यौरा पेश दिया जाएगा। सूत्रों की माने तो टीम इसके लिए जल्द ही अपना दौरा करने वाली है। सीसीएल के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी अपने सेक्टर में बिजली की जरूरतें पूरी करने के लिए पहले चरण में सभी स्थानीय दफ्तरों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करेगी। कोल इंडिया ने वर्ष 2024 तक तीन हजार मेगावार्ट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
क्यों पड़ी जरूरत
कंपनी की ओर से अपनी भविष्य की जरूरतों को समझते हुए नई कार्ययोजना पर कार्य प्रारंभ किया गया है। इसके तहत कोल इंडिया ने अक्षय ऊर्जा के स्रोत पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। इसमें सौर ऊर्जा प्रमुख होगा। इसके साथ ही एल्युमीनियम के सेक्टर में भी कंपनी अपना निवेश करेगी। कंपनी के रणनीतिकारों को महसूस हो रहा है कि भविष्य के लिए कोल इंडिया का डायवर्सिफिकेशन जरूरी है। वर्ष 2020 कोयले की मांग में पिछले साल 2019 की तुलना में 5 फीसदी कम रही। आने वाले वर्षों में चुनौतियां और बढ़ने का बअनुमान है। वहीं भविष्य में कोयला जरूरतों में भी कटौती होने की संभावान है। इसे देखते हुए कोल इंडिया माइनिंग के अलावा अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र निवेश करने जा रही है। सीसीएल के अधिकारियों के मुताबित झारखंड में कोल का इतना भंडार है कि अगले सौ वर्षों तक सीसीएल को सोचने की जरूरत नहीं है। मगर कोयला खरीदने वाली कंपनियां अब प्रदूषण कम करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग पर बल दे रही है।