मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी ने थामा एटक का दामन, दूसरे सबसे बड़े मजदूर संघ की उपाध्यक्ष बनीं
Jharkhand News Political Updates सीता सोरेन ने कहा कि मजदूर यूनियन और राजनीतिक पार्टियां दो अलग-अलग धाराएं हैं। लेकिन सक्रिय राजनीति के सदस्य अगर यूनियन में आकर अपना सक्रिय योगदान दें तो इससे कर्मचारी और मजदूर वर्ग का भला हो सकता है।
रांची, जासं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने रांची के सीएमपीडीआइ में आयोजित एटक मिलन समारोह में मजदूर यूनियन की सदस्यता ग्रहण की। सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही यूनियन में उन्हें झारखंड का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया गया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीता सोरेन ने कहा कि आज मिलन समारोह है। इसमें किसी वृहद मुद्दे पर बात करना संभव नहीं है, मगर उन्होंने भरोसा दिलाया कि झारखंड में मजदूरों के हित का सदा ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि मजदूर ऐसा वर्ग है, जो अपनी मेहनत मजदूरी से देश की तरक्की में अपना योगदान देता है। सरकार को इसके सभी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रमेंद्र कुमार ने यूनियन में सीता सोरेन का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मजदूर यूनियन और राजनीतिक पार्टियां दो अलग-अलग धाराएं हैं, लेकिन सक्रिय राजनीति के सदस्य अगर यूनियन में आकर अपना सक्रिय योगदान दें तो इससे कर्मचारी और मजदूर वर्ग का भला हो सकता है। रविंद्र कुमार ने केंद्र सरकार की नई श्रम नीति का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कई कानून ऐसे लाए हैं, जिससे मजदूर श्रमिक और कर्मचारी वर्ग का कभी भला नहीं हो सकता है। इसके उलट पूंजीपति अपना पॉकेट भरेंगे। अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो भारत का आने वाला भविष्य पूरी तरह से अंधकार में चला जाएगा। आज भारत तरक्की की जो सीढ़ियां चल रहा है, उसमें कर्मचारी, मजदूर वर्ग और वेतन भोगियों का बड़ा योगदान रहा है।
मजदूर राजनीति में नई हलचल
सीता सोरेन जामा की विधायक हैं। सीता सोरेन के एटक का दामन थामने के बाद झारखंड की मजदूर राजनीति में नई हलचल है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के मजदूर संगठन से अलग राष्ट्रीय स्तर के मजदूर संगठन में शामिल होने के कई मायने और मतलब निकाले जा रहे हैं। एटक से जुड़े मजदूर नेताओं ने कहा कि सीता सोरेन के संगठन में शामिल होने से उन्हें नई ऊर्जा मिलेगी। मौजूदा हालात में महंगाई के साथ-साथ मजदूरों के हितों का मुद्दा बड़ा होता जा रहा है।