Coal Mines: कोयला खदानों में लौटी बहार, 3 दिनों बाद काम पर लौटे कामगार

Coal Mines Privatisation कोल इंडिया ने पांच बातों के लिए कर्मचारियों को आश्वस्त किया है। इस बीच आज से गेट मीटिंग शुरू हो जाएगी। अब 18 अगस्त को देशव्यापी हड़ताल की तैयारी है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 04:58 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 04:31 AM (IST)
Coal Mines: कोयला खदानों में लौटी बहार, 3 दिनों बाद काम पर लौटे कामगार
Coal Mines: कोयला खदानों में लौटी बहार, 3 दिनों बाद काम पर लौटे कामगार

रांची/धनबाद, जेएनएन। कोयला उद्योग में पिछले तीन दिनों से जारी हड़ताल शनिवार को समाप्त हो गई। कामगार रविवार से काम पर लौट आएंगे। अलबत्ता श्रमिक संगठनों की नजर कामर्शियल माइनिंग की दिशा में सरकार के स्तर से उठाए जा रहे हर कदम पर होगी। संगठन रविवार से ही गेट मीटिंग कर मोर्चाबंदी तेज करेगा। 18 अगस्त को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाने के साथ-साथ कोल इंडिया के खिलाफ लंबी लड़ाई की तैयारी करेगा।

इधर हड़ताल के तीसरे और अंतिम दिन शनिवार को कोल इंडिया ने विज्ञप्ति जारी कर कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि सीसीएल का कोई भी खदान कॉमर्शियल माइनिंग में नहीं जाएगा, किसी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी, कोल इंडिया के विनिवेश या निजीकरण की कोई योजना नहीं है और न ही सीएमपीडीआइ कोल इंडिया से अलग  होगा। कोल इंडिया ने यह भी आश्वस्त किया कि अनुषांगिक कंपनियों का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित है।

इधर हड़ताल के तीसरे दिन शनिवार को भी कोलियरियों में उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित रहा। कर्मचारी काम बंद कर बैठे रहे। सीसीएल के मुताबिक तीन दिनों की हड़ताल में कंपनी को लगभग चार लाख टन कोयले के  उत्पादन का नुकसान हुआ है। वहीं पूरे राज्य में सरकार को 61 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा लगा है। कोल इंडिया ने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर बताया है कि हड़ताल से तीन दिनों में देश को 319 करोड़ का घाटा हुआ है।

वहीं झारखंड में 61 करोड़ का घाटा हुआ। इसके साथ ही देशभर में हड़ताल कर रहे कामगारों को वेतनमद में प्रतिदिन 83.4 करोड़ का घाटा हुआ है। सीसीएल कर्मचारियों को वेतनमद में 10 करोड़ का घाटा हुआ है। सात राज्यों को मिलाकर कर, जीएसटी और सेस मिलाकर तीन दिनों में करीब 300 करोड़ का नुकसान हुआ है। 

कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन की अनुमति देने के विरोध में बुलाई गई इस हड़ताल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थित भारतीय मजदूर संघ समेत पांच ट्रेड यूनियनों के लोग शामिल हुए थे। सीटू समर्थित ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन के डीडी रामानंदन ने कहा कि हड़ताल पूरी तरह से सफल रही। अगर सरकार नहीं संभली तो कामगार इससे बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। 18 अगस्त कॉमर्शियल कोल बिड का आखि‍री दिन है। हम बैंक और कंपनियों को संदेश देना चाहते हैं कि वो इसमें पैसा न लगाएं या एनपीए होने के लिए तैयार रहें।

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